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Sunday, 13 October 2019

नवगीतिका लोक रसधार द्वारा छठ पर्व के गीतों पर नीतू कुमारी नवगीत का गायन 13.10.2019 को पटना में सम्पन्न

केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके झुके

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यूथ हॉस्टल एसोसिएशन बिहार और सांस्कृतिक संस्था नवगीतिका लोक रसधार द्वारा लोक आस्था के महापर्व छठ से जुड़े पारंपरिक गीतों पर आधारित कार्यक्रम जय छठी मैया का आयोजन यूथ हॉस्टल परिसर,  फ्रेजर रोड, पटना में किया गया । 

कार्यक्रम का उद्घाटन रेल ब्हील फैक्टरी की प्रधान वित्त सलाहकार पुष्पा रानी, बिहार प्रशासनिक वाइव्स एसोसिएशन की अध्यक्ष पुष्पलता मोहन, अलका प्रियदर्शिनी, कलाकार मनोज कुमार बच्चन, वरिष्ठ कवि अनिल विभाकर, नीलांशु रंजन, यूथ हॉस्टल एसोसिएशन बिहार शाखा के अध्यक्ष मोहन कुमार, संगठन सचिव सुधीर मधुकर, रतन कुमार मिश्रा, सचिव एके बॉस और हॉस्टल प्रबंधक कैप्टन राम कुमार सिंह ने किया ।

 लोक गायिका डॉ नीतू कुमारी नवगीत ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना मंगल के दाता भगवन बिगड़ी बनाई जी गौरी के ललना हमरा अंगना में आई जी के साथ की । उसके बाद उन्होंने शुद्धता, सच्चाई और समर्पण के महापर्व छठ से जुड़े अनेक लोक गीतों की प्रस्तुति की।

केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके झुके, उगिहैं सुरुज देव होते भिनुसरबा अरग के रे बेरिया हो, उ जे केरवा जे फरेला घवद से, ओह पे सुगा मंडराय, मार्बो रे सुगवा धनुष से सुगा गिरे मुरझाए, कांचे ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए, पटना के घाट पर हमहुं अरगिया देवई हे छठी मईया, हम ना जाइब दोसर घाट हे छठी मईया, छठ के बरतिया करा दीह, घाट बनवा दीह ओ पिया, हाजीपुर से केलवा मंगा दीह ओ पिया जैसे गीतों को गाकर गायिका नीतू कुमारी नवगीत ने माहौल को छठमय बना दिया। 

गंगा माता की महिमा का बखान करते हुए नीतू कुमारी नवगीत में कई गीत गाए जिसे श्रोताओं ने खूब पसंद किया । उन्होंने मांगी ला हम वरदान हे गंगा मईया मांगी ला हम वरदान, मनवा बसेला हे गंगा, तोहरी लहरिया, जियारा में उठेला हिलोर हो माई तोरे जगमग पनिया और चलली गंगोत्री से गंगा मैया जग के करे उद्धार जैसे गीत मां गंगा को समर्पित किए। 

सांस्कृतिक कार्यक्रम में राजन कुमार ने तबला पर, राकेश कुमार ने हारमोनियम पर अजीत कुमार यादव ने झंझरी पर और विष्णु थापा ने बांसुरी पर संगत किया।  यूथ हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहन कुमार ने कहा कि लोक आस्था के महापर्व छठ और दूसरे त्योहारों के अवसर पर डीजे से जितना दूर रहा जाए उतना ही बढ़िया है ।

डीजे से शोर बढ़ता है जबकि हमारे पारंपरिक लोक संगीत से मन को शांति मिलती है और भक्ति की भावना बढ़ती है । कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ ध्रुव कुमार ने छठ की ऐतिहासिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पर्व हमें प्रकृति से जोड़ता है छठ के दौरान प्रयोग में आने वाली प्रायः हर वस्तु जैसे सूप चूल्हा, दउरा प्रकृति के अनुकूल है । प्लास्टिक और इस से बनी चीजों का प्रयोग छठ के दौरान वर्जित है। जल जमाव और जल प्रदूषण का एक बड़ा कारण प्लास्टिक से बनी वस्तुएं हैं।
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आलेख - दिलीप कुमार द्वारा भेजी गई सामग्री के आधार पर
छायाचित्र - 
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com












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