Pages

Monday, 11 September 2017

मंच द्वारा मगही नाटक 'चंडी का वशीकरण' की सफल प्रस्तुति पटना में

मगही की छ्टा निखरी 'चण्डी का वशीकरण में 

आज के समय में जब लोग अपनी संस्कृति की पहचान स्थानीय लोकभाषा से दूर रहने में अपने-आप को बड़ा समझते हैं, अंग्रेजी नाटकों के बादशाह विलियम शेक्सपीयर की कृति 'दी टेमिंग ऑफ दी श्रू' (The taming of the shrew)  पर आधारित नाटक 'चंडी का वशीकरण' का मगही भाषा में विशुद्ध मगही परिवेश को दिखाता हुआ प्रभावकारी मंचन  रेगिस्तान में पानी के सोते के सामान है. एक संपन्न घराने का पिता अपनी बड़ी बेटी चन्द्रिका के उग्र स्वाभाव के कारण उसका विवाह नहीं हो पाने से बहुत चिंतित है. छोटी बेटी सरल स्वाभाव की है. पास के गाँव के एक आदमी को यह पता चलता है और वह और भी ज्यादा उग्र स्वाभाव का बन कर चन्द्रिका को काबू करता है और उससे विवाह कर लेता है. आगे चल कर दोनों में नैसर्गिक प्रेम जग जाता है. यह नाटक शुरू से अंत तक हास-परिहास से भरा है और यह सीख देता है कि हर जगह समझाने-बुझाने से काम नहीं चलता. कई जगहों पर आक्रामकता ही काम आती है. निर्देशक राजीव रंजन अच्छी प्रस्तुति हेतु बधाई के पात्र हैं. सभी कलाकारों ने अच्छा अभिनय किया. 




  










आप अपनी प्रतिक्रिया ईमेल द्वारा hemantdas_2001@yahoo.com पर भेज सकते हैं.

No comments:

Post a Comment

अपने कमेंट को यहाँ नहीं देकर इस पेज के ऊपर में दिये गए Comment Box के लिंक को खोलकर दीजिए. उसे यहाँ जोड़ दिया जाएगा. ब्लॉग के वेब/ डेस्कटॉप वर्शन में सबसे नीचे दिये गए Contact Form के द्वारा भी दे सकते हैं.

Note: only a member of this blog may post a comment.