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बिहार, भारत की कला, संस्कृति और साहित्य.......Art, Culture and Literature of Bihar, India ..... E-mail: editorbejodindia@gmail.com / अपनी सामग्री को ब्लॉग से डाउनलोड कर सुरक्षित कर लें.

# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Tuesday, 2 April 2019

संगीत शिक्षायतन द्वारा कला प्रवाह और काव्य नन्दा का आयोजन पटना में 31.3.2019 को सम्पन्न

वसंत ऋतु में प्रेम वृष्टि
आलोक धन्वा, ध्रुव गुप्त अनवर शमीम, संजय कुमार कुंदन, गुलरेज शहजाद आदि ने पढ़ी कविताएँ

(आगमन की कवि गोष्ठी 31.3.2019 की रपट के लिए- यहाँ क्लिक कीजिए)


दिनांक 31.3.2019 की शाम देश के प्रतिष्ठित पटना आर्ट्स कॉलेज परिसर में 'कला प्रवाह' द्वारा आयोजित एक काव्य, कला एवं संगीत गोष्ठी में भागीदारी देश के कई शीर्षस्थ साहित्यकारों के लिए भी एक अनूठा अनुभव रहा। काव्य गोष्ठी में आलोकधन्वा, ध्रुव गुप्त, सुजाता शर्मा, अनवर शमीम, गुलरेज़ शहज़ाद, संजय कुमार कुंदन और यामिनी ने काव्यपाठ किया। गोष्ठी का बेहतरीन संचालन यामिनी का था। इसमें आर्ट्स कॉलेज के पूर्व प्राचार्य एवं चित्रकार श्याम शर्मा, फिल्मकार ज़िया हसन, नाटककार सुमन कुमार, प्रशासक असलम हसन सहित दर्जनों ख्यातिप्राप्त लोगों की भागीदारी रही।

बड़े हर्ष उल्लास के साथ 31 मार्च'19 को पटना के संगीत शिक्षायतन द्वारा पटना आर्ट्स एंड क्राफ्ट कॉलेज पटना के सौजन्य से पटना आर्ट एंड क्राफट्स कॉलेज के प्रांगण में  गोंड जनजाति चित्रकला प्रदर्शनी, तथा कला - काव्य समागम संगोष्ठी का आयोजन किया। अवसर था कला - प्रवाह कार्यक्रम की तीसरी कड़ी जिसका विषय भारत की अक्षुण्ण गोंड जनजाति चित्रकला प्रदर्शनी तथा काव्य - नन्दा  जिसमें बिहार के जाने माने कवि द्वारा कविता का पाठ किया गया।

प्रदर्शनी में लगभग अस्सी-नब्बे प्रतिभागियों द्वारा विभिन्न रंगों का प्रयोग करते हुए कैनवास पर गोंड जनजाति की चित्रकला प्रदर्शनी में प्रतिभागियों ने लोक परंपरा की चित्रकला शैली दिखाया तथा   कला द्वारा छिपी मानव चेतना को जागृत करने का माध्यम बतलाया जिसकी विशेष जानकारी  चित्रकार तान्या राजवंशी तथा  कीर्ति किरण  दिया। 

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई। उसके बाद  शिक्षायतन के म्यूज़ म्यूजिकल ग्रुप के द्वारा तस्लीम फजली की ग़ज़ल "रफ्ता रफ्ता मेरे हस्ती का सामा हो गए... पहले जां, फिर जाने जां, फिर जाने जाना हो गए।" से हुई । जिसने शुरू से ही कवि सम्मेलन के काव्य माहौल को एक मनोरम वातावरण बना दिया।

भारत का सर्वमान्य संवत विक्रम संवत है। प्रतिपदा को नंदा अर्थात आनंद देने वाली कहा जाता है,  इसलिए काव्य - नंदा कार्यक्रम में चैत्र मास की मनोहर सृष्टि से आनंदित होने के लिए बिहार के प्रमुख कवियों की एक काव्य संगोष्ठी आयोजित की गई थी। कार्यकर्म की निर्देशिका कथक नृत्यांगना  यामिनी ने बड़े ही लयात्मकता रूप में सार्थक शब्दों का प्रयोग करते हुए आमंत्रित कविगण आलोक धन्वा, ध्रुव गुप्त अनवर शमीम, संजय कुमार कुंदन, गुलरेज शहजाद और सुजाता शर्मा को सुगठित शब्द विन्यास के साथ एक एक कर मंच पर बुलाती गई और कवियों की कविताओं ने वहां उपस्थित दर्शकों में नववर्ष के उल्लास उमंग तथा मादकता का भरपूर संचार किया ।  वसंत ऋतु में प्रेम वृष्टि कर पटना आर्ट्स एंड क्राफ्ट के परिसर को आह्लादित किया। 

