उपेक्षा के विविध आयामों को उकेरते शब्द-चित्र
Vignettes of different dimensions of neglect
भोजपुरी गीत-1
(Bhojpuri song with its poetic English translation)
परSब तीज के दिनs आईल
सगरो हुलासs छाईल
गहना न घरs बाड़े
बइठल बानी मन मारे
बइठल बानी मनमा के मार
कईसे करीं हम सिंगार?
This – a day of festival
Every one is happy and jovial
No ornaments with me here
I have been sitting in despair
How I adorn to look good and fair.
घरs मे न दाना रहे
न चुल्हा के ठेकाना रहे
आ लरिका रोवत रहे
ममता झsखत रहे
बेची अइनी बनिया से हार
कइसे करीं हम सिंगार.
No grains the pan I shove
No way to enlighten the stove
And the child was crying
My motherhood helplessly lying
I sold out the necklace to the grocer
How I adorn look good and fair?
ओही दिन के बात बोली
दिन भईल पानी बूनी
टपs टपs घरs चूए
हरs हरs मनs रोए
बेची अइनी टिकवा उतार
कइसे करीं हम सिंगार.
This is the matter of that day
It rained whole day ignoring my pray
My house started leaking
My heart bitterly weeping
The pretties of forehead I couln’t spare
How do I adorn, look good and fair
लाजS के तS बातS रहे
लूगा तारS तारS रहे
अंगS अंगS झाँकत रहे
लोगS बागS ताकत रहे
बेची अइनी झाँझS हम उतार
कइसे करीं हम सिंगार.
A matter difficult to be said
My saree was so ragged
My parts of body were visible
Being sad I faced glare of people
Went to the shop and gave my zill there
I do I adorn, look good and fair
xxxxxxxxxxxxxxxxxxx
भोजपुरी गीत-2
देहिया पियरिया भइले
हो राम.
ताSकत ताSकत आन्हर भइनी
जियरा न मानी जाSनत रहनी
रहS रहS हूकS के लहरिया उठे हो राम
देहिया पियरिया भइले हो राम.
तनS लहके मनS दहके
क्छुओ न भावे घर के
मन मे पिया मुसुकिया मारे हो राम
देहिया पियरिया भइले हो राम.
ढरS ढरS लोर ढSरे
केकरो से कछु ना कहे
रही रही दुअरिया ताके हो राम
देहिया पियरिया भइले हो राम.
लोगS बागS ताके झाँके
घरी घरी पूछे आके
कबS ले सँवरिया अइहें हो राम
देहिया पियरिया भइले हो राम.
दिनS बीतल रातS बीतल
मन गलल तन गलल
तबही सँवरिया अइले हो राम
सगरो अँजोरिया भले हो राम
देहिया पियरिया भइले हो राम.
Writer of the above two songs: Dr. Ramesh Pathak
Translator of the first song: Hemant Das 'Him'
डॉ. रमेश पाठक भेज्पपुरी और हिन्दी के काफी सम्वेदनशील कवि हैं. इनका एक हिन्दी कविता-संग्रह 'बूँद-बूँद स्वाति' वातायन, पटना से प्रकाशित हो चुका है. इनकी अनेक कविताएँ, कहानियाँ विभिन्न सम्ममानित पत्र-पत्रिकाओं जैसे- नई धारा, हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर आदि में प्रकाशित होते रहे हैं तथा ये आकाशवाणी पर अनेक बार विज्ञान शोध, साहित्य और सामाजिक मुद्दों पर कार्यक्रम देते रहे हैं. इन्हें कवि-गोष्ठी के प्रतिष्ठित मंचों पर भरपूर सराहना मिलती रही है. पेशे से ये ए.एन.कॉलेज, पटना में प्राणीशास्त्र के प्राध्यापक हैं.
Dr. Ramesh Pathak is a highly versatile poet of Bhojpapuri and Hindi. One of his Hindi poems-collection 'Bud-Bud-Swati' has been published in Vatthan, Patna. Many of his poems, stories have been published in different symposical journals such as New Section, Hindustan, Dainik Bhaskar etc. And they have been giving programs on science, research, literature and social issues many times. He has received great appreciation on the prestigious forums of the Poetry. From the profession, he is a professor of zoology in A.N.College, Patna.
No comments:
Post a Comment
अपने कमेंट को यहाँ नहीं देकर इस पेज के ऊपर में दिये गए Comment Box के लिंक को खोलकर दीजिए. उसे यहाँ जोड़ दिया जाएगा. ब्लॉग के वेब/ डेस्कटॉप वर्शन में सबसे नीचे दिये गए Contact Form के द्वारा भी दे सकते हैं.
Note: only a member of this blog may post a comment.