अलाउद्दीन खिलजी के व्यक्तित्व को उधेड़ता नाटक
पटना के कालिदास रंगालय में दिनांक 4 मार्च से 6 मार्च, 2019 तक नाटककार डॉ. चतुर्भुज की स्मृति में 10वां ऐतिहासिक नाट्य महोत्सव मनाया गया. इसके अंतिम दिन कला जागरण द्वारा नाटक 'कालसर्पिणी' का मंचन किया गया. यह नाटक अलाउदीन खिलजी के गुजरात विजय के बाद के परिदृश्य को बखूबी दिखाता है. अलाउद्दीन खिलजी दर-असल अपने चाचा और सुलतान जलालुद्दीन खिलजी के सेनानायक के तौर पर देवगिर गया था जहां विजय प्राप्त कर उसने अकूत धनराशि अर्जित की थी.वह सुलतान जलालुद्दीन की हत्या कर खुद दिल्ली का सुलतान बन बैठा. राजा करणदेव को भागने पर मजबूर होना पडा और उसकी पत्नी कमलादेवी को अपने हरम में ले आया. उसे मालिक काफूर नामक हिजड़े का बहुत सहयोग मिला था. नाटक के निर्देशक विजय आनंद थे.
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सूचना स्रोत - रोहित कुमार
छायाचित्र - कला जागरण
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