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अंगिका कविताएँ
(Angika Poems)
खाली तेल लगाबै
छो लठिया मे
And you do only oil massage on stickभोरे भोर जब निकलै छो घर से
आबै छो खाली खाय
घरिया में
जाय के फेरू ताश
खेलै छो
खाली तेल लगाबै
छो लठिया मे
You go out when the
Sun is yet to shine
And you come back home only to dine
Then you are engaged in playing card freak
And you do only oil massage on stick
अग्गर मग्गर करै
छो छुच्छे
झुट्ठे केऽऽ गप्प
मारै छो बहुते
नाक बजाबै छो
रतिया मे
काम धन्धा कुछ
करै छो नहिये
खाली तेल लगाबै
छो लठिया मे
You make 'if and but' uselessly
And gossip to your chums vociferously
Snort whole night disturbing everybody
When asked to work, you feign as if sick
And you do only
oil massage on stick
दिन भर बैठी क
बात छिलै छौ
बजबै छो गाल हर
बतिया में
नूरा कुश्ती करै
छो खालिए
देखबै छौ देह
संगतिया मे
बाहरे मे सटकाबै
छो पुंछरी
खाली तेल लगाबै
छो लठिया मे।
Sitting idle day long you do loose talks
On every sentence you say “It rocks”
Like to play nasty sport of wrestling
With your body-show, the street is bustling
You are so meek outside, nobody should prick
And you do only oil massage on stick
………………………
Original poem in Angika by: Raj Kumar Bharti
Poetic English translation by: Hemant Das 'Him'
सुन्दर छै हम्मर
ई वाली भौजी
बड़ी मजाक ई सबसे
करै छै
मानै छै सब के
सुन्दर लगै छै
चाईयो पिलाबै छै
बिस्कुट खिलाबै
छै
बजार ले जाय के
घुगनी मूढ़ी खिलाबै छै
मानै छै बड्डी ई
जानै छै बड्डी ई
कभियो न करै छै
कोईयो नासमझी
सुन्दर छै हम्मर
ई वाली भौजी
बहुते कमाल छै
करै धमाल छै
बड़का गो लमछड़
काले काले बाल छै
बड़ी शैतान छै
महिला कपतान छै
पकड़ी के गल्ली मे
भेजै दोकान छै
करै छै खूभ्भे ई
मनमौजी
सुन्दर छै हम्मर
ई वाली भौजी
परब तेहबार मे
बैठबै दालान मे
बहुतै तैय्यारी
से
प्यार के खुमारी
से
खिलबै छै खूब ई
बनबै छै खूब ई
लागै छै स्वाद जस
सभ्भे खाय जाव
बस
देखी के दिन मे
लागै रतौधीं
सुन्दर छै हम्मर
ई वाली भौजी
बसै छै सरोसती
हिनकर जुबान मे
बरसै छै लक्ष्मी
हिनकर मकान मे
बर बुजुर्ग बोलै
छै
सभ्भे कोय मानै
छै
कहियो नै केकरो
सै
झगरा ई करै छै
सभ्भे कोय बोलै
छै सौभाग्यवती जी
सुन्दर छै हम्मर
ई वाली भौजी।
गोरकी कैनियन और करका दुल्हा
लागै सै कैसन.... ऐसन जैसन
मट्टी गोरन्टी से नीपल चुल्हा
गोरकी कैनियन और करका दुल्हा
रात अंधेरिया में जैसन तारा
करका बरतन मे खीर बेचारा
बरफ पहाड़ी मे करका चट्टान
कोयला क मिललै हीरा के दान
हो हुल्ला और सब कुछ खुल्ला
गोरकी कैनियन और करका दुल्हा
करै अचम्भा सब परिवार
चाँदी के जार मे सड़ल अँचार
चाँदी के जार मे सड़ल अँचार
छौड़ा सब कत्ते ने पीटै छै माथा
ई अनियाय होय गेलै हो दाता
करै छै कसमस सट्टै जे कुल्हा
गोरकी कैनियन और करका दुल्हा
हाँसै छै दुलहबा त दाँत खाली सूझै
बूझै बाला अब मने मन बूझै
कौआ के मिललै रानी झकास
ऊछलै छै कुदै छै करै छै नाज
लागै छै जैसन ई हो गुरिल्ला
गोरकी कैनियन और करका दुल्हा
कि कहिहौन अब हे हो भाय
देखी के सबकोय जाय छै लजाय
कि होतै अब कैरके हाय हाय
फाटतै नै धरती नै जैतै समाय
मुँह लागै जैसन मछली बुल्ला
गोरकी कैनियन और करका दुल्हा ।
Original poems in Angika by: Raj Kumar Bharti
कवि-परिचय:
राजकुमार भारती एक आयकर विभाग, पटना में और बाहर
एक जाने-माने अभिनेता, लेखक, कवि और गायक हैं. ये वर्तमान में केन्द्रीय
सरकार के कार्यालय में आयकर अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं. इन्होंने सकड़ों गीत लिखे हैं और उन्हें स्वर भी
दिया है.
Introduction of the poet: Raj Kumar Bharti is a versatile
artist and is a well-known actor, writer, poet and singer in Income Tax
department, Patna and elsewhere. He is employed as an Income Tax Officer in
Central Government. He has created hundreds of Songs and composed music for the
same.
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