कविता -1
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कवयित्री अपने भाई के साथ |
भाई दूज का पर्व है आया
कुमकुम अक्षत थाल सजाया
भाई को प्रेम से तिलक लगा
रक्षा का अनमोल वादा पाया
भाई पर अटूट प्रेम बरसाये
बहनों के मन खूब हर्ष समाये
बचपन का वो लड़ना झड़ना
बीती हुई यादों से मन हर्षाये
भाई बहन रिश्ता होता खास है
कोई फ़र्क़ नहीं दूर है या पास है
ह्दय से जब एक दूजे से प्रेम हो
हर दिन ही होता फिर ख़ास है
घर आँगन में ख़ुशियाँ छाई
बहनें अक्षत रोली ले कर आई
सजी हुई थाली प्रेम की हाथो में
अधरो पर मुस्कान सजाकर आई
ह्दय की गगरी से ममता रस छलके
प्रीत डोर के प्यार में एक दूजे में बँधके
हरदम दूर रहे बहन- भाई की विपदाएँ
दुख न हो जीवन में सुख के अंकुर फूटे
मस्तक चंदन तिलक लगाकर
रक्षा का अनमोल वादा पाकर
बहना की ख़ाली झोली भर जाऐ
आओ धूम धाम से हम पर्व मनाएँ.
कविता -2
भाई दूज का पर्व मनाया
रोली अक्षत थाल सजाया
भई बहन का प्यार अमर है
हर कोई यह है जाने- माने
माँ देती खूब दुआएँ
सब की लेती है बलाऐ
भाई छोटा हो या बड़ा
बहन रक्षा का वचन है लेती
जीवन की हर कठिन डगर पर
साथ कभी न छूटे
जीवन की आपा धापी में
रिश्तों की ये नाव कभी न टूटे
मस्तक तिलक लगाकर
गाऐ प्यार के नगमें
भर कर आँखों में आशाएँ
ममता का रस छलकाए
प्रेम ही प्रेम ह्दय समाये
एक दूजे पर विश्वास अटूट
बहन भाई का प्यार है अटूट
भाईदूज की अनुपम बेला
बहन खुशहाली के दीपजलाये
भाईदूज का पर्व मनाये
रोली अक्षत थाल सजाये.
....
कवयित्री - अलका पाण्डेय
कवयित्री का ईमेल- alkapandey74@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-11-2019) को "यूं ही झुकते नहीं आसमान" (चर्चा अंक- 3506) " पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं….
-अनीता लागुरी 'अनु'
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सुन्दर। शुभकामनाएं।
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