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Sunday, 10 May 2020

भोजपुरी और हिंदी के दिवंगत लेखक कृष्णानंद / लेखक - जितेन्द्र कुमार

भोजपुरी और हिंदी के लेखक कृष्णानंद कृष्ण 27.4.2020 को सिधारे

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कृष्णानंद कृष्ण 


कृष्णानंद कृष्ण जी हिंदी पत्रिका"पुनः"के संपादक थे।पुनः समकालीन कथा चेतना की अनियतकालीन पत्रिका रही है। हिंदी अँग्रेजी और भोजपुरी भाषा पर उनकी अच्छी पकड़ थी।हिंदी भोजपुरी के कई साहित्य रूपों में उन्होंने सृजन किया और साहित्य को समृद्ध किया।शरीर में सोडियम की कमी से वे पिछले कई सालों से जूझ रहे थे।कुछ महीनों से वे बेंगलुरू में बेटे के पास रहकर इलाज करा रहे थे। 27अप्रैल,2020 को 72 वर्ष 9 महीना 25 दिन की उम्र में उनका निधन बेंगलुरू में हो गया। भोजपुरी में उनके  पाँच कहानी-संग्रह हैं---
(1) एह देश में, (2) रावन अबहीं मरल नइखे, (3) गाँव बहुते गरम बा, (4) हादसा, (5) एक सही निर्णय

कृष्णानंद कृष्ण एक अच्छे शायर और कवि थे । भोजपुरी में उन्होंने ग़ज़लें और सॉनेट लिखे। उनका ग़ज़ल-संग्रह है:नया सूरज चढ़ल जाता। 51 सॉनेटों का संग्रह है: आपन गाँव भेंटाते नइखे।

भोजपुरी साहित्य के वे चर्चित आलोचक थे। भोजपुरी आलोचना की उनकी उल्लेखनीय किताबें हैं:(1) भोजपुरी कहानी:विकास आ परम्परा, (2) हिंदी लघुकथा:स्वरूप और दिशा,।

इसके अतिरिक्त संपादित कृतियाँ हैं: (1) भोजपुरी कहानी,(2) समकालीन भोजपुरी कहानियाँ, (3) प्रतिनिधि कहानी भोजपुरी के,(4) इसी दिन के लिए, (5)लघुकथा:सृजन और मूल्यांकन (6) शताब्दी शिखर की हिंदी लघुकथाएँ (7) एक मुट्ठी लाई,(8) एकइसवीं सदी आ भोजपुरी,।उन्होंने आनंद संधिदूत और भाष्कर जी के साथ मिलकर"भोजपुरी के अस्मिता चिंतन"का संपादन किया।

वे भोजपुरी साहित्य के ऐक्टिविस्ट साहित्यकार थे।वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन के पूर्व महासचिव थे।

उनका आशियाना पथ संख्या-8,अशोक नगर, कंकड़बाग कॉलोनी, पटना-20 में था। शायद उनके दो पुत्र और एक सुपुत्री हैं। तीनों व्यवस्थित हैं। उनकी पत्नी अभी हैं।

कंकड़बाग स्थित आवास पर मैं उनसे कई बार मिला था।अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन के विलासपुर और जमशेदपुर अधिवेशन में एवं कार्यकारिणी की बैठकों में उनसे मुलाकात होती थी।वे रिटायर्ड सहायक अभियंत्रण अभियंता थे। उनका जन्म 2 जुलाई,1947 को भोजपुर जिला के चाँदी गाँव (नरहीं चाँदी) में हुआ था।

उन्होंने भोजपुरी साहित्य की अप्रतिम सेवा की। उनके निधन से भोजपुरी और हिंदी साहित्य को अपूरणीय क्षति हुई है।इधर भोजपुरी के कई साहित्यकार लगातार मंच छोड़ते जा रहे हैं:पाण्डेय कपिल, गीतकार अनिरुद्ध, प्रो ब्रजकिशोर, कथाकार बरमेश्वर सिंह, कवि कथाकार संपादक जगन्नाथ जी, अक्षयवर दीक्षित जी सभी थोड़े समय में दिवंगत हो गए।

कृष्णानंद कृष्ण जी की स्मृति को नमन।
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लेखक - जितेन्द्र कुमार
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इस लेख के लेखक - जितेंद्र कुमार


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