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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Tuesday 25 February 2020

पाटलिपुत्र काव्य महोत्सव का आयोजन नवभारती सेवा न्यास द्वारा पटना में 23.2.2020 को पटना में सम्पन्न

कटी न बेड़ियाँ अपने ही पाँव काट लिए

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नवभारती सेवा न्यास के तत्वावधान में दिनांक 23.02.2020 दिन रविवार को संस्कारशील पुस्तकालय, गर्दनीबाग पटना में एक शानदार कार्यक्रम "पाटलिपुत्र काव्य महोत्सव" का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत कार्यक्रम के अतिथियों भगवती प्रसाद द्विवेदी,  ध्रुव गुप्त, नीलांशु रंजन, वरुण सिंह, घनश्याम ने दीप प्रज्वलित कर किया।

कार्यक्रम की शुरूआत में मुख्य वक्ता ध्रुव गुप्त ने कहा कि कविता को अगर जिंदा रखना है तो उसका लय बनाये रखना होगा। वहीं वरिष्ठ कवि भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि मंच की कविता और पत्र पत्रिकाओं में छपने वाली कविताओं में समरूपता होनी चाहिए। हास्य की कविताएँ हास्यास्पद नही प्रतीत होनी चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार और शायर नीलांशु रंजन ने कहा कि सोशल साइट ने कविता की पहुँच को बढ़ाया है। रचनाकारों को शिल्प पर ध्यान देना चाहिए। इस कार्यक्रम की आयोजिका प्रीति सुमन ने कहा कि यह सम्मेलन मुख्य रूप से साहित्यिक गतिविधियों को प्रगति देने के उद्देश्य से करवाया जा रहा है। ऐसे साहित्यिक कार्यक्रमों को समाज में लगातार करवाते रहने की आवश्यकता है।  इस कार्यक्रम के संयोजक युवा कवि कुंदन आनंद ने बहुत शानदार तरीके से मंच संचालन किया। 

कार्यक्रम दो सत्रों में सम्पन्न हुआ। प्रथम सत्र में आमंत्रित वक्ताओं द्वारा वक्तव्य प्रस्तुत किया । दूसरे सत्र में बिहार के विभिन्न कोने-कोने से आये युवा कवियों ने काव्यपाठ किया जिनमें कवयित्री अल्पना आनंद ने अपनी रचना "उसने चौखट लांघी होगी, चौखट कितना रोया होगा" सुनाकर सबको मन्त्र-मुग्ध कर दिया। कवि कुंदन आनंद ने "हमको काँटों ने पाला पिता की तरह, मेरे काँटों को फूलों से ना तौलिए" सुनाकर श्रोताओं को भाव-विह्वल कर दिया। कवि विकास राज ने अपनी रचना "गजब की चाह थी उसमें रिहा होने की, कटी न बेड़ियाँ अपने ही पाँव काट लिए" सुनाकर लोगों का दिल मोह लिया। कवि उत्कर्ष आनंद भारत ने अपनी रचना "महाभारत का होना तय है" सुनाकर लोगों को आकर्षित किया।

युवा कवयित्री प्रीति सुमन ने "आई प्रणय की मधुर बेला रे" गीत सुनाकर लोगों को भावविभोर कर दिया। ज्योति स्पर्श ने भूख की विवशता पर मार्मिक ग़ज़ल का पाठ कर लोगों को भाव-विह्वल कर दिया।  अन्य कवियों में शिवांशु सिंह, प्रेरणा प्रताप, नेहा नुपूर, आराधना प्रसाद, रवि सिंह पार्थ, मुकेश ओझा, अनुराग कश्यप ठाकुर, भारती रंजन कुमारी, स्वतंत्र शांडिल्य, राहुल चौधरी, साकेत ठाकुर, सुनील कुमार, कवि घनश्याम, रंजीत दुधू, गौतम वात्स्यायन, नरेंद्र कुमार, प्रियंका प्रियदर्शिनी, सिद्धेश्वर, डॉ नीलम श्रीवास्तव, कुमार आर्यन, नवनीत कृष्ना, अभिलाषा सिंह, स्वराक्षी स्वरा, कुमारी स्मृति, कुमार रजत, चंदन द्विवेदी सहित कुल 50 कवियों ने शिरकत किया। धन्यवाद ज्ञापन संस्था की सचिव सह कार्यक्रम संयोजिका प्रीति सुमन ने किया।
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रपट का आलेख - ज्योति स्पर्श
रपट की लेखिका का ईमेल - jtgupta9@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ब्लॉग का ईमेल - editorbejodindia@gmail.com































2 comments:

  1. बेहद सुंदर और संतुलित रिपोर्ट। साधुवाद।

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    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद महोदय. रपट की लेखिका की ओर से भी.

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