कवि भागवतशतशरण झा अनिमेष कई रूपों में याद किए जाएंगे।
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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]
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Tuesday, 11 October 2022
कवि भागवतशतशरण झा 'अनिमेष' : विसंगतियों पर चोट करनेवाला एक पूर्ण कलाकार (लेखक - अरविन्द पासवान)
Monday, 26 September 2022
भागवत 'अनिमेष' की चुनिंदा परवर्ती कविताएँ
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चली गई वह
•••••••••••••• ◆ भागवतशरण झा ' अनिमेष '
(प्रख्यात शास्त्रीय संगीत गायिका किशोरी अमोणकर को विनम्र श्रद्धांजलि )
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चली गई वह
केवल उसके बोल अनमोल रह गए
चली गई वह
जैसे पूरा हुआ हो गायकी का एक दौर
चली गई वह
जैसे चले जा रहे हैं कितने प्रिय दुर्लभ राग
चली गई वह
जैसे बहार के बाद चली जाती है ख़ास रौनकें
जैसे ख़ुशी के पराते ही गुम हो जाती है मन की खनक
जैसे अपनी भूमिका खत्म होते ही नेपथ्य में चला जाता है
समझदार अभिनेता
चली गई वह इसी तरह जैसे कि ग़ज़ल से गायब हो जाए
मक़्ते का शेर
चली गई वह
गायकी , सुर , ताल और आलाप का जाल समेटे
महाशून्य में वह फिर से
अनंत तक को कँपाकर थिर कर देगी
जो भी हो, उसके जाने से ऐसा लगता है
कि ठुमरी का कोई बोल टूटकर अधूरा रह गया हो
हमेशा के लिए
अब आवाज़ है , आवाज़ है , आवाज़ की जादूगरी है
अनहद नाद है
महासरस्वती में विलीन महामौन है
क्यों कहूँ कि चली गई वह ?
(वह भी हाड़-मांस की ही बनी थी)
महाकाल की चेरी ने भला किसे छोड़ा है?
यम की पटरानी से छली गई वह..!
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बिहार जागरण गीत बिहार दिवस पर विशेष
~~●~~●~~◆~~# भागवतशरण झा 'अनिमेष '
जग रे बिहार , जाग-जाग रे बिहार
जाग -जाग रे बिहार।
लक्ष्य नवल औ' विमल ,चल कदम बढ़ाए चल
एकता का मन्त्र मनन करता चल --- बढ़ता चल
रच ले , रच ले , रच ले नया संसार
वादा निभाना है ,आगे ही जाना है
मेहनत है मूलमन्त्र , सुख का खजाना है
जय बिहार ,जय बिहार हृदय से उचार
खुशियों की है खनक , भाईचारे की झनक
अमन-चैन समरसता माटी की मस्त महक
गाए मल्हार नव- विकास की बयार
जाग रे बिहार , जाग-जाग रे बिहार
जाग रे बिहार , जाग-जाग रे बिहार ।
~Bhagwat Animesh
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होली - गीत
◆ भागवतशरण झा 'अनिमेष '
मिथिला में आज मची होरी
मिथिला में
राजा गावै प्रजा बजावै
विदा भई भेद रही थोरी मिथिला में
मिथिला में आज मची होरी ...
चार -चार पाहुन परम् सुहावन
मातु सुनयना मति भोरी , मिथिला में
मिथिला में आज मची होरी ...
झाल , मृदङ्ग , झाँझ , ढप झनकै
और मँजीरन की जोरी , मिथिला में
मिथिला में आज मची होरी ...
रंग , भंग , मृदंग , चंग संग
भावै जनकलली गोरी मिथिला में
मिथिला में आज मची होरी ...
शेष गणेश बनै नहीं बरनत
रही नहीं नार नई कोरी मिथिला में
मिथिला में आज मची होरी ...।।
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दरभंगा , चैत्र प्रतिपदा , होली ।
© : कॉपीराइट प्रभावी
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गीत
******* # भागवतशरण झा 'अनिमेष '
जिन करियो गलत गँठजोर सजनजी होरी में
पूरब न जइयो जी पच्छिम न जइयो
उत्तर न जइयो जी दक्छिन न जइयो
थामे रहियो अँचरवा के कोर सजनजी होरी में
जिन करियो गलत गँठजोर सजनजी होरी में
गोरी निरखियो न काली निरखियो
साला निरखियो न साली निरखियो
मैं हूँ चन्दा और तू है चकोर सजनजी होरी में
जिन करियो गलत गँठजोर सजनजी होरी में
लिट्टी न खइयो समोसा न खइयो
इडली न खइयो जी डोसा न खइयो
खइयो मालपुआ गुझिया बेजोर सजनजी होरी में
जिन करियो गलत गँठजोर सजनजी होरी में
कोसी नहइयो न कमला नहइयो
गंगा नहइयो न जमुना नहइयो
प्रेम-रस से करूँगी सराबोर सजनजी होरी में
जिन करियो गलत गँठजोर सजनजी होरी में।
( # दूरदर्शन , पटना द्वारा 13 मार्च को 4:05 बजे अपराह्न
होली पर विशेष काव्योत्सव में प्रस्तुत गीत ।)
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#रात
■ भागवतशरण झा 'अनिमेष '
रात सर्द होती जा रही है
सोए सपने जागने लगे हैं
सन्नाटा बेचैनी के गीत गाने लगा है
ऐसे में मीत
लघुकथा-सा दुःख का राग
हो जाए उपन्यास तो कोई क्या करे ?
री सखि !
आज हम , तुम और दुःख जागेंगे
रात भर
पीड़ा के आकाश में प्रेम का चाँद निखरेगा
रात भर।