ग़ज़ल -1
आज घायल हुए अश'आर
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आज घायल हुए अशआर ग़ज़ल रोती है
जिन्दगी खुद से है बेज़ार ग़ज़ल रोती है ।
जल रहे शम्मा के मानिंद रात काली है
तीरगी आज बेशुमार ग़ज़ल रोती है ।
यूँ तो तनहाइयाँ बढ़ी बड़ी खामोशी है
जाने किसका है इंतज़ार ग़ज़ल रोती है ।
वो जो अपने थे कभी आज हैं बेगानों में
बीच में बन गयी दीवार ग़ज़ल रोती है ।
अजनबी आज क्यों हुए हैं यहां हम अर्जुन ?
कर के रिश्तों को दरकिनार ग़ज़ल रोती है ।
.....
ग़ज़ल -2
कहाँ जायें बतलाओ
थके -थके हैं पाँव ,कहाँ जायें बतलाओ ?
हुआ वीराना गाँव, कहाँ जायें बतलाओ ?
द्रोहानल में आज दग्ध होता जन जीवन ।
नहीं नेह की छाँव कहाँ जायें बतलाओ ?
काका, भैया के रिश्ते अब पड़े पुराने ।
अब हर ओर तनाव, कहाँ जायें बतलाओ ?
सूने हैं चौपाल आज पनघट सूना है ।
सबसे है अलगाव, कहाँ जायें बतलाओ ?
आज न दरवाजे पर लोगों की है टोली ।
बुझते सभी अलाव, कहाँ जायें बतलाओ ?
खूनी होली, नफरत की अब है दीवाली ।
सभी खोजते दाँव, कहाँ जायें बतलाओ ?
अर्जुन आहत हृदय और आंखें पथरायी ।
हरे हुए सब घाव, कहाँ जायें बतलाओ ?
...
कवि - अर्जुन प्रभात
पता - मोहीउद्दीन नगर, समस्तीपुर ( बिहार )
कवि का ईमेल आईडी - arjunprabhat1960@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com
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