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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Monday 25 November 2019

'आगमन' ने अपनी कवि गोष्ठी में शुरू की 'ग़ज़ल की कार्यशाला', पटना में 24.11.2019 को

ख़ूबसूरत तमाम तस्वीरें, दिल की गहराइयों में गुम कर दी

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एक तो साहित्य की सबसे कठिन विधा है काव्य और उसमें भी ग़ज़ल को आप अहले दर्जे का मान सकते हैं। इसका शिल्प बहुत कड़ाई के साथ स्थापित दायरों का पालन करता है वह भी इतनी महीनी के साथ कि सबकुछ मात्रा की गणना निर्धारित सांचे में ही करना है। आप बस 38-  39 में से कोई एक सांचा चुन सकते हैं फिर कोई कमी-वेशी बिल्कुल मान्य नहीं है। बला तो यह है कि इन सारे मापदंडों पर खड़े उतरने के बावजूद भी कथ्य संबंधी कमियों से आपकी ग़ज़ल को खारिज किया जा सकता है। कुल मिलाकर यूँ समझिये कि अगर खुदा ने आपको ये नेमत नहीं बख्शी है तो आप कभी शायर नहीं बन सकते। लेकिन इस भाग्यवादी सोच को नकारने को सामने आये हैं कुछ मंझे हुए ग़ज़ल प्रशिक्षक जो युवा ग़ज़लकारों के लिए देवदूत से कम नहीं समझे जाने चाहिए।

दिनांक 24 नवंबर 2019 को साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था 'आगमन' की पटना शाखा द्वारा स्थानीय वीर कुंवर सिंह पार्क, पटना में मासिक गोष्ठी सह ग़ज़ल की कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता सुनील कुमार ने की। प्रथम सत्र में लोकप्रिय एवं वरिष्ठ शायर समीर परिमल द्वारा ग़ज़ल की कार्यशाला आरंभ की गई जिसमें उन्होंने ग़ज़ल की बारीकियों, काफ़िया, रदीफ़, बहर, मतला, मक़्ता आदि को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि दो मिसरों में नज़ाक़त के साथ इशारों में पूरी बात कहना आसान नहीं। उन्होंने मशविरा दिया कि ग़ज़ल सीखने के लिए बड़े शायरों को पढ़ना ज़रूरी है। 'आगमन' की सचिव वीणाश्री हेम्ब्रम ने बताया कि ग़ज़ल की कार्यशाला को नियमित रूप से चलाया जाएगा और व्हाट्सएप्प ग्रुप बनाकर ऑनलाइन फिलबदीह एवं तरही मुशायरे का आयोजन किया जाएगा।

दूसरे सत्र में काव्य-पाठ हुआ जिसमें डॉ. सुधा सिन्हा, नेहा नूपुर, वीणाश्री हेम्ब्रम, श्वेता प्रियदर्शिनी, डॉ. मीना परिहार, पूनम सिन्हा 'श्रेयसी', सुनील कुमार एवं समीर परिमल आदि ने अपनी रचनाओं से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।

वीणाश्री हेम्ब्रम ने दिल की गहराई में कुछ जगने की बात की- 
कुछ इश्क सा जगने लगा गहरे कहीं अंदर
कि सोचा जब भी तुम्हें ख्वाब पलने लगे

पूनम सिन्हा 'श्रेयसी' सब कुछ खामोशी से करती हैं -
श्रृंगार हुआ चुपके चुपके
 इज़हार हुआ चुपके चुपके

सुनील कुमार ने अपना पल्ला झाड़नेवालों को डुबो डाला -
प्राकृतिक प्रकोप नहीं है
ना कोई ये अद्भुत घटना
अपनी ही नाली में डूबा
देखो देखो देखो पटना।

सुधा सिन्हा को कोई बुला रहा है अपने ही अंदाज से -
हवा तुमको छू के आने लगी है
मुझको वहीं पे बुलाने लगी है

एक शायर जब टैक्स महकमे का अफसर हो जाता है तो क्या होता है सुनिये आपबीती मशहूर शायर समीर परिमल से -
ख़ूबसूरत तमाम तस्वीरें
दिल की गहराइयों में गुम कर दी
एक शायर ने ज़िन्दगी अपनी
टैक्स की फ़ाइलों में गुम कर दी

नेहा नुपुर ने सामाजिक हालात पर कह डाली समय की सबसे बड़ी बात और शायरना नज़ाकत के साथ - 
घाव की सूखी पपड़ियाँ कुरेद तब दर्द बहा सकते थे
अब खून में फैल गया जहर, जख़्म में जरा मवाद नहीं था।

इस प्रकार यह ग़ज़ल कार्यशाला और कवि गोष्ठी के दोहरे स्वरूप को पूर्ण करते हुए यह गोष्ठी सम्पन्न हुई।
.....

प्रस्तुति - हेमन्त दास 'हिम'
छायाचित्र सौजन्य - समीर परिमल और वीणाश्री हेम्ब्रम
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com










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