गजल – 1 : आशीष अनचिन्हार
Poem ( Gazal) -1 by Ashish Anchinhar
छै सभ कियो असगर
अपने अपन सहचर
Everyone is alone
Companion of his own
ई आगि ओ आगि
दुन्नू रहल मजगर
I was ahead or you
Happy were we two
बुझबै अहाँ सभ
किछु
एतै जखन अवसर
You wouldl know my chum
When the chances come
जीवन मने बिजनस
रिस्को रहत कसगर
Life means business
Huge risks you face
संवेदना टूटल
खूनो रहै पनिगर
Sensitivity nowhere
Blood is now thinner.
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Original poem by Ashish aAnchinhar
Poetic English translation by Hemant Das 'Him'
गजल – 2 : आशीष अनचिन्हार
Poem ( Gazal) -2 by Ashish Anchinhar
लूटक मंडीमे बैसल
छी हम
झूठक मंडीमे बैसल
छी हम
I am sitting in the market of plunder
I am sitting in the market of blunder
भेटैए रंग बिरंगक
समाद
दूतक मंडीमे बैसल
छी हम
Messages of different colours are pouring in
I am sitting where everyone is messenger
छै हुनके थारी
सभहँक हिस्सा
भूखक मंडीमे बैसल
छी हम
His plate contains everyone's meal
I am sitting with the masses of hunger
अबियौ किनियौ
हमरे दोकानसँ
छूटक मंडीमे बैसल
छी हम
Come and buy from only my shop
I am showing the rate to which I sell under
कोठा बनलै सौंसे
दुनियाँमे
खेतक मंडीमे बैसल
छी हमl
The whole world has become now buildings
I am sitting in open land just like a farmer.
...
Original poem by Ashish aAnchinhar
Poetic English translation by Hemant Das 'Him'
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Introduction of the poet
has been given below in मैथिली, हिन्दी and English-
कवि-परिचय: आशीष अनचिन्हार मैथिली
गज़लक पर्याय छथि. हिनकर गज़ल प्राय: छोट बहर केँ किन्तु अत्यन्त धारदार होइत अछि. गज़ल
विधा केँ ऊर्दूक धरोहर मात्र समझबाक भ्रांति केँ दूर करै मे हिनकर बहुमूल्य योगदान
अछि आ ताहि लेल मैथिली हिनका सदिखन यादि राखत. हिनकर ब्लॉगक नाम ‘अनचिनन्हार आखर’ अछि (लिंक नीचाँ देल) जेकरा
माध्यम सँ ई भरि दुनिया केँ मैथिली जानैबला लोकनि केँ मैथिली गज़लक तकनीक आ इतिहास के
सम्बंध में प्राबुद्ध करि रहल छथि. मैथिली भाषाक वरिष्ठ साहित्यकार आ मैथिली भाषा में सबसँ
पहिने सँ अति-लोकप्रिय ई-पत्रिका ‘विदेह’ चलौनिहार गजेन्द्र
ठाकुरक संग ई सम्पूर्ण विश्व मे मैथिली गज़लक समकालीन रचनाकर्मक मशाल जरबs मे अपन तन-मन सँ लागल छथि.
कवि-परिचय: आशीष अनचिन्हार मैथिली गज़ल के पर्याय हैं. इनकी गज़लें
अक्सर छोटे बहर वाली किन्तु अत्यन्त धारदार होती हैं. गज़ल विधा को ऊर्दू मात्रकी धरोहर
समझने की भ्रांति को दूर करने में इनका बहुमूल्य
योगदान है. इस वास्ते मैथिली इनको हमेशा याद रखेगी. इनके ब्लॉग का नाम ‘अन्चिन्हार
आखर’ है (लिंक नीचे दिया है) जिसके माध्यम से ये दुनिया के मैथिली के जाननेवालों को
मैथिली गज़ल की तकनीक और इतिहास के बारे में प्रबुद्ध कर रहे हैं. मैथिली भाषा के वरिष्ठ
साहित्यकार और मैथिली में सर्वप्रथम पाक्षिक ई-पत्रिका निकालने वाले गजेन्द्र ठाकुर
के साथ ये सम्पूर्ण विश्व में मैथिली के समकालीन रचनाकर्म की मशाल जलाये र्खने में
अपने तन—मन से लगे हैं.
Introduction of the poet: Ashish Anchinhar is the other name of Maithili
gazal. His gazals are mostly of small width (bahar) though sharp ones. They have a valuable contribution in removing the notion that Ghazal style as the real heritage of Urdu. Maithili
will always remember them for this. The name of his blog is 'Achicharan Akhtar'
(link is given below) through which he is enlightening about the technique and
history of Maithili Ghazal people of the world. Along with Gajendra Thakur, who
is the veteran, scholar and litterateur in Maithili language and the first to
get fortnightly e-magazine in Maithili, he is engaged wholeheartedly to light
the torch of the contemporary gazal writing of Maithili throughout the world.
छोटी बह्र की श्रमसाध्य विधा में ग़ज़ल की बेहद खूबसूरत प्रस्तुति। साधुवाद।
ReplyDeleteअनुवाद भी उतना ही श्रेष्ठ। साधुवाद आप दोनों को।
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