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बिहार, भारत की कला, संस्कृति और साहित्य.......Art, Culture and Literature of Bihar, India ..... E-mail: editorbejodindia@gmail.com / अपनी सामग्री को ब्लॉग से डाउनलोड कर सुरक्षित कर लें.

# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Tuesday, 28 May 2019

खगड़िया में हिन्दी भाषा साहित्य परिषद् खगडिया के द्वारा 26:05:2019 कवि सम्मेलन सम्पन्न

नये ज़ज़्बात गिरते हौसलों में बो रहे हैं / है छोटी आँख फिर भी, लाख सपने ढो रहे हैं 




बिहार वह राज्य है जहाँ विश्व का पहला गणराज्य बना, जैन तीर्थंकर महावीर ने जन्म लिया, भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया, कालिदास और विद्यापति ने जन्म लिया। यहाँ के   कोने-कोने में संस्कृति की अजस्र धार बहती है। खगडिया अंगिका भाषा का एक प्रमुख केंद्र है. यहाँ अक्सर कैलाश झा किंकर की उपस्थिति में बहुत गर्मजोशी से कवि-गोष्ठियों का आयोजन होता रहता है.

26:05:2019 की शाम 07:00 बजे से श्री दुर्गास्थान, हरिपुर, अलौली, खगड़िया में कवि सम्मेलन का आयोजन हिन्दी भाषा साहित्य परिषद् खगड़िया के द्वारा अवधेश्वर प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।  कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध कवि/ ग़जलकार घनश्याम (पटना) मंचस्थ थे। विशिष्ट अतिथि के रूप मे डा0, अंजनी कुमार सुमन, व्याख्याता, महाबोधि बी एड कालेज नालंदा , डा0 सिद्धेश्वर काश्यप, हिन्दी विभाग, भूपेन्द्र नारायण विश्व विद्यालय मधेपुरा एवम् बिनोद कुमार हँसौड़ा, अध्यक्ष अर्णव कलश बिहार उपस्थित थे। राष्ट्र को समर्पित इस कवि सम्मेलन के उद्घाटन कर्ता थे सुभाष चन्द्र जोशी, संयोजक  , जिला संघर्ष मोर्चा,खगड़िया ।

श्रीदुर्गास्थान हरिपुर से इस कार्यक्रम में महासचिव कैलाश झा किंकर ने प्रत्येक माह के अंतिम रविवार को अलौली प्रखंड में कविसम्मेलन आयोजित करने की घोषणा की। गाँवों को सजाने -सँवारने वाले महान स्मृति शेष के नाम से सम्मान जारी करने और वर्ष के अंत में उन महान विभूतियों के जीवन परिचय पर आधारित पुस्तक प्रकाशन करके अपनी पीढ़ियों को प्रेरित करने का संकल्प भी लिया गया। 

प्रथम कड़ी में आज जिन नामित सम्मानों को जारी किया गया ,वे हैं- यमुना प्रसाद सिंह स्मृति सम्मान, शहीद दामोदर झा स्मृति सम्मान, शहीद राम प्रकाश सोनी स्मृति सम्मान, संतमती सावित्री देवी स्मृति सम्मान, रामरक्षी प्रसाद सिंह स्मृति सम्मान,यमुना ठाकुर स्मृति सम्मान, गंगा प्रसाद सिंह स्मृति सम्मान, उधो प्रसाद केशरी स्मृति सम्मान, बखोरी प्रसाद सिंह स्मृति सम्मान, महावीर प्रसाद सिंह स्मृति सम्मान, भजन पासवान स्मृति सम्मान, रामोतार शर्मा स्मृति सम्मान, त्रिवेणी प्रसाद भगत स्मृति सम्मान, राम बहादुर सिंह स्मृति सम्मान ।

सभी उपस्थित कवियों को ग्राम पंचायत राज हरिपुर के मुखिया अरुण कुमार सिंह ने अंगवस्त्रादि से अलंकृत करके उपरोक्त स्मृति सम्मान से सम्मानित किया ।

