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Monday, 17 April 2017

आयकर सांस्कृतिक समूह द्वारा 'पप्पू पास हो गया' नामक नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन पटना में 14.4.2017 को सम्पन्न



अन्य राज्यों में बिहारियों के साथ दुर्व्यवहार पर क्षोभ
"आमजन था कभी / अब खास हो गया गया 
पप्पू पास हो गया-2"

'पप्पू पास हो गयाव्यक्तिगत अच्छाइयों और सामाजिक दोषों के बीच संघर्ष का एक प्रदर्शन है। हमारे-आपके परिवार के समान ही एक परिवार में एक भोला-भाला लड़का अपनी स्नातक परीक्षा में बार-बार खराब प्रदर्शन कर रहा है और हर बार अपने पूर्व-मुखिया भाई गजबदन सिंह के सामने मुँह लटका कर आ जाता है। अपने छोटे भाई में गजबदन की सारी उम्मीदें टूट गई हैं। वह निराश है। प्रो.प्यारेलाल, उसका दोस्त उसे दिलासा देने की कोशिश करता है लेकिन बेकार. एक और मित्रवकील के पास हमेशा एक तैयार समाधान है और वह है उन लोगों के खिलाफ कानूनी मुकदमा दायर करने काजो इस चमकदार प्रतिभाशाली लड़के पप्पू को परीक्षा में फेल कर रहे हैं. यद्यपि गजबदन जानता है कि वकील के कहने पर मुकदमा दायर करने से उसे खुद परेशान होना होगा इसलिए वह उसकी बातों पर ध्यान नहीं देता है। पार्श्व से यह गीत गाया जाता है-

"जो पढ़ाई से डरता है / ढेंचू ढेंचू करता है / जेब से बिल्कुल कड़का है /
रोते रोते झण्डू च्यवनप्राश हो गया / उदास हो गया / पप्पू उदास हो गया।"

अंततः कुछ और प्रयासों के बाद  पप्पू परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाता है। सभी खुश हैं लेकिन कहानी यहाँ खत्म नहीं होती है। वास्तव मेंनाटक के ज्वलन्त मुद्दे तो यहां से आरम्भ ही होते हैं। कुछ दिनों के बादपप्पू  बुरी तरह घायल कई पट्टियों से बँधा घर लौटता है। पूछने पर, बताता है वह दूसरे प्रांत में प्रतियोगी भर्ती परीक्षा में भाग लेने के लिए गया था जहाँ उसके साथ-साथ सात अन्य बिहारियों को भी वहाँ रहनेवाले अपने ही देशवासियों द्वारा मारपीट और बुरे व्यवहार का सामना करना पड़ा। गजबदन सिंह असहनीय हार्दिक पीड़ा के साथ चीख उठता है कि क्यों एक ही देश के एक देशवासी दूसरे देशवासियों के साथ इस तरह के कठोर तरीके का व्यवहार करता है।

कहानी प्रारम्भ से ही दो असम्बद्ध दिख रही कड़ियों में बढ़ती है। दूसरी कड़ी पीछा करने वाला दृष्यों से बना है जिसमें चिरकुट चिन्दीचोर नामक एक चोर के पीछे खतरा सिंह उर्फ मामू नामक एक सिपाही दौड़ रहा है। पृष्ठभूमि मेंएक गीत "बात मान रुक जा / नहीं मामा नहीं / कहता हूं रुक जा / नहीं मामा नहीं" चल रहा है। चोर को बार-बार पकड़ा जाता हैहालांकि बार-बार वह किसी न किसी तरीके से पकड़ से निकल भागने में सफल हो जाता है। अंत में जब सिपाही खतरा सिंह उसे पूरी तरह से अपनी मजबूत गिरफ्त में ले लेता है तो चिन्दीचोर बताता है कि उसकी पोटली में मात्र थोड़े प्याज और दालें हैं। वह अपने सुरक्षित कब्जे में इन अपनी खरीदी हुई सामग्रियों को रखने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उसे डर है कि इनके मूल्य किसी भी समय आसमान छू सकते हैं।
नाटक के चरमोत्कर्ष मेंपप्पू प्रण लेता है कि अब वह नौकरी के लिए प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में नहीं भाग लेगा बल्कि वह वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के लिए गांव जाएगा ताकि देश के किसी भी नागरिक को अनाज की कमी का सामना न करना पड़े। और इस तरह से  पप्पू अपने देश की वास्तविक परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाता है.

