अपाहिज आस्थाएं दौड़तीं तक़दीर के पीछे
मगर तक़दीर चलती है सदा तदबीर के पीछे
Injured beliefs always run after a fate
Though the fate follows merits of high rate
पराजित सर्वदा होते रहे विक्षिप्त-उन्मादी
विजय चलती सुमन-माला लिए रणधीर के पीछे
Zealots and maniacs are vanquished at the end
And he wins the war who often thinks and wait
गवाही दे रहे खुलकर लहू के अनगिनत धब्बे
घिनौनी लालसाएं पल रहीं जागीर के पीछे
Thousands stains witness the ghastly bloodshed
Breeding over estates, is the greed that we hate
हुआ हमला हमीं पर बाढ़-आंधी-धूप-वर्षा का
सुरक्षित रह गया उनका जहां प्राचीर के पीछे
Only we did face flood, storm, sun n rain
They sat securely in a castle with iron gate
व्यथा का बोझ अपने-आप हल्का हो गया सारा
मुख़ातिब हम हुए ज्योंही पराई पीर के पीछे
The heap of griefs with me did diminish itself
The moment I turned to other's sorrows great
हिफ़ाजत जान की बाज़ी लगाकर भी करेंगे हम
निग़ाहें दुश्मनों की पड़ गयीं तस्वीर के पीछे
We shall safeguard at the cost of our lives
Foes gloat over the pic and may get me irate
सुनहरा ख़्वाब देखा था कभी 'घनश्याम' ने बेशक
समर्पित-मन अत: तल्लीन है ताबीर के पीछे
Ghanshyam had cherished some day a golden dream
So he is engrossed to fulfill before it's late.
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ग़ज़ल -2
शुद्ध अंत:करण नहीं मिलता
स्वस्थ वातावरण नहीं मिलता
कर्म से मन-वचन नहीं मिलते
धर्म से आचरण नहीं मिलता
भंगिमाएं भी बात करती हैं
मौन का व्याकरण नहीं मिलता
छल-कपट-द्वेष फूलते फलते
नेह का अंकुरण नहीं मिलता
नींद अन्याय को नहीं आती
न्याय को जागरण नहीं मिलता
त्रास, पीड़ा, घुटन, जलन मिलती
कोई करुणाकरण नहीं मिलता
लुट रहे संस्कार शब्दों के
अर्थ का अवतरण नहीं मिलता
हाथ पर हाथ मत धरे रहिए
मुफ़्त पोषण-भरण नहीं मिलता
...
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ग़ज़ल-3
अलग तुमसे नहीं मेरी कथा है
तुम्हारी ही व्यथा मेरी व्यथा है
ये गूंगे और बहरों का शहर है
किसी से कुछ यहां कहना वृथा है
हताहत सभ्यताएं हो रही हैं
हुआ पौरुष पराजित सर्वथा है
तुम्हीं से ज़िन्दगी में रोशनी है
चतुर्दिक कालिमा ही अन्यथा है
बिना बरसे घुमड़ कर भाग जाता
कृपण, बादल कभी ऐसा न था है
समय का दोष है या आदमी का
सदा ऐसे सवालों ने मथा है
अभी 'घनश्याम' की पूंजी यथा है
समर्पण, प्यार, अपनापन तथा है.
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कवि का आत्म-परिचय
नाम : घनश्याम
पिता का नाम : स्व.रामेश्वर प्रसाद
जन्मतिथि : 01.04.1951
शिक्षा : बी.एस-सी.(प्रीवियस)
व्यवसाय : बिहार राज्य विद्युत बोर्ड से सेवानिवृत्त लेखापाल
सम्मान :
दलित साहित्य अकादमी, नई दिल्ली द्वारा अम्बेडकर
फेलोशिप सम्मान, कवि मथुरा प्रसाद गुंजन स्मृति
सम्मान के अतिरिक्त अन्य साहित्यिक और सामाजिक
संस्थाओं द्वारा सम्मानित.
फेलोशिप सम्मान, कवि मथुरा प्रसाद गुंजन स्मृति
सम्मान के अतिरिक्त अन्य साहित्यिक और सामाजिक
संस्थाओं द्वारा सम्मानित.
प्रकाशित कृतियां :सापेक्ष-32 ग़ज़ल विशेषांक, इन्द्रधनुषी हिन्दी ग़ज़ले
कविता अनवरत-1 साझा संकलन के अतिरिक्त अनेक
पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित
कविता अनवरत-1 साझा संकलन के अतिरिक्त अनेक
पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण :आकाशवाणी से रचनाएं प्रसारित.
पता बड़ी कोठी, लल्लू बाबू का कूंचा
पटना सिटी, पटना-800009.
ईमेल : sajalghanshyamgmail.com
हार्दिक आभार बिहारी धमाका !
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