कवि सम्मेलन की शुरुआत स्थानीय कवि कैलाश झा किंकर की सरस्वती-वन्दना से हुई

मुख्य अतिथि घनश्याम ने अपनी प्रस्तुति में कहा-
अमन का जिस्म जब चोट खाकर क्रुद्ध होता है,
तो जीवन-मौत का जमकर भयंकर युद्ध होता है।

मंच संचालन कर रहे शिवकुमार सुमन ने कहा-
नफरतों का दौर है कुछ प्यार लिखना चाहिए, 
खत कभी महबूब को इक बार लिखना चाहिए।

अवधेश्वर प्रसाद सिंह ने अपनी प्रस्तुति में कहा-
कर इरादा चल पड़े तो पत्थरें भी कण में हों,
मोड़ देंगे हम हवा को हौसला गर मन में हो।

कैलाश झा किंकर ने अपनी प्रस्तुति में कहा-
अमर प्रेम वसुधे,
मुझे भी मिले तो,
शहीदों के शव पर,
वतन फिर खिले तो,
अभी आ रहा हूँ,

बिनोद कुमार हँसौड़ा ने अपनी प्रस्तुति में कहा-
ढूँढ़ता हूँ ऐसे नौजवान को, 
हो वतन से प्यार उस इन्सान को,
हों विवेकानन्द और सुभाष-सा,
स्वर्ग जो बनाए हिन्दुस्तान को

डा0 अंजनी कुमार सुमन ने अपनी प्रस्तुति में कहा-
नये ज़ज़्बात गिरते हौसलों में बो रहे हैं,
है छोटी आँख फिर भी, लाख सपने ढो रहे हैं।

डा0 सिद्धेश्वर काश्यप ने अपनी प्रस्तुति में कहा-
आप खुद पे यकीं कीजिए, ज़िन्दगी आशिकी कीजिए, 
हर क़दम है ज़हर आजकल, ये सदी विषपगी कीजिए।

सुखनन्दन पासवान ने शिक्षा गीत,बाल विवाह गीत और शराब बन्दी पर अपनी रचनाएँ सुनाकर वाहवाही लूटी तो स्थानीय नवोदित कवि नीतीश कुमार ने अपनी युवा दृष्टि को निष्पक्ष करने की बात कहते हुए कई कविताएं सुनाई।

संयुक्त सचिव विकास कुमार ने ऐसे आयोजन की शुरुआत अलौली प्रखंड से करने के लिए परिषद् का आभार प्रकट किया।

उद्घाटन कर्ता सुभाष चन्द्र जोशी ने कहा कि जहाँ साहित्यिक और सांस्कृतिक समारोह होते रहते हैं, वहाँ अपराध नहीं होता। खुशी है कि हरिपुर गाँव इस मामले में बड़ा धनी है जहाँ विन्ध्येश्वरी प्रसाद वर्मा, कैलाश झा किंकर, राजेश कुमार राही, शंकरानन्द, सुमन शेखर डोंगरियाल, रामदेव प्रसाद शर्मा और नीतीश कुमार जैसे साहित्यकार मौजूद हैं। वहीं उदय कुमार सिंह, अंजनी कुमार शर्मा, संजय कुमार, अरविंद कुमार सिंह, लाल बहादुर मिश्रा, राजीव कुमार झा सरीखे दर्जनों  विभूतियां सांस्कृतिक विरासत को सँभाले हुए हैं। अवकाश प्राप्त शिक्षक और विद्यालय बाल विकास केन्द्र हरिपुर की संस्थापना करके निजी विद्यालय की दिशा में प्रथम पहल करने वाले श्रीनारायण सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए अध्यक्ष के आदेश से देर रात तक चले इस कवि सम्मेलन के समापन की घोषणा की।
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आलेख-  कैलाश झा किंकर
छायाचित्र सौजन्य - कैलाश झा किंकर
लेखक का ईमेल - kailashjhakinkar@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु वैकल्पिक ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com
लेखक का परिचय- श्री किंकर, हिन्दी भाषा साहित्य परिषद् खगड़िया, बिहार के महासचिव हैं और अत्यंत सक्रिया हिंदी एवं अंगिका के कवि हैं.

















