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अपनी कविताओं के गिटारवादन वाला अनोखा लोकार्पण समारोह
'अब हम इस उम्र में अल्लाह नहीं बदलेंगे'
विश्व पुस्तक मेला, नई दिल्ली के लेखक मंच से 'मंज़िलें उनकी, रास्ता मेरा' के विमोचन के दौरान जब किताब के लेखक और सिवान के लाल मशहूर शायर अस्तित्व 'अंकुर' ने ये पंक्तियाँ गिटार के कॉर्ड्स पे गुनगुनायीं तो मंच पर बैठे विशिष्ट अतिथियों से लेकर खचाखच भरे हाल का हर शख़्स झूम उठा।
शायद ये पहला मौका था जब लेखक-मंच से कोई कवि अपनी कविताएँ गिटार पर सुना रहा था, और किसी पुस्तक के विमोचन में इतनी भीड़ उमड़ी हो।
मौका था कविशाला प्रकाशित काव्य-संकलन 'मंज़िलें उनकी, रास्ता मेरा' का विमोचन समारोह। 'मंज़िलें उनकी, रास्ता मेरा' अस्तित्व 'अंकुर' रचित काव्य-संकलन है जिसमें उनकी 100 से अधिक ग़ज़लें, मुक्तक, फुटकर शेर और नज़्में शामिल हैं।
पुस्तक का विमोचन डॉ कुँवर बेचैन की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। डॉ कुँवर बेचैन के अलावा मंच पर डॉ सरिता शर्मा और जाने माने साहित्यकार संजय कुमार कुंदन भी उपस्थित रहे जिन्होंने 'मंज़िलें उनकी, रास्ता मेरा' को ज़रूर पढ़ने वाली पुस्तक बताया।
अस्तित्व 'अंकुर' से पहले लक्षमण गुरुंग ने गिटार पर, विमोचित पुस्तक से कुछ ग़ज़लें प्रस्तुत कर उपस्थित श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया।
कार्यक्रम का संचालन कविशाला के संस्थापक अंकुर मिश्रा ने किया। कार्यक्रम के शुरुआत में कविशाला के नवांकुर कवियों ने काव्य-पाठ भी किया जिसे श्रोताओं और उपस्थित विशिष्ट अतिथियों द्वारा सराहा गया।
शीघ्र ही इस किताब का लोकार्पण पटना में भी किया जाएगा तथा ऑनलाइन बिक्री के लिए भी उपलब्ध होगी।
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प्रतिक्रिया हेतु ईमेल- hemantdas_2001@yahoo.com
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