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Friday, 17 May 2019

संगीत शिक्षायतन में कला-प्रवाह-4 के अंतर्गत एक दिवसीय मूक-अभिनय कार्यशाला 12.5.2019 को पटना में सम्पन्न

प्रसिद्ध माइम कलाकार कमल नस्कर मूक अभिनय के गुर सिखाये
डॉ. शम्भू कुमार सिंह ने भी नृत्य संगीत की खूबियाँ गिनाईं




पटना रविवार 12.5.2019 को पटना के संगीत शिक्षायतन में कला प्रवाह- 4 कार्यक्रम के अन्तर्गत एक दिवसीय मूक अभिनय कार्यशाला तथा नृत्य संगीत  पर अन्योन्यक्रिया में लगभग 75 शिक्षार्थियों ने भाग लिया।

जैसा कि आपको पता है, 5 मई को पटना की संगीत शिक्षायतन संस्था ने अपना स्थापना दिवस पर परवाज़ कार्यक्रम के अन्तर्गत 30 निम्न आर्थिक वर्ग के बच्चों को नृत्य, चित्रकला और मार्शल आर्ट की शिक्षा देने की शुरुआत की उन बच्चों को विधिवत रूप से सिखाते हुए मंच कला और डिग्री प्रदान करने का सफल प्रयास शुरू किया।

इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए इस रविवार 12.5.2019 को साथ प्रसिद्ध माइम कलाकार कमल नस्कर (मॉडर्न सेंटर, कोलकाता) शिक्षायतन प्रांगण में मूक अभिनय के गुर सिखाये। जिसमें शिक्षार्थियों ने चेहरे के भाव,  शारीरिक भाव भंगिमा, अवरोधन चरित्र निभाने की कला को माइम के माध्यम से बखूबी बताया। बच्चो ने एक एक मुद्राओं को देख उत्साहित होते और लगातार तालियां बजते रहे। कमल नस्कर ने उत्साहवर्धन और भविष्य में कला के उपयोग को अपनाने की सलाह दी। साथ ही यह चिंता दर्शाई कि पिछले 10 वर्षों से वो पटना आ रहे है, लेकिन यहां लोग कला करना तो चाहते है परन्तु सीखना नहीं चाहते। इसलिए पटना में भी नियमित रूप से माइम की क्लासेज होनी चाहिए तथा स्कूल में भी विधिवत सिखाया जाना चाहिए। हालाकि शिक्षायतन पिछले 10 वर्षों से इस कोशिश में अनवरत प्रयासरत है। शिक्षायतन संस्था का संरक्षक होने के नाते वे हमेशा माइम की शिक्षा देते रहेंगे।  यामिनी एक अच्छी बेहतरीन कथक नृत्यांगना के साथ उच्च कोटि की कलाकार है। समाज में कला के संरक्षण और संवर्धन के लिए शिक्षायतन लगातार कई आयोजन करती रहती है। माइम करने वाले शिक्षार्थियों का यहां एक छोटा सा ग्रुप है। जो सीखते और प्रदर्शन भी करते है। एक अच्छी बात ये है कि यामिनी न केवल माइम के कलाकारों को बल्कि अभिनय, नृत्य, चित्रकला के भी शिक्षार्थियों को भी माइम सीखने को प्रेरित करती है।

साथ ही डॉ० शंभू कुमार सिंह (स्टेट कन्वेनर स्पीक मैके) संगीत नृत्य  के विषय में शिक्षार्थियों को जानकारी दी। नृत्य ,संगीत तो पहले हमें संस्कारित करता है । मन के कलुष को खत्म करता है । शरीर को भी विषरहित करता है । हमें सत्य से साक्षात्कार कराता है । जब हम निर्मल हो जाते हैं । आत्मा विमल हो जाती है तो हमारा कर्म भी विमल हो जाता है । आज जो समाज में कलुषता है , गंदगी है उसका मूल कारण यह है कि हम संस्कृति से दूर हो गए हैं ।  एक स्वच्छ दुनिया बनानी हो तो हमें नृत्य, संगीत से नेह जोड़ना पड़ेगा । 

कार्यक्रम की शुरुआत में संस्था की सचिव  रेखा शर्मा ने आगत सभी अतिथियों का पुष्पगुच्छ और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता यामिनी (कथक नृत्यांगना) ने कथक नृत्य द्वारा अभिनय, नाटक के अभिनय और माइम एक्टिंग (मुकाभिनय) को प्रायोगिक रूप में कर के दिखाया। साथ ही कला प्रवाह के उद्देश्यों को बताया कि कला का विस्तार प्रसार सभी के हृदय में होना आवश्यक है। कोई जरूरी नहीं कि प्रशिक्षु प्रदर्शन ही करें। बल्कि वे सीखें, समझें और आत्मसात कर जीवन को सरल और कलात्मक बनाएँ।

कला और साहित्य अनुरागी , पूर्व बैंक अधिकारी जय शंकर प्रसाद भी इस कार्यक्रम में पुष्पा प्रसाद (सामाजिक कार्यकर्ता) के साथ उपस्थित थे । उन्होंने ने भी बच्चों को संबोधित किया । अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि एकाग्रता और अभ्यास से हम कला के क्षेत्र में ऊंचाइयां छू सकते हैं । श्री प्रसाद ने बच्चों को यह भी कहा कि आपही भारत के भविष्य हैं और आप को एक बेहतरीन नागरिक होने के लिए कला और संस्कृति से जुड़ाव होना चाहिए।

शांभवी वत्स की  मनमोहक वाचन शैली में उद्घोषणा दर्शकों के बीच काफी सराहनीय रहा। अंत में केंद्राधीक्षक रुधीश कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
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आलेख - यामिनी 
छायाचित्र सौजन्य - संगीत शिक्षायतन
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