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Wednesday, 21 November 2018

ईश्वर एक है चाहे अल्लाह कहें या ब्रह्म / ध्रुव गुप्त

सरकार की आमद मरहबा !



'धर्म वह है, जहां कोई बाध्यता नहीं है। आप दूसरों का मार्गदर्शन नहीं कर सकते। ईश्वर चाहे तो उनका मार्गदर्शन अवश्य कर सकता है।'

'दयालुता धार्मिकता की पहचान है। जिसमें दया नहीं, वह धार्मिक हरगिज़ नहीं हो सकता।' 
'जिसने एक मानव की हत्या की, उसने गोया पूरी मानवता की हत्या की। जिस किसी ने एक मनुष्य को बचा लिया, उसने मानवता को बचा लिया।'

'मुसलमान वह है जिसके हाथ और ज़ुबान से दूसरे लोग महफ़ूज रहें।'

'किसी कौम की दुश्मनी आपको इस बात पर आमादा न कर दे कि आप उनके साथ अन्याय करने लग जाओ ! हरएक के साथ इन्साफ करो चाहे वह दूसरे मज़हब का मानने वाला क्यों न हो !'

'अगर किसी मुसलमान ने किसी गैर मुस्लिम पर ज़ुल्म किया तो मै क़यामत के दिन उस मुसलमान के विरुद्ध उसका वकील बनकर खड़ा होऊंगा और उसे इन्साफ दिलाऊंगा !'


सभी मित्रों को मानवता, प्रेम, अमन और भाईचारे के महान संदेशवाहक, इस्लाम के प्रवर्तक और उसके आखिरी नबी पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्मदिन ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मुबारक़, कुरआन और वेद के इस मूल मंत्र के साथ !

'ला ईलाहा ईल्लला' - अल्लाह सिर्फ एक है, दूसरा कोई नहीं (कुरआन)
‘एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति’ - एक ब्रह्म ही है, दूसरा कुछ भी नहीं (वेद)
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प्रस्तुति- ध्रुव गुप्त
श्री ध्रुव गुप्त का लिंक- यहाँ क्लिक कीजिए
श्री ध्रुव गुप्त एक राष्ट्रीय स्तर के प्रख्यात लेखक और शायर हैं तथा सेवानिवृत आई.पी.एस.अधिकारी हैं. ये  पटना में रहते हैं.


ध्रुव गुप्त, पूर्व आइपीएस
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इस मौके पर पेश है अविनाश अमन के कुछ शेर -
जिस वक़्त तो ए मर्दुम ज़ेर तुराब होगा
सारे किए धरे का तुझसे हिसाब होगा
उड़ जाएंगे जबल और होगी ज़मीं ब्याबां
छिपने को कौन सा फिर उस जा निक़ाब होगा
इस अवसर पर अविनाश अमन की पूरी ग़ज़ल पढ़िए अरबी और देवनागरी लिपि में-
https://urdupagesbiharidhamaka.blogspot.com/2018/11/blog-post.html




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