जो पढ़ाई से डरता है / भीतर से अकड़ता है / जेब से बिल्कुल कड़का है /
लजपोकर था पहले अब झकास हो गया / पप्पू पास हो गया -2

समीक्षा: भागवत शरण झा 'अनिमेशपटना में आयकर विभाग में काम करने वाले एक विपुल लेखकनिर्देशकअभिनेता और गायक हैं। उन्होंने न केवल राजकुमार प्रेमी और उनके पूर्ववर्ती द्वारा स्थापित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाया है बल्कि वास्तव में उन्हें एक अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर पहुँचाया है। नुक्कड़ नाटक का यह टुकड़ा आलेख और निर्देशन के स्तर पर उनकी योग्यता का प्रशंसापत्र है। संगीत के टुकड़े पूरी तरह से नाटक के दृश्यों में  घुले-मिले हैं और नाटक को और अधिक भावपूर्ण बनाते हैं। पप्पू की मुख्य भूमिका में  मुकुंद कुमार ने अपने अभिनय-यात्रा के आरम्भ में ही प्रेक्षागृह को हिला कर रख दिया। प्रो. प्यारेलाल के रूप में नवनीत मिश्रा ने अपने चरित्र के साथ पूर्ण न्याय कियाहालांकि वह भी एक नये कलाकार हैं। सेवक राम के पात्रको विजय कुमार द्वारा खेला गया था जो एक अनुभवी अभिनेता और गायक है। दोनों मोर्चों पर उनका योगदान नाटक के लिए अत्यधिक मूल्यवान थे। खतरा सिंह रणजीत कुमार थेजिन्होंने एक निर्दोष व्यक्ति चिरकुट चिन्दी चोर की भूमिका में उपेंद्र कुमार के लिए खतरनाक तरीके से खतरा पैदा कर किया था। समूह के अनुभवी रत्न कलाकार उपेंद्र कुमार के अभिनय ने नाटक के प्रत्येक मिनट के दौरान दर्शकों का ध्यान खींचे रखा।

'उस्ताद' की भूमिका में  राजकुमार भारती और 'लाल बुज्झक्कड़' के किरदार में हेमंत दास 'हिमने नाटक के आरम्भ और अंत को भव्य बना दिया। गजबदन सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई निर्देशक भागवत अनिमेष  जिन्होंने भारत के नवयुवकों के अभिभावकों की चिंताओं को सामने लाकर दर्शकों की भवनाओं को झकझोर दिया। यह नुक्कड़ नाटक अनेक प्रासंगिक मुद्दों तथा समाज में वर्तमान दुर्भाग्यपूर्ण विरोधाभासों को प्रदर्शित करने में पूरी तरह से सफल रहा । नाटक के सभी कलाकार आयकर विभागपटना के काम करनेवाले या सेवानिवृत्त कर्मचारी थे।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद काल विकास युवा समितिपटना के तत्वावधान में महान नाट्य-कलाकार सफ़ददर हाशमी के जन्मदिन के अवसर परबिहार हिंदी साहित्य सम्मेलनकदम कुआँपटना के सभागार में कार्यक्रम का आयोजन किया गया  जिसका समन्वयन नेहाल कुमार सिंह निर्मल द्वारा किया गया। इस मौके पर मौजूद वक्ताओं ने सफदर हाशमी की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किए और उपर्युक्त नाटक के प्रदर्शन की जी भर के सराहना की ।


साभार- दैनिक सहारा









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