Monday, 27 May 2019

मेरा सफर और युवा साहित्य मंच द्वारा ओपन माइक का आयोजन 26-05-2019 को पटना में सम्पन्न

जमाने को हँसाया है,  बना जब भी  यहां जोकर


युवावर्ग ऊर्जा से लबालब भरा होता है। उसके प्रकटीकरण के दो रास्ते हो सकते हैं- विध्वंशात्मक या रचनात्मक। इस वर्ग की आवेगमयी ऊर्जा को विध्वंश के रास्ते पर ढलकने की बजाय रचनाशीलता की राह में मोड़ना आवश्यक होता है।  इस लिहाज से देश के विभिन्न शहरों में चल रहे ओपेन माइक कार्यक्रम का यह आधुनिक दौर महत्वपूर्ण है। इस दौर में वे लोग भी कविता और शायरी की ओर उन्मुख हो रहे हैं जिन्हें पहले हँसी-विनोद और उद्देश्यहीन रोमांच से फुरसत ही न थी।

दिनांक 26.5.2019 रविवार को मंगल तालाब पटना सिटी स्थित हितैषी पुस्तकालय में साहित्यिक संस्था "मेरा सफर" एवम "युवा साहित्य मंच" के संयुक्त  तत्वाधान में ओपन माइक का आयोजन किया गया।   'मेरा सफर" की संस्थापक कुमारी स्मृति एवम युवा साहित्य मंच  के संस्थापक राहुल वर्मा अश्क़ हरियाणा  ने बताया कि संस्था का उद्दयेश्य युवा वर्ग को साहित्य से जोड़ना, उनकी प्रतिभा को निखारना और उन्हें मंच प्रदान करना है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे मशहूर शायर मो. नसीम अख़्तर और विशिष्ट अतिथि के रूप में कवि सिद्धेश्वर। प्रतिभागियों में मुख्य रूप से डॉ. सुधा सिन्हा, शुभचन्द्र सिन्हा, सोनू कुमार मिश्रा, साकेत पाठक, जय श्री, अमित कुमार आज़ाद, गौरव सिन्हा, मनीष राही, मधु रानी, अर्चना सिंह, विष्णु विशाल, दिनेश राय, अंजनी भगत, शाइस्ता अंजुम, प्रभात कुमार धवन इत्यादि थे।

सब ने अपनी प्रस्तुति से श्रोताओंका मन मोह लिया। कार्यक्रम की समाप्ति से पहले अतिथियों को स्मृतिचिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।

मो. नसीम अख़्तर ने ये शेर पढ़ा ..
मैं चला अपना घर जलाने को,
रोशनी चाहिए ज़माने को ।

राहुल वर्मा अश्क़ की पंक्ति कुछ यूं थी-
जमाने को हँसाया है,
बना जब भी  यहां जोकर
ख़ुशी को आज़माया है
बुराई में लगी ठोकर ।

कुमारी स्मृति ने एक खास रोमांटिक अंदाज में अपनी ग़ज़ल से सभी का मन मोह लिया -
तिश्नगी रात भर,
हमनशीं रात भर।

इसके अतिरिक्त गौरव सिन्हा और जय श्री एवम कॉमेडियन साकेत पाठक ने भी खूब तालियां बटोरी। इस तरह से हँसी-खुशी के माहौल में यह कार्यक्रम समाप्त हुआ. 
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आलेख - मो. नसीम अख्तर
छायाचित्र - कुमारी स्मृति
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com









Wednesday, 22 May 2019

संगीत शिक्षायतन द्वारा "तुम और हम" समर कैंप -2019 दिनांक 21.5.2019 से पटना में आरम्भ

वेस्टर्न डांस, आर्ट एंड क्राफ्ट, कथक भी सीख रहे हैं बच्चे 
नाटक, काव्य लेखन पर परिचर्चा, और व्याख्यान और संगीत




पटना 21/05/2019 :  43 डिग्री के पारा चढ़े गर्मी में भी शिक्षायतन प्रांगण में चल रहे हैं  "तुम और हम" समर कैंप -2019 में बड़े उत्साह पूर्ण बच्चे एक से एक एक्टिविटी सीख रहे हैं। सुबह 6:30 से 11: 30 तक चलने वाले कैंप में सभी विधाओं  को मिलाकर लगभग 85 प्रतिभागी योगा, मार्शल आर्ट्स, वेस्टर्न डांस, आर्ट एंड क्राफ्ट, कथक सीख रहे है। साथ ही मस्ती और गेम उनके मनोरंजन के साथ उत्सुकता को और बढ़ा रहे।
हर विधा के लिए अलग अलग विशेषज्ञ मौजूद है।

