हर वाद्य का अपना सौंदर्य, उपकरण, गुण और विशेषताये
तीन ताल, बनारस बाज का विशेष ठेका, गत -फर्द, रेला, टूकड़ा - परन और लग्गी की छटा बिखरी
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पटना 06/08/19 : आज संगीत शिक्षायतन में कार्यक्रम कला प्रवाह के अंतर्गत "तालमणि सम्मान -2019" 'सम्मान एवं अभिनंदन' सह व्याख्यान एवं प्रदर्शन आयोजन किया गया जिसमें अतिथि कलाकार, पंडित अरविंद कुमार आजाद (प्रसिद्ध तबला वादक, पुणे) ताल मणि सम्मान से सम्मानित किया गया हारमोनियम पर संगत कलाकार बक्शी विकास (नृत्य व गायन गुरु, आरा)।
पुणे से पधारे सुविख्यात तबला वादक पंडित अरविंद कुमार आजाद ने स्वतंत्र तबला वादन में तीन ताल में उपज की उठान, बनारस बाज का विशेष ठेके की बढ़त, अलग अलग जातियों में खास खास कायदा, गत -फर्द, रेला, टूकड़ा - परन और लग्गी सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया l पंडित ने व्याख्यान में कहा कि "तबले में हाथो की रख रखाओ खासा महत्व रखता हैं l संगत और सोलो दोनो वादन शैली में एक कुशल तबला वादक को बड़े सूझ बूझ की आवश्यकता होती है l हारमोनियम पर आरा के चर्चित कथक गुरु बक्शी विकास ने संगत किया l गुरु विकास ने भी अपने सम्बोधन में कहा कि संगीत आत्मा की अभिव्यक्ति है l किसी भी भाव को अभिव्यक्त करने का कला सशक्त माध्यम है l "गुरु बक्शी विकास ने आधुनिक युग में कथक की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
वर्तमान समय में कथक की लोकप्रियता बहुत बढ़ी है l नवीन प्रयोगों और कल्पनाशीलता ने कथक को चारदीवारी से निकाल कर विश्व में ख्याति दिलाई है l किंतु आज़ की पीढी कथक के मूल तत्वों से परिचित नही हो पा रही है यह चिन्तनीय है l यह कला कला जहाँ एक ओर वैज्ञानिक और तकनीकी आधार रखती है, वहीं दूसरी ओर भाव एवं रस को सदैव प्राणतत्वण बनाकर रखती है।
सत्कार प्रस्तुति:-
शिक्षायतन के गायन विभाग के शिक्षार्थियों द्वारा
अंजनी गुप्ता (बांसुरी वादन) ने राग हंस ध्वनि में मधुर बसुरी धुन से दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया। रवि प्रभाकर (उपशास्त्रीय गायक) ने दादरा "आया करे कह दो सांवरिया से" गाकर खूब तालियां बटोरी। कथक नृत्यांगना यामिनी ने कार्यक्रम कला प्रवाह के उद्देश्यों और विजन को बताया कि समाज में कला और पारंपरिक कला का विकास अति आवश्यक है। समाज में सभी कलाकार न भी बने परन्तु कला को समझने की क्षमता अवश्य विकसित होनी चाहिए।
कला प्रवाह के अन्तर्गत कला तथा संगीत के सेमिनार, व्याख्यान, बातचीत, प्रदर्शनी और मंच प्रदर्शन होते है। इसी क्रम में वाद्य कला की विशेषता की उपयोगिता को देखकर कला प्रवाह का आयोजन किया गया। जिसका विषय वाद्य - रंग वाद्य कला को समर्पित कर आयोजित किया गया है। 64 कलाओं में से एक है वाद्य कला। वाद्य कला एकदम से स्वतंत्र कला होती है। साथ ही संगत कला में अद्वितीय स्थान है । जैसा कि गायन में बातों को व्यक्त करने के लिए शब्द होते हैं, नृत्य में भाव और मुद्रा ही होते हैं। परंतु वाद्य में ऐसा कुछ भी नहीं। जबकि प्रत्येक वाद्य का अपना कुछ विशेष सौंदर्य, उपकरण, गुण और विशेषताएं होती हैं। जिसमें उसे पूर्ण बनाते हैं। इन्हीं विशेषताओं की उपयोगिता को देखकर हमें वाद्य कला को भी उतना ही बढ़ावा देना चाहिए जितना हम कला के अन्य आयामों को देखते और समझते हैं।
संगत कलाकार उपस्थिति:-
• धीरेंद्र कुमार धीरज (गायक शास्त्रीय संगीत)
• प्रवीण कुमार (तबला वादक) व
• शिक्षायतन के उदीयमान कलाकर अमित प्रकाश ने ग़ज़ल गाई जिसकी खूब सराहना मिली। नन्हे कलाकार सोर्या सागर ने सूफी गाने में अपनी आवाज़ से जादू बिखेर दिया। जिसमें तबले पर शिवम् कुमार ने संगत कर वाद्य कला का बेहतर उदाहरण प्रस्तुत किया।
संस्था की सचिव रेखा शर्मा ने अथिति कलाकार, पंडित अरविंद कुमार आजाद को शॉल तथा प्रतीक चिन्ह देकर ताल मणि सम्मान 2019" से सम्मानित किया तथा रजनी शर्मा (कार्यकारी सदस्य, संगीत शिक्षायतन) सभी अगत अथिति कलाकारों को प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत सम्मान किया। मोहम्मद जिया हसन (कार्यकर्म अध्यक्ष) ने धन्यवाद ज्ञापन किया। तथा कार्यक्रम का कलात्मक संचालन शांभवी वत्स ने बखूबी सफलता पूर्वक किया ।
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प्रस्तुति - रेखा शर्मा
द्वारा - मधुप चंद्र शर्मा
छायाचित्र - संगीत शिक्षायतन
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com
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