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सामाजिक परिवर्तन हेतु सम्पूर्ण रूप से क्रियाशील एक साहित्यकार
दिनांक 6 अक्टूबर,2017 को पटना के अभिलेख भवन में विख्तात साहित्यकार ममता मेहरोत्रा के कथा-संग्रह 'मेरी प्रिय कहानियाँ' का लोकार्पण हुआ जिस अवसर पर शहर के अनेक गणमान्य साहित्यकार उपस्थित थे. सामयिक परिवेश संस्था द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकारों, समाजसेवकों और पत्रकारों को सम्मानित भी किया गया. संयोगवश यह कथाकार और सामयिक परिवेश की प्रधान सम्पादक ममता मेहरोत्रा का जन्मदिन भी था जो साहित्यकारों ने पूरे उल्लास के साथ मनाया और उन्हें बधाइयाँ दीं. साथ ही इस अवसर पर आज की लोकप्रिय गायिका नीतू नवगीत का लोक-गायन भी हुआ जिसे खचाखच भरे सभागार में उपस्थित कलाप्रेमियों ने खूब पसंद किया. सम्मानित होनेवालों में अनेक साहित्यकारों में कुछ नाम थे विभा रानी श्रीवास्तव, सरोज तिवारी, विभा सिंह, अविनाश झा, डॉ. सुजीत वर्मा, सागरिका चौधरी, डॉ.रामनाथ शोधार्थी, वसुंधरा पाण्डेय, पूनम आनंद, सिद्धेश्वर, नीतू नवगीत, श्रुति मेहरोत्रा, मनोज बच्चन, मुकेश महान, संजय शुक्ला आदि. रक्तदानकर्ताओं को विशेष रूप से सम्मानित किया गया. पत्रकारिता के क्षेत्र में सम्मानित होनेवालों में 'बिहारी धमाका' ब्लॉग के ब्लॉगर हेमन्त दास 'हिम' भी शामिल थे. उपस्थित साहित्यकारों में घनश्याम और लता पराशर भी थे.
डॉ. रामनाथ शोधार्थी ने आरम्भिक उद्घोषणा करके कार्यक्रम को आरम्भ करने का अनुरोध किया. मंचासीन साहित्यकारों में रत्ना पुरकायस्थ (उपनिदेशक, दूरदर्शन बिहार), ममता मेहरोत्रा, समीर परिमल, कासिम खुरशीद, संजय कुमार कुंदन, प्रीति सेन, ओपी शाह आदि भी विराजमान थे जिन्होंंने दीप जलाकर कार्यक्रम का विधिवत आरम्भ किया. फिर उन्हीं गणमान्य अतिथियों द्वारा ममता मेहरोत्रा रचित पुस्तक 'मेरी प्रिय कहानियाँ' का लोकार्पण किया गया.
सामयिक परिवेश के सम्पादक और चर्चित पुस्तक 'दिल्ली चीखती है' के शायर समीर परिमल ने ममता मेहरोत्रा की साहित्यिक यात्रा और सामाजिक क्षेत्र में उपलब्धियों का संक्षिप्त परिचय दिया. फिर ममता मेहरोत्रा ने अपनी पुस्तक के बारे में दो शब्द कहे और सबके प्रति अपना आभार व्यक्त किया. इसके पश्चात सम्मान-पत्र वितरण का कार्यक्रम हुआ जिसके लिए बड़ी संख्या में साहित्यकार, समाजसेवक आदि आमंत्रित थे. अंत में लोकप्रिय गायिका नीतू नवगीत का लोकगीत गायन हुआ. उनके द्वारा गाये गए विद्यापति गीत 'जै जै भैरब असुर भयाउन' और अन्य गीतों को लोगों ने काफी पसंद किया और तालियाँ बजा-बजा कर इसका इजहार करते रहे.
मुख्यत: नारीवादी विषयों पर लिखनेवाली ममता मेहरोत्रा के लेखन में उनका एकपक्षीय नहीं बल्कि सम्यक, संतुलित दृष्टिकोण और परिवर्तन लाने को जुझारू व्यक्तित्व उजागर होता है. सबसे अधिक लोकभाषाओं में अनुवाद हेतु उनके पुस्तक का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड्स रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है और उनकी दस से अधिक कहानियों का पसिद्ध नाट्य संस्थाओं ने मंचन भी किया है. वे प्रख्यात लेखिका होने के साथ-साथ सामाजिक क्षेत्र में भी अत्यंत सक्रिय हैं. सामाजिक मुद्दों पर संदेश को जनता तक पहुँचाने के लिए उन्होंने अपने मार्गदर्शन में 'काश' सहित अनेक लघु फिल्मों का निर्माण करवाया है जिसमें आशुतोष मेहरोत्रा और श्रुति मेहरोत्रा ने उनका साथ दिया है. साथ ही बाढ़ राहत, रक्तदान शिविर आदि के आयोजनों में भी उनकी केंद्रीय भूमिका रही है. उन्होंने बच्चों, बूढ़ों, नारीवर्ग के लिए अनेक कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी की है और स्वच्छता अभियान को भी बढ़ावा देने का काम किया है.
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ममता मेहरोत्रा की पुस्तक 'टुकड़ों टुकड़ों में औरत' की समीक्षा पढ़िए-
ममता मेहरोत्रा की पुस्तक 'टुकड़ों टुकड़ों में औरत' की कहानियों पर आधारित नाटकों की समीक्षा पढ़िए -
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इस आलेख के लेखक- हेमन्त दास 'हिम'
फोटोग्राफर- हेमन्त 'हिम' और लता पराशर
आप अपनी प्रतिक्रिया इस ईमेल पर भेज सकते हैं- hemantdas_2001@yahoo.com
नोट- उपस्थित साहित्यकारों में से कुछ के नाम ही उल्लिखित हो पाए हैं. कार्यक्रम में उपस्थित अन्य साहित्यकार यदि अपना नाम जुड़वाना चाहते हैं तो ईमेल करें, फेसबुक मेसेज करें अथवा ब्लॉग पर दिये गए व्हाट्सएप्प नंंबर पर मेसेज करें (इस हेतु कॉल न करें).
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