दौड़नेवालों के साथ दौड़ते हैं उनके सपने
स्टेशन राजभाषा कार्यान्वयन समिति, पूर्व मध्य रेल, दानापुर मंडल तथा भारतीय युवा साहित्यकार परिषद् , पटना के संयुक्त तत्वावधान में श्री राजमणि मिश्र (राजभाषा अधिकारी पूर्व मध्य रेल, दानापुर मंडल) के एकल काव्य पाठ का आयोजन ट्रेंनिग स्कूल,राजेन्द्र नगर कोचिंग कॉम्प्लेक्स के सभागार में किया गया. आयोजन की अध्यक्षता हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि और साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी तथा संचालन शायर मो.नसीम अख्तर और कवि-चित्रकार श्री सिद्धेश्वर ने किया.
मुख्य अतिथि राजमणि मिश्र ने अपने एकल काव्य पाठ में विभिन्न विषयों पर आधारित अनेक कविता, गीत तथा ग़ज़लें प्रस्तुत की. उनकी रचनाओं में मानवीय संवेदना, सामाजिक यथार्थ, पारिवारिक समस्याएं, सुदूर शहरों में मजदूरी करने वाले गांव के लोगों के मनोभावों की सार्थक अभिव्यक्ति हुई है. कल्पना के साथ सटीक बिंबों का प्रयोग कर वे कविताओं को जीवंत बनाने में सफल रहे हैं।
इस समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि-"राजमणि मिश्र की कविताओं में लालित्य देखने को मिलता है। घर ,परिवार से शुरुआत कर इन्होंने समाज -संस्कृति और आज के पूरे हालात पर अपनी संवेदनात्मक अभिव्यक्ति कोगहराई से प्रकट किया है।"
राजमणि की कविताओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए विशिष्ट अतिथि कवि सिद्धेश्वर ने कहा कि -"नकारात्मक परिवेश में भी सकारात्मक संदेश देती हुई राजमणि मिश्र की कविता हृदय की गहराई तक संवेदित करती है। इनकी सकारात्मक सोच हमें कुछ रखने के लिए प्रेरित करती है ।अप- संस्कृति पर भी उनकी गहरी नजर है।"
समारोह के मुख्य अतिथि कवि घनश्याम ने कवि राजमणि मिश्र की कविताओं के एकल पाठ के पश्चात, विस्तार से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि -"दैनिक जीवन के क्रियाकलापों पर राजमणि जी की गहरी दृष्टि है । थोड़े में बहुत कुछ कहने की कला इनकी कविताओं में देखने को मिलती है । सचमुच यह छोटी- सी गोष्ठी कई महत्वपूर्ण विचारों को लेकर यादगार बन गई है।"
राजमणि मिश्र जी ने अपनी एकल काव्य पाठ में लगभग 40 से अधिक समकालीनकविताओं का पाठ किया।
-"मुसाफिर यहां उम्र भर के लिए/ मरने वालों को अमृत से क्या फायदा
जीने वालों को विष का प्याला से बचाना पड़ा/ रोते-रोते मुस्कुराना पड़ा।"
"मैं भी दौड़ने लगता हूं, / उनके साथ -साथ /मुझे लगता है/
दौड़ने वालों के साथ दौड़ते हैं /उनके सपने, सुरक्षा,-सुरक्षा की भावनाएं।"
"चलने लगा मैं कदम दर कदम / मिलने लगी चट्टानें और चुनौतियां।
"-इस तरह की ढेर सारी कविताएं समकालीन संदर्भों को रेखांकित कर रही थी ।
एकल काव्य पाठ के अंतराल में उपस्थित कवि, शायर और कवयित्रियों ने एक से बढ़कर एक कविता,गीत और ग़ज़लों से आयोजन को सरस और सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इनमें भगवती प्रसाद द्विवेदी, अशोक प्रजापति, घनश्याम, सिद्धेश्वर, अरविन्द पासवान, मो. नसीम अख्तर, मुकेश ओझा, अनुराग कश्यप ठाकुर, कवयित्री डा.अर्चना त्रिपाठी, श्वेता शेखर, मीना कुमारी परिहार के नाम उल्लेखनीय है।
राजेन्द्र नगर स्टेशन पर अवस्थित रामवृक्ष बेनीपुरी पुस्तकालय की संचालिका कुमारी स्वीटी ने आगत साहित्यकारों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन किया।
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प्रस्तुति एवं छायाचित्र - सिद्धेश्वर एवं घनश्याम
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