कार्यशाला के दूसरे दिन, बच्चो को ध्यान और योग के महत्व को प्रायोगिक रूप में बताया गया।
आर्ट ऑफ सेल्फ डिफेंस, मार्शल आर्ट की कार्यशाला का मुख्य विषय था।

तत्कार और थाट की बारीकीयो को बताकर कथक कार्यशाला की शुरुआत हुई।

रंगाकृति, चित्रकला विभाग में कीर्ति किरण चित्रकला शिक्षिका ने बच्चो को अब्सट्रक ड्राइंग को कैनवास पर बनाना सिखाया।

कार्यशाला संयोजिका यामिनी (कथक नृत्यांगाना) ने बताया की आने वाले समय में कैंप में और भी एक्टिविटी और रोमांच होने है। जैसे नेचर, लाइफ, स्ट्रीट लाइफ पर लघु फिल्म  बनाई जाएगी। नाटक, काव्य लेखन पर परिचर्चा, और व्याख्यान, संगीत और पौधा रोपण और पेड़ - पोधो के गुणकारी लक्षण को बच्चें जान सकेंगे।
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आलेख -यामिनी
पता -  संगीत शिक्षायतन, काली मंदिर रोड, हनुमान नगर, कंकर, पटना -20
मोबाइल नंबर -  9835005666









Friday, 17 May 2019

संगीत शिक्षायतन में कला-प्रवाह-4 के अंतर्गत एक दिवसीय मूक-अभिनय कार्यशाला 12.5.2019 को पटना में सम्पन्न

प्रसिद्ध माइम कलाकार कमल नस्कर मूक अभिनय के गुर सिखाये
डॉ. शम्भू कुमार सिंह ने भी नृत्य संगीत की खूबियाँ गिनाईं




पटना रविवार 12.5.2019 को पटना के संगीत शिक्षायतन में कला प्रवाह- 4 कार्यक्रम के अन्तर्गत एक दिवसीय मूक अभिनय कार्यशाला तथा नृत्य संगीत  पर अन्योन्यक्रिया में लगभग 75 शिक्षार्थियों ने भाग लिया।

जैसा कि आपको पता है, 5 मई को पटना की संगीत शिक्षायतन संस्था ने अपना स्थापना दिवस पर परवाज़ कार्यक्रम के अन्तर्गत 30 निम्न आर्थिक वर्ग के बच्चों को नृत्य, चित्रकला और मार्शल आर्ट की शिक्षा देने की शुरुआत की उन बच्चों को विधिवत रूप से सिखाते हुए मंच कला और डिग्री प्रदान करने का सफल प्रयास शुरू किया।

इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए इस रविवार 12.5.2019 को साथ प्रसिद्ध माइम कलाकार कमल नस्कर (मॉडर्न सेंटर, कोलकाता) शिक्षायतन प्रांगण में मूक अभिनय के गुर सिखाये। जिसमें शिक्षार्थियों ने चेहरे के भाव,  शारीरिक भाव भंगिमा, अवरोधन चरित्र निभाने की कला को माइम के माध्यम से बखूबी बताया। बच्चो ने एक एक मुद्राओं को देख उत्साहित होते और लगातार तालियां बजते रहे। कमल नस्कर ने उत्साहवर्धन और भविष्य में कला के उपयोग को अपनाने की सलाह दी। साथ ही यह चिंता दर्शाई कि पिछले 10 वर्षों से वो पटना आ रहे है, लेकिन यहां लोग कला करना तो चाहते है परन्तु सीखना नहीं चाहते। इसलिए पटना में भी नियमित रूप से माइम की क्लासेज होनी चाहिए तथा स्कूल में भी विधिवत सिखाया जाना चाहिए। हालाकि शिक्षायतन पिछले 10 वर्षों से इस कोशिश में अनवरत प्रयासरत है। शिक्षायतन संस्था का संरक्षक होने के नाते वे हमेशा माइम की शिक्षा देते रहेंगे।  यामिनी एक अच्छी बेहतरीन कथक नृत्यांगना के साथ उच्च कोटि की कलाकार है। समाज में कला के संरक्षण और संवर्धन के लिए शिक्षायतन लगातार कई आयोजन करती रहती है। माइम करने वाले शिक्षार्थियों का यहां एक छोटा सा ग्रुप है। जो सीखते और प्रदर्शन भी करते है। एक अच्छी बात ये है कि यामिनी न केवल माइम के कलाकारों को बल्कि अभिनय, नृत्य, चित्रकला के भी शिक्षार्थियों को भी माइम सीखने को प्रेरित करती है।

