हम धरती क्या आकाश बदलने वाले हैं
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दिनांक 29.08.2019 को राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक काव्य-मंच,पटना के तत्वावधान में,कविवर गोपाल सिंह नेपाली पखवारा के अवसर पर एक काव्य-गोष्ठी का आयोजन, हास्य कवि श्री विश्वनाथ प्रसाद वर्मा के उत्तरी श्रीकृष्णापुरी,लालबहादुर शास्त्री पथ स्थित आवास में बेतिया से पधारे वरिष्ठ कवि डा.गोरख प्रसाद"मस्ताना" के सम्मान में किया गया.
आयोजन की अध्यक्षता सुप्रतिष्ठित कवि और साहित्यकार श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी तथा संचालन सुचर्चित कवि,कथाकार, चित्रकार श्री सिद्धेश्वर ने किया. गोष्ठी के संयोजक थे वरिष्ठ गीतकार श्री मधुरेश नारायण.
सर्वप्रथम उपस्थित कवियों ने कविवर गोपाल सिंह नेपाली के चित्र पर माल्यार्पण के साथ श्रद्धा-सुमन अर्पित किया.
मुख्य अतिथि डा. गोरख प्रसाद "मस्ताना" ने नेपाली जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर अपना विचार व्यक्त करते हुए बताया कि वे बहुमुखी काव्य-प्रतिभा के धनी थे और नेपाली जी के घर के पड़ोस में ही उनका भी आवास है. नेपाली जी के गीतों की सुगंध बेतिया की मिट्टी में रची-बसी है जिसकी वजह से वहां के अनेक गीतकारों ने ऊर्जा प्राप्त कर साहित्य में अपनी पहचान बनाई.
घनश्याम ने नेपाली जी के प्रति अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें भारत-चीन युद्ध के दौरान नेपाली जी का काव्य पाठ सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था और उनके ओजपूर्ण गीतों ने उनके मन पर गहरा प्रभाव डाला. उनके हृदय में काव्य का बीज-वपण कदाचित् उसीसमय हो गया था जो कालान्तर में अंकुरित हुआ.
उन्होंने नेपाली जी की एक रुबाई :
अफ़सोस नहीं इसका हमको, जीवन में हम कुछ कर न सके.
झोलियां किसी की भर न सके,सन्ताप किसी का हर न सके.
अपने प्रति सच्चा रहने का, जीवन भर हमने काम किया.
देखा-देखी हम जी न सके, देखा-देखी हम मर न सके.
प्रस्तुत कर उनकी स्मृति को नमन किया और बाद में अपनी ग़ज़लें सुनाईं.
कवि गोष्ठी में श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी, डा. गोरख प्रसाद " मस्ताना",हास्य कवि विश्वनाथ प्रसाद वर्मा, मधुरेश नारायण, सिद्धेश्वर, डा.निखिलेश्वर प्रसाद वर्मा, एम.के. मधु,डा. रमाकांत पाण्डेय,शुभचन्द्र सिन्हा तथा एकलव्य कुमार ने विभिन्न विषयों की समसामयिक कविताएं सुनाईं.
अपने अध्यक्षीय संबोधन में श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी ने नेपाली जी के व्यक्तित्व और कृतित्व के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे राष्ट्रीयता, प्रकृति-सौन्दर्य और यथार्थ परक भावों के ऐसे समर्थ गीतकार थे जो उस कालखंड में छायावाद की रहस्यात्मकता से निकल कर जन-भावना का प्रतिनिधित्व करने वाली रचनाओं का सृजन किया. यही कारण था कि उन्होंने उत्तर छायावाद काल के सर्वाधिक श्रेष्ठ और लोकप्रिय कवि के रूप में अपनी पहचान बनाई किन्तु दुर्भाग्यवश उनका साहित्य जगत में उतना मूल्यांकन नहीं हुआ जिसके वे वास्तविक हक़दार थे.
इस क्रम में उन्होंने नेपाली जी के गीतों की कुछ प्रमुख पंक्तियों यथा " तुम कल्पना करो, नवीन कल्पना करो,मेरा धन है स्वाधीन कलम, हम धरती क्या आकाश बदलने वाले हैं/ हम तो कवि हैं, इतिहास बदलने वाले हैं" के भावार्थ प्रस्तुत करते हुए उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया तथा गोष्ठी में पढ़ी गई रचनाओं पर अपना सार्थक मन्तव्य प्रस्तुत किया. अन्त में आतिथेय श्री विश्वनाथ प्रसाद वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
इस क्रम में उन्होंने नेपाली जी के गीतों की कुछ प्रमुख पंक्तियों यथा " तुम कल्पना करो, नवीन कल्पना करो,मेरा धन है स्वाधीन कलम, हम धरती क्या आकाश बदलने वाले हैं/ हम तो कवि हैं, इतिहास बदलने वाले हैं" के भावार्थ प्रस्तुत करते हुए उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया तथा गोष्ठी में पढ़ी गई रचनाओं पर अपना सार्थक मन्तव्य प्रस्तुत किया. अन्त में आतिथेय श्री विश्वनाथ प्रसाद वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
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आलेख - घनश्याम
छायाचित्र - वरिष्ठ नागरिक अधिकार मंच
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com
राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच के तत्वावधान में आयोजित गोष्ठी की रिपोर्ट प्रकाशित करने हेतु बहुत बहुत आभार.
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद महोदय.
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