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Sunday, 30 June 2019

साथ रहने की वो गुदगुदी छोड़कर / कवि नरेश जनप्रिय को एसके प्रोग्रामर की काव्यांजलि

अ‍भी हाल ही में अंगिका के गुणी कवि नरेश जनप्रिय का दुखद देहावसान हो गया जिससे उनके लाखों चाहनेवाले अत्यंत दुखी हो गए. इस अवसर पर उनके परम मित्र और अंगिका / हिंदी के बेहतरीन कवि श्री एसके प्रोग्रामर ने ग़ज़ल में अपने उद्गार प्रकट किए हैं जो प्रस्तुत है. बिहारी धमाका / बेजोड़ इंडिया की ओर से भी उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!

ग़ज़ल



साथ रहने की वो गुदगुदी छोड़कर
अलविदा कह दिये जिन्दगी छोड़कर

कह रहे थे हँसी में है दर्दे-दवा
दूर क्यों हो गए हर ख़ुशी छोड़कर

गीत - गठरी समेटे निकलते बने
सुर में मिसरी घुली बानगी छोड़कर

गम अचानक मिला लोग कैसे सहें
तेरी संगत की वो ताजगी छोड़कर

बोल क्या कुछ बचा अब हमारे लिए
बीच दरिया में जा ख़ुदकुशी छोड़कर।
.....

आहत कवि: सुधीर कुमार प्रोग्रामर
कवि का ईमेल आईडी - skp11061@rediffmail.com
प्रातिक्रिया हेतु ईमेल आईडी- editorbejodindia@yahoo.com



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