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Tuesday, 6 August 2019

प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा 4.8.2019 को पटना में आयोजित साहित्यिक गोष्ठी सम्पन्न

एक दिन जीत उसी की होगी / जो सच के साथ खड़े हैं

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दिनांक 4.8.2019,दिन बुधवार को जन शक्ति भवन, अदालत गंज, पटना में प्रगतिशील लेखक संघ पटना इकाई द्वारा "इस अंधेर समय में प्रेमचंद" विषय पर एक गोष्ठी और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया । कार्यक्रम की अध्ययता डॉ खगेश ठाकुर ने की । मुख्य अतिथि के रूप में डॉ ब्रज कुमार पाण्डेय आमंत्रित थे । प्रेमचंद की तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने के साथ कार्यक्रम  आरंभ हुआ । 

मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में किसान से मजदूर और फिर गुलाम हो जाने की पीड़ा को उकेरते हुए प्रेमचंद की कहानियों में आज के बंचित पीड़ित लोगों के दर्द के बीच अंतर्सम्बंध स्थापित किया और उनकी राहत के लिए संगठन के लोगों को अपनी जिम्नेदरियों से अवगत कराया।  

प्रलेस की पटना इकाई की अध्यक्षा रानी श्रीवास्तव ने प्रेमचंद के संघर्षों को याद करते हुए कहा कि उनका साहित्य इस अंधेर समय में और भी प्रासंगिक हो गया है। उन्होंने देश में बच्चियों  के साथ हो रहे उत्पीड़न की घटनाओं पर दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि देश ने विकास किया है पर नारी सुरक्षा की स्थिति बहुत गंभीर है। 

अपने संबोधन में कवि राज किशोर राजन ने  प्रेमचंद को याद करते हुए समाज के हर वर्ग की पीड़ा को सियासत की साजिश का हिस्सा बताया । 

कवि शहंशाह आलम ने किसानों की समस्या पर जोर देते हुए कहा कि किसान आत्महत्या कर रहे है। इस देश का अन्न दाता बहुत पीड़ित है उन्होंने प्रेमचंद के विचारों पर बल देते हुए कहा कि आज भी प्रेमचंद का साहित्य इंसाफ की तलाश में है। 

डॉ खगेश ठाकुर ने गांधी के विचारों से प्रेमचंद के साहित्य को अलग बताते हुए कहा कि प्रेमचंद गाँधी जी की हर बात से सहमत नहीं थे। उन्होंने कहा कि मानवता की रक्षा के लिए प्रेमचंद आज़ादी की लडाई में कहीं गाँधी के साथ खड़े हैं तो कहीं क्रांतिकारियों के साथ भी हैं उन्होंने प्रेमचंद से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें बताईं जिन्हें किताबों में नहीं पढ़ा जा सकता । 

बासबी झा ने आज की बुनियादी समस्याओं को उठाते हुए कहा कि प्रेमचंद हर वर्ग के रचनाकार हैं।

कवि वेद प्रकाश तिवारी आदि ने  अपने संबोधन में कहा कि प्रेमचंद विपरीत परिस्थितियों में भी कभी निराश नहीं होते वे हर परिस्थिति में मनुष्यता को बचाने की बात कहते हैं जो वर्तमान के लिए बहुत जरूरी है।

विचार गोष्ठी के उपरान्त कवि गोष्ठी की शुरुआत हुई जिसमें लता प्रासर, बासबी झा, राज किशोर राजन, श्वेता शेखर, शहंशाह आलम, रानी श्रीवास्तव, सिद्धेश्वर, देवरिया उo प्रo के कवि वेद प्रकाश तिवारी आदि ने प्रेमचंद के साहित्य पर अपनी कविताओं का पाठ किया । 

राजकिशोर राजन ने होरी महतो के गाँव का दृश्य रचा -
और धनिया जो गिरी पछाड़ खा कर
उठी नहीं अभी तक 
मुँह ताक रहा कब से 
धनिया का श्राप
कि गरीब को सता कर पंचों सुखी न हो पाओगे.

श्वेता शेखर ने जीतेगा कौन, यह बताया -
एक दिन जीत उसी की होगी
जो सच के साथ खड़े हैं
....

आलेख - वेद प्रकाश तिवारी 
छायाचित्र - वेद प्रकाश तिवारी 
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com






 




4 comments:

  1. कथा सम्राट प्रेमचंद की स्मृति को नमन और सभी प्रगतिशील साहित्यकारों को बहुत बहुत बधाई

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय.

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  2. ऐसे अवसर बार-बार आए आदरणीय खगेंद्र जी को सुनना ही अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि होती है सभी उपस्थित प्रबुद्ध जनों को मेरा सादर नमस्कार

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    1. सही बात कही आपने. टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद.

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