Pages

Tuesday, 20 November 2018

'आखर' द्वारा उषाकिरण खान से बातचीत 16.11.2018 को पटना में सम्पन्न

विचारधारा से बंधकर लिखना मेरे लिए मुश्किल


मिथिला की महिला पहले से ही शिक्षा और कला को लेकर सजग है, जिसका उदाहरण मिथिला पेंटिंग है। ये बातें हिंदी मैथिली के प्रसिद्ध गद्यकार पद्मश्री उषाकिरण खान ने प्रभा खेतान फाउंडेशन, मसि इंक द्वारा आयोजित एंव श्री सीमेंट द्वारा प्रायोजित आखर नामक कार्यक्रम में बातचीत के दौरान कही। मैथिली कवि और पत्रकार किशोर केशव से बातचीत में मैथिली भाषा साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश पड़ा। 36 पुस्तक प्रकाशित जिसमें से हिंदी की 20 और मैथिली की 16 पुस्तकें प्रकाशित है एंव 250 कथा निबन्ध, संस्मरण विभिन्न पत्र, पत्रिकाओं में छपा हुआ है। 

इनकी पहली रचना 18 वर्ष की उम्र में हुई । इन्होंने कविता से साहित्य लेखन में प्रवेश किया । 1976 में पहली उपन्यास अनुत्तरित प्रश्न का प्रकाशन हुआ। इनके लेखनी में गांव के कथा का प्रभाव ज्यादा है। पूर्ववर्ती लेखक में बंगला के शरतचन्द्र और हिंदी मैथिली के नागार्जुन यात्री का आंशिक प्रभाव देखने को मिलता है। पूरे भारत मे उषाकिरण खान पर कई छात्रों ने पीएचडी किया है जिसमें में से चार छात्र दक्षिण भारत के हैं। मैथिली में पहली कथा मनमोहन रे दरभंगा के परिवेश पे लिखा गया है। इनकी दूसरी उपन्यास हसीना मंजिल भारत पाकिस्तान और् बांग्लादेश के गठन की कथा है जो मिथिला के लहेरी समाज पर लिखा गया था।। डॉ खान के उपन्यास पर इतिहास का भी प्रभाव देखने को मिलता है। भामती पुस्तक पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि वाचस्पति मिश्र अपने पत्नी के पति होने का परिचय बोध कराते हैं। उनके कहानियों में पीड़ा और चिंतन का भी बोध होता है।

मैथिली स्त्री के उत्थान पर पंचायती राज में महिलाओं की तरक्की हुई, लड़कियां घर से निकलकर स्कूल, कॉलेज तक पहुंची। 

मैथिली में समीक्षा और आलोचना की काफी कमी है। विचारधारा के बारे में उन्होंने कहते हुए कहा कि विचारधारा से बंधकर लिखना मेरे लिए मुश्किल है। मैं किसी भी गुटबाजी से परहेज करती हूं। मैथिली उपन्यासकार में अपनी पसंद बताते हुए उन्होंने कहा कि हेतुकर झा, मधुकांत झा, और आशा मिश्र मेरे प्रिय लेखक है। 

पोखर रजोखिर के समर्पण में उन्होंने पाँच नए लेखकों को नाम दिया तथा उन्होंने कहा कि यही लोग अब साहित्य को आगे ले जाएंगे।

इस कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन मसि इंक की संस्थापक और निदेशक आराधना प्रधान ने किया। इस कार्यक्रम में उपन्यासकार रत्नेश्वर सिंह, धीरेंद्र कुमार झा, भैरवलाल दास, जितेंद्र वर्मा, शिव कुमार मिश्रा, शाहनवाज खान आदि लोग उपस्थित थे।
......
आलेख - सत्यम
छायाचित्र- आखर
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आइडी- editorbiharidhamaka@yahoo.com
 





No comments:

Post a Comment

अपने कमेंट को यहाँ नहीं देकर इस पेज के ऊपर में दिये गए Comment Box के लिंक को खोलकर दीजिए. उसे यहाँ जोड़ दिया जाएगा. ब्लॉग के वेब/ डेस्कटॉप वर्शन में सबसे नीचे दिये गए Contact Form के द्वारा भी दे सकते हैं.

Note: only a member of this blog may post a comment.