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नया साल मुहब्बत के नाम - समीर परिमल
प्रसिद्ध शायर समीर परिमल की अध्यक्षता में चला यह कार्यक्रम बहुत ही उल्लास और हलचल के साथ शुरू हुआ और चलता रहा।
उनकी ये पंक्तियाँ ख़ास रूप से पसंद की गईं -
'आइए आज भुलाकर सभी गिले-शिकवे
ये नया साल मुहब्बत के नाम करते हैं'
दिनांक 13 जनवरी 2018 को साहित्यिक संस्था लेख्य-मंजूषा के तत्वाधान में पैराडाइज इंटरनेशनल स्कूल, पटेल नगर में नववर्ष के स्वागत में 'बज़्म-ए-अदब' का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता शायर समीर परिमल ने की तथा संचालन प्रोफेसर डॉक्टर सुधा सिन्हा ने किया।
कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में 'उड़ान' पुस्तक के लेखक श्री संजीव जी ने अपनी पुस्तक की विस्तृत चर्चा की।
इस महफ़िल में उपस्थित कवियों एवं शायरों ने अपनी शानदार रचनाएँ सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
वरिष्ठ कवि घनश्याम ने सुनाया -
'जीवन की बगिया में पुष्पित हर्ष रहे मिटे तिमिर ज्योतिर्मय नूतन वर्ष रहे"
सिद्धेश्वर प्रसाद ने सुनाया
"वक्त के पहले चरागों को जलाते क्यों हो मुझे भूले हुए पल याद दिलाते क्यों हो"
रामनाथ शोधार्थी, अविनाश कुमार पांडे, सिद्धेश्वर प्रसाद, नसीम अख्तर, डॉ पूनम देवा, प्रतिमा सिन्हा, एकता कुमारी, विनोद जी, संजीव जी, विकास राज, कवि घनश्याम, अक्स समस्तीपुरी, सूरज ठाकुर बिहारी, कुंदन आनंद, रवीन्द्र त्यागी, प्रेमलता सिंह, रंजना सिंह, आदि ने इस अवसर पर काव्य पाठ किया।
कार्यक्रम का समापन बड़े ही सौहार्दपूर्ण माहौल में हुआ और धन्यवाद ज्ञापन की रस्म अदायगी वीणाश्री हेम्ब्रम, सचिव, लेख्य मञ्जूषा ने किया।
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