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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Sunday, 9 February 2020

बाबा बैद्यनाथ झा की पर्यावरण संरक्षण पर कुण्डलियाँ और ग़ज़ल

 1.पानी
   कुण्डलिया छन्द

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         १           
पानी  ही  है  सर्वदा, जीवन  का  आधार। 
इसका संरक्षण करें, होगा अति उपकार।। 

होगा अति उपकार, इसे मत व्यर्थ बहाएँ। 
आवश्यक उपयोग, करें जब आप नहाएँ।। 

प्यासे मरते जीव, त्याग दें अब मनमानी। 
प्राणवायु  के  साथ, जीव हर चाहे पानी।।

         २              
पानी  तो  अनमोल  है, जान  रहे  हैं  आप। 
इसे बहाकर  व्यर्थ ही, क्यों  करते  हैं पाप।। 

क्यों करते हैं पाप, आप अब  पुण्य कमाएँ। 
पानी  की  हर बून्द, अभी से  आप  बचाएँ।। 

अथवा  होगा  नाश, नहीं  हो  अब नादानी।
पंचतत्व में एक, प्रमुख आवश्यक  पानी।।


                 
 2. हवा
कुण्डलिया छन्द
             
जीना   अब   दूभर   हुआ, सभी   चाहते  त्राण 
हवा   विषैली   हो  गयी, संकट   में   हैं  प्राण।। 

संकट  में   हैं  प्राण,  बढ़ा   है   आज   प्रदूषण।
काट   रहे   हैं  पेड़,  अभी भी  कुछ खर दूषण।।

प्राणवायु  का  लोप, मात्र  विष  पड़ता   पीना। 
स्वच्छ हवा बिन आज, कठिन है सबका जीना।।
          

 3. पर्यावरण - ग़ज़ल
              
इन्सान  दानवों  सा  जंगल  उजाड़ता  है
अन्याय  देख   रोकर   पर्वत  पुकारता  है

बन  गिद्ध  नोचता  है हर अंग  को कसाई
विस्फोट कर जड़ों से सबको उखाड़ता है

विध्वंस  हो  रहा है वनसम्पदा विलोपित
मगरूर   हँस   रहा   है  शेखी  बघारता है

नदियाँ  भी  सूखती  हैं वन, शैल सब नदारत
इन्सान  ज़िन्दगी को  खुद ही बिगाड़ता है

नदियों में स्वच्छ जल हो, वन, शैल सब हरे हों
उनको  उजाड़ मानव  जीवन बिगाड़ता है

है  पुण्यभूमि भारत  उत्तर खड़ा हिमालय
जिसके चरण युगल को सागर पखारता है

है  लुप्त  प्राणदायक  विषयुक्त ही हवा है
अब भी न  चेत मानव  ग़लती सुधारता है

जो  पेड़  है  लगाता, पर्वत  रखे  बचाकर
समझो वही जगत का  जीवन सँवारता है
......

कवि - बाबा बैद्यनाथ झा 
कवि का ईमेल - jhababa9431@gmail.com ,  jhababa55@yahoo.com
कवि का पता - हनुमान नगर,श्री नगर हाता, पूर्णियाँ (बिहार) 854301
कवि का मोबाईल नम्बर- 7543874127  (वाट्सअप)
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल - editorbejodindia@gmail.com
कवि का परिचय -
 पत्नी--- डॉ.हीरा प्रियदर्शिनी (बी ए एम एस, ए एम)
जन्म तिथि- 3 अगस्त,1955
जन्म स्थान- कचहरी बलुआ,भाया- बनैली,जिला- पूर्णियाँ  (बिहार) 854201
शिक्षा--एम ए  (द्वय) - हिन्दी (स्वर्ण पदक प्राप्त) + दर्शन शास्त्र,CAIIB, होमियोपैथ
प्रकाशित पुस्तकें-
"बाबा की कुण्डलियाँ" (270 कुण्डलियों का संकलन)
"जाने-अनजाने न देख ( 104 ग़ज़लों का संग्रह),
"निशानी है अभी बाकी" (105 ग़ज़्लों का संग्रह)-2019     
"पढ़ें प्रतिदिन कुण्डलियाँ" (300 कुण्डलियों का संग्रह)2019
"ईमान यहाँ बिकता" (100 ग़ज़लों का संग्रह)--2019
'पहरा इमानपर'  (मैथिली गजल संग्रह),  '-1989  कई पुस्तकें प्रकाशनाधीन

हिन्दी एवं मैथिली साहित्य की प्रायः  हर विधा में लेखन
सम्पादन-"मिथिला सौरभ", "त्रिवेणी", "भारती मंडन" आदि
आकाशवाणी पटना,दरभंगा एवं पूर्णियाँ से पचासाधिक बार- काव्यपाठ एवं रेडियो नाटकों में अभिनय
दर्जनों साहित्यिक सम्मान से विभूषित.
अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा आयोजित कवि-सम्मेलनों/मुशायरों  में अध्यक्षता तथा काव्यपाठ।

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