कृष्ण के अनेक रूप और नृत्य मुद्राओं की छटा
कृष्ण के विविध रूप हैं। जहाँ एक ओर वो राधा और गोपियों के साथ रास नचाते नजर आते हैं वहीं कालिया मर्दन करते भी दिखते हैं। इन सभी घटनाओं का आध्यात्मिक महत्व तो हैं ही साथ ही नृत्य-संगीत में भी ये घटनाएँ बहुविध प्रकार से अभिव्यक्ति की सामग्री के रूप में अत्यंत लोकप्रिय हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर संगीत शिक्षा के प्रांगण में कृष्णा किलोल कार्यक्रम भक्ति भाव और सांस्कृतिक उत्सव को आयोजित कर मनाया गया नन्हे मुन्ने कलाकार कृष्ण रूप सज्जा में कृष्ण और गोपियों के रूप में नजर आए कार्यक्रम में शिक्षायतन पटना सिटी तथा कंकड़बाग केंद्र के कलाकारों द्वारा एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां होती रही। गायक कलाकरों द्वारा कुछ लोकप्रिय गानों पर शिक्षायतन के कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देते रहें और तालियां बजती रही। इतना ही नहीं कृष्ण के रासलीला और कालिया मर्दन की लीला को नृत्य नाटिका के रूप में प्रस्तुत किया गया। जिसे देख दर्शक कृष्ण भक्ति में डूब गए।
जयदेव की रचना अष्टपदी में वर्णित राधा - कृष्ण के मिलन प्रसंग को अदिति और स्नेहा के क्लासिकल नृत्य ने दर्शकों का मन जीत लिया। कथक नृत्यांगना यामिनी कथक और नेटवर्क कृष्ण की लीला को नृत्य कर मनमोहक रूप में प्रस्तुत किया साथ ही कृष्ण मिलन जिसमें कृष्ण का राधा से मिलन, कृष्ण का यशोदा से मिलन, और कृष्ण का यशोदा से मिलन को दिखाया।
कृष्णरूप सज्जा में रूद्र राज को बाल कृष्णा किलोल सम्मान से सम्मानित किया गया। भाग लेने वाले कलाकार अनुष्का, पूजा चौधरी, खुशी, हर्षिता,सुहानी, आरोही, विष्णु थे। सांस्कृतिक अवसर पर संस्था की सचिव रेखा शर्मा, सम्मानित अथिति अवधेश कुमार झा (लेखक व कवि), निर्देशिका यामिनी शर्मा, संस्कार भारती पटना इकाई के प्रवीण कुमार, नृत्य गुरु रवी मिश्रा आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे।
यह कार्यक्रम संगीत शिक्षायतन के संगीत शिक्षायतन, काली मंदिर रोड, कंकरबाग, पटना के प्रांगण में सम्पन्न हुआ।
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समाचार स्रोत - यामिनी
प्रेषण सहयोग - मधुप चंद्र शर्मा





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