कविताओं के अंश नीचे प्रस्तुत हैं-
Sardar Manjeet Singh |
प्रदीप चौबे:
जो हँसा
वो बसा
मगर जो बसा
वो फिर क्या हँसा?”
……
“साली ने जीजा से कहा- जीजाजी मैं पास हो गई, मिठाई खिलाओ
जीजा ने कहा – जरूर खिलाऊँगा, थोड़ी और पास हो जाओ.”
.....
“लालू ने चारा खाया” इसका फ्यूचर
टेन्स बनाओ.
-
“अब लालू दूध देगा.”
.......
शादी की पूण्य तिथि
......
एक नौजवान और एक नवयुवती आपस
में खिल-खिलाकर बातें कर रहे थे.
एक बूढ़े ने दूसरे बूढ़े से पूछा-
क्या वह लड़्का उस लड़की का भाई
है
दूसरे बूढ़े ने जवाब दिया-
नहीं, वह लड़की उसको भायी है”
गौरी मिश्रा-
“कोई मेरे चेहरे को चाँद बतलाता
कोई कहता आफताब लगती हूँ मैं
उम्र भर जिसकी ख्वाहिश थी आपको
आपकी वही ख्वाब लगती हूँ मैं”
मनजीत सिंह-
“हूँ कवि मैं साहसी नहीं डरता
सिकन्दर से
स्थान: भारतीय नृत्य कला मन्दिर मुक्ताकाशी मंच, फ्रेजर रोड, पटना
आयोजक: सोपान एवम मॉन्टेसरी स्कूल
प्रतिभागी- सन्तोष आनन्द, प्रदीप चौबे, डॉ. सुरेश अवस्थी, रामबाबू सिकरवार, सरदार मंजीत सिंह, गौरी मिश्रा
Sardar Manjeet Singh |
Gauri Mishra |
Gauri Mishra |
Dr. Suresh Awasthi |
Pradip Chaube |
Praadip Chaube |
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