साथ ही डॉ० शंभू कुमार सिंह (स्टेट कन्वेनर स्पीक मैके) संगीत नृत्य  के विषय में शिक्षार्थियों को जानकारी दी। नृत्य ,संगीत तो पहले हमें संस्कारित करता है । मन के कलुष को खत्म करता है । शरीर को भी विषरहित करता है । हमें सत्य से साक्षात्कार कराता है । जब हम निर्मल हो जाते हैं । आत्मा विमल हो जाती है तो हमारा कर्म भी विमल हो जाता है । आज जो समाज में कलुषता है , गंदगी है उसका मूल कारण यह है कि हम संस्कृति से दूर हो गए हैं ।  एक स्वच्छ दुनिया बनानी हो तो हमें नृत्य, संगीत से नेह जोड़ना पड़ेगा । 

कार्यक्रम की शुरुआत में संस्था की सचिव  रेखा शर्मा ने आगत सभी अतिथियों का पुष्पगुच्छ और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता यामिनी (कथक नृत्यांगना) ने कथक नृत्य द्वारा अभिनय, नाटक के अभिनय और माइम एक्टिंग (मुकाभिनय) को प्रायोगिक रूप में कर के दिखाया। साथ ही कला प्रवाह के उद्देश्यों को बताया कि कला का विस्तार प्रसार सभी के हृदय में होना आवश्यक है। कोई जरूरी नहीं कि प्रशिक्षु प्रदर्शन ही करें। बल्कि वे सीखें, समझें और आत्मसात कर जीवन को सरल और कलात्मक बनाएँ।

कला और साहित्य अनुरागी , पूर्व बैंक अधिकारी जय शंकर प्रसाद भी इस कार्यक्रम में पुष्पा प्रसाद (सामाजिक कार्यकर्ता) के साथ उपस्थित थे । उन्होंने ने भी बच्चों को संबोधित किया । अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि एकाग्रता और अभ्यास से हम कला के क्षेत्र में ऊंचाइयां छू सकते हैं । श्री प्रसाद ने बच्चों को यह भी कहा कि आपही भारत के भविष्य हैं और आप को एक बेहतरीन नागरिक होने के लिए कला और संस्कृति से जुड़ाव होना चाहिए।

शांभवी वत्स की  मनमोहक वाचन शैली में उद्घोषणा दर्शकों के बीच काफी सराहनीय रहा। अंत में केंद्राधीक्षक रुधीश कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
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आलेख - यामिनी 
छायाचित्र सौजन्य - संगीत शिक्षायतन
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com


 





Monday, 6 May 2019

संगीत शिक्षायतन के स्थापना दिवस पर 5.5.2019 को पटना में तीस बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देना प्रारम्भ

कला सीखना करना स्वयं को सशक्त करने का एक माध्यम है




संगीत शिक्षायतन के स्थापना दिवस के दिन 30 निम्न आर्थिक बच्चो को कला शिक्षा, मंच कला व विधिवत डिग्री प्रदान करने का सफल प्रयास शुरू किया गया।