सभी कलाकारों ने एक से एक बढ़कर कविताओं को मंच पर प्रस्तुत किया। 

जाते-जाते भी कोई चीज हंसी रख देंगे, 
आने वाले नए मौसम का यकीन रख देंगे, 
ख़ाक उड़ाएंगे बहुत ख़ाक में मिल जाने तक, 
और यह ख़ाक भी हम लोग यहीं रख देंगे " 
(अनवर शमीम)

"खुशियां तो मेले की अल्हड़ लड़कियां थीं...खो गई , 
गम शरीके जिंदगी सा  होसला देता रहा।"
(संजय कुमार कुंदन)

यह दिल है ग़मज़दा हारा नहीं है, 
जो खो आया गगन वो सारा नहीं है, 
मेरी आवारगी पर हंसने वालों, 
 कोई मन है जो बंजारा नहीं है।
(ध्रुव गुप्त)

आंखो में आखे डालकर बातें करने की आदत डालो, 
हक को मांगना नहीं, लेना सीखा दो, 
असं नहीं हो लेना तो
 छीनने में देर ना करें, ये साफ बतादो...
(सुजाता शर्मा)

पहाड़ों को हटाना चाहता हूं हवा सा खिलखिलाना चाहता हूं 
मैं अपने आप से बिछड़ा कहां पर मैं खुद को याद आना चाहता हूं
(गुलरेज़ शहजाद)

पंक्तियों पर तालियों की गड़गड़ाहट लगातार बजती रही।

कार्यकर्म के विशिष्ट अतिथि अवधेश झा (कवि व लेखक) ने गोंड कला की विशेषता तथा भारतीय संस्कृति और जीवन के विक्रमी संवत से गहरेे संबंध को बतलाया। तथा मुख्य अतिथि  अंतरराष्ट्रीय स्तर के चित्रकार श्याम शर्मा के साथ डॉ० किशोर सिन्हा (केद्र निदेशक आकाशवाणी पटना, अवकाश प्राप्त,) साथ ही डॉ अजय कुमार पांडे (प्रिंसिपल पटना आर्ट एंड क्राफ्ट कॉलेज, पटना) तथा  मीनाक्षी झा बनर्जी ( चित्रकार) का स्वागत सम्मान किया।

संस्था की सचिव रेखा शर्मा ने अंत में सभी प्रतिभागियों को उपहार दिया गया तथा विजेताओं को मेडल दिए गए विजेताओं के नाम पारुल, ईशा, लक्ष्मी, देवव्रत, प्रणव, यशोधारा, चित्रांगदा, हैं। गायन कलाकार: अमित, अंबिका, अनन्या, वर्षा, शिवम, आकाश, शुभम,।

केंद्र अधीक्षक रुधीश कुमार ने रंगो के प्रभाव पर प्रेरणात्मक शब्द कहें तथा साहित्य- सृजन की सक्रियता को बढ़ाते हुए कार्यक्रम का अंत धन्यवाद ज्ञापन से किया। 

कार्यक्रम का संचालन  यामिनी अपने सुगठित शब्द विन्यास के साथ किया। अंत में केंद्र अधीक्षक रुधीश कुमार द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।
.....

आलेख - बेजोड़ इंडिया ब्यूरो (प्रथम अनुच्छेद श्री ध्रुव गुप्त के फेसबुक पटल पर आधारित)
छायाचित्र सौजन्य- यामिनी शर्मा
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी- editorbejodindia@yahoo.com
नोट- इस आलेख में दिनांक 6.4.2019 तक किये गए संशोधन सम्मिलित हैं.

















6 comments:

  1. बेहतर कार्यक्रम की बेहतरीन कवरेज, कार्यक्रम के सफल होने का प्रमाण...

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    1. धन्यवाद महोदय। blogger.com पर logon करके टिप्पणी करने से नाम भी दिखता है।

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  2. अतिसुंदर कवरेज, सफल कार्यक्रम।

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    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद आपका महोदय।

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  3. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद महोदय.

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