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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Thursday, 23 July 2020

आज घायल हुए अश'आर / अर्जुन प्रभात की दो गज़लें

ग़ज़ल -1
    आज घायल हुए अश'आर     

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आज घायल हुए अशआर ग़ज़ल रोती है 
जिन्दगी खुद से है बेज़ार ग़ज़ल रोती है ।

जल रहे शम्मा के मानिंद रात काली है 
तीरगी आज बेशुमार ग़ज़ल रोती है ।

यूँ तो तनहाइयाँ बढ़ी बड़ी खामोशी है 
जाने किसका है इंतज़ार ग़ज़ल रोती है ।

वो जो अपने थे कभी आज हैं बेगानों में
बीच में बन गयी दीवार ग़ज़ल रोती है ।

अजनबी आज क्यों हुए हैं यहां हम अर्जुन ?
कर के रिश्तों को दरकिनार ग़ज़ल रोती है ।
.....   
         
                
ग़ज़ल -2 
 कहाँ जायें बतलाओ
              
थके -थके हैं पाँव ,कहाँ जायें बतलाओ ?
हुआ वीराना गाँव, कहाँ जायें बतलाओ  ?

द्रोहानल में आज दग्ध होता जन जीवन ।
नहीं नेह की छाँव कहाँ जायें बतलाओ  ?

काका, भैया के रिश्ते अब पड़े पुराने ।
अब हर ओर तनाव, कहाँ जायें बतलाओ ?

सूने हैं चौपाल आज पनघट सूना है ।
सबसे है अलगाव, कहाँ जायें बतलाओ  ?

आज न दरवाजे पर लोगों की है टोली ।
बुझते सभी अलाव, कहाँ जायें बतलाओ  ?

खूनी होली, नफरत की अब है दीवाली ।
सभी खोजते दाँव, कहाँ जायें बतलाओ  ?

अर्जुन आहत हृदय और आंखें पथरायी ।
हरे हुए सब घाव, कहाँ जायें बतलाओ  ?
                ...


कवि - अर्जुन प्रभात
पता - मोहीउद्दीन नगर, समस्तीपुर ( बिहार )
कवि का ईमेल आईडी - arjunprabhat1960@gmail.com
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Thursday, 16 July 2020

भा.युवा साहित्यकार परिषद के द्वारा मधुरेश नारायण का एकल आभासी काव्य पाठ 15.7.2020 को सम्पन्न

आज भर का ही है गरल

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"सामाजिक चेतना को जाग्रत करती है, 
कल के सुनहरे पल के लिये ही तो जी रहा हूँ
आज भर का ही है गरल, यह सोच के पी रहा हूँ।
उम्मीद पर ही तो दुनिया टिकी, हम भी टिके हैं
वक़्त के ज़ख़्म को धैर्य के सूई धाँगे से सी रहा हूँ।"

और कविता की यह रवानगी भी देखिये -
"मैं वह पत्थर नहीं जिसे तराश कर बुत बनाया जाये
न मैं वह पारस हूँ जिसे छू कर कुंदन बनाया जाये
मैं दुनिया के मेले का एक अदना-सा मुसाफ़िर हूँ
कोशिश करता हूँ, भटके हुए को रास्ता  दिखाया जाये।"

आन लाइन "हेलो फेसबुक साहित्य प्रभात के तहत अपने एकल काव्य पाठ में वरिष्ठ कवि मधुरेश नारायण ने एक से बढ़कर एक गीत, गजलों और नगमों की झड़ी लगा दी। मौका था, भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में आयोजित तथा अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के फेसबुक पेज पर आयोजित लाइव एकलयपाठ का। कविताओं पर चर्चा करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने कहा कि - "साहित्य कर्म का धर्म भी यही है कि अपनी सृजनात्मकता से, दिग्भ्रमितों को एक नई दिशा दिखलाते हुए, उनके भीतर उत्साह का संचार करें। इस मायने से साहित्य सृजन के पथ पर सामाजिक चेतना को जगाने का धर्म निभा रही है मधुरेश नारायण की कविताएं।" 
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प्रस्तुति - सिद्धेश्वर
प्रस्तोता का परिचय - अध्यक्ष, भारतीय युवा साहित्यकार परिषद 'पटना
चलभाष -9234760365
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