समाज के विकास और मानव जनकल्याण के लिये शिक्षा बहुत जरूरी है, और कला शिक्षा भी।  सीखने सिखाने के इसी उद्देश्य को लेकर आज ही के दिन 5 मई वर्ष 2000 को कथक नृत्यांगना यामिनी ने 3 बच्चों के साथ अपने सपनों को साकार करने पंख फैला उड़ान भरी थी । हौसलों के कदम बढाते बढाते आज शिक्षायतन प्रांगण में एक बड़ा परिवार एक साथ कला कौशल को सीख, समझ और समाज में प्रसारित कर रहे हैं।

आज से अपनी इस स्थापना दिवस में 30 गरीब बच्चों को नृत्य, चित्रकला, मार्शल आर्ट की निशुल्क शिक्षा देने जा रही है। इस उद्देश्य से कि की आने वाले समय में यह अपने पैरों पर खड़े हो सके और समाज में अपनी पहचान बना सके। वो अपने सपनों की उड़ान भर सकें और इस समाज में अपना योगदान दे सके। 

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वल्लन से विधिवत की गयी। जिसके बाद संस्था की चीफ ट्रस्टी यामिनी ने इस कार्यक्रम का उद्देश्य और महत्व बताया।

सभी शिक्षार्थियों ने अपने हांथ में मोमबत्ती जलाकर जीवन में कुछ अच्छा करने का प्रण लेते हुए" हमको मन की शक्ति देना" प्रार्थना गीत गाया। विशिष्ट अतिथि  अवधेश झा योगाचार्य ने बच्चों में संस्कार स्वरूप को प्रयोगात्मक रूप में योग विधि के आधार पर बताया। कला सीखना और ग्रहण करना स्वयं को सशक्त करने का एक माध्यम है।

संस्कार भारती संस्था के रूपेश कुमार सिन्हा तथा प्रवीर कुमार ने बच्चो को कला को सीखने और आत्मसात करने की शिक्षा दी तथा "कर लो कुछ कर लो, कुछ सीख लो तुम सब आज" गीत को साथ साथ सभी बच्चो ने दोहराया। 

कोकुसाई शितो रू कराटे डो ऑर्गनाइजेशन इंडिया (kokusai shito Ryu karate-do organization, India) सेमार्शल आर्ट प्रशिक्षक सुशील कुमार (एसकेडी के चीफ) तथा सलाज कुमार (एसकेडी के तकनीकी प्रभारी) ने स्वयं की रक्षा और सुरक्षा करने के आयामों से परिचय कराया तथा मार्शल आर्ट को अपनाना और उपयोग की बारीकियों को समझाया।

इस समारोह के विशिष्ट गण  अर्थात 30 शिक्षार्थियों  में संस्था की सचिव रेखा शर्मा तथा नन्हे सदस्य रूद्र के हांथो, घुँघरू, यूनिफार्म आदि बाँटे गये। संस्था के केंद्राधीक्षक रूधीश कुमार ने बच्चो को कला शिक्षा, मंचकला के साथ साथ विधिवत डिग्री प्रदान कराने को आश्वस्त किया।

शिक्षार्थियों ने शिक्षायतन परिवार व कला से जुड़ी अपनी भावनाओं को सबके समक्ष रखा। उन्होंने कहा सीखने और कुछ करने की इच्छा उन्हें भी होती है लेकिन घर से अनुमति नहीं मिल पाती और हमेशा कुछ काम करने को कहा जाता है। बच्चों ने यह भी बताया कि कभी कभी वह खुद से जमीन पर ईंट के सहारे चित्रकारी करते हैं और उन्हें यह करते हुए भी बहुत अच्छा लगता है। कुछ बच्चों ने यह भी बताया की नृत्य करना और नृत्य ही करते रहना उनका सपना है। इसलिए कभी-कभी मोबाइल पर गाने बजा कर हम सब डांस कर लेते हैं। इस अवसर पर अतिथि  रमेश पोपली , प्रीति सिंह, तथा  अंजू महेंद्रा सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे। 

कार्यकर्म का संचालन  पूजा चौधरी ने अपनी कला कौशल के साथ बेहतरीन तरीके से संचालित किया। अंत में शिक्षायतन की चीफ ट्रस्टी ने सभी बच्चो अतिथियों और दर्शकों को सहृदय धन्यवाद ज्ञापन किया।
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आलेख - यामिनी 
छायाचित्र सौजन्य- संगीत शिक्षायतन 
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com