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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Sunday, 27 October 2013

ये दिल का कूचा कभी इतना वीरान न था


"ये दिल का कूचा कभी इतना वीरान न था
 कि जगह पाना इसमें
'हिम' आसान न था।

बम फूटने के पहले  हमें सड़कें हीं थीं पसंद 
घर के अन्दर की मस्ती का हमें भान न था।"
(-'हिम')

Roads were vacant on 27.10.2013 after serial bomb blasts in Patna (file photo)
शब्दार्थ : (1) कूचा = गली, (2) भान = जानकारी  


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