Pages

Saturday, 29 February 2020

रहना है जब साथ-साथ फिर तनातनी क्यों ? / कवि - हरिनारायण सिंह 'हरि'

गीत
(मुख्य पेज - bejodindia.blogspot.com / हर 12 घंटों पर देखें- FB+ Bejod India /  यहाँ कमेंट कीजिए)




1
रहना है जब साथ-साथ फिर तनातनी क्यों ?
हिलमिल रहने का अपना इक धरम बनायें।

केवल निज हित सोच हमें छोटा करता है,
सिर्फ स्वार्थ तो हाय! हमें खोटा करता है।
परहित-चिंतन ही तो हमें बनाता मानव,
आओ परहित-चिंतन में हम समय बितायें।

हिन्दू-मुस्लिम धर्म नहीं, पूजा-पद्धति है, 
हाय बड़ा दुर्भाग्य हमारी यह दुर्गति है।
सबका है इक धर्म, जो वर्णित सद्ग्रंथों में,
परोपकार,सत्कर्म!उसी को हम अपनायें। 

राजनीति तो सब दिन से बहकी-सहकी-सी,
इसके कारण युग-युग से जनता दहकी-सी।
ऋषियों, सुफियों का सानिध्य बड़ा सुखदायी 
राह उसी की चलें, वही पथ हम अपनायें ।
......

2
गजल

दूर घर से रह रहे हैं, क्या कहें 
दुःख कैसा सह रहे हैं, क्या कहें 

पेट पापी भर सके इस वास्ते
कंटकों पर चल रहे हैं, क्या कहें 

उफ्! सुगंधी स्वप्न निज परिवेश का
अब नहीं मह-मह रहे हैं, क्या कहें

दिवस सोते, रात का जब शिफ्ट है
रतजगा हम कर रहे हैं, क्या कहें 

क्यों नहीं निज प्रांत में भी जाॅब हो
आप क्या-क्या कर रहे हैं,क्या कहें

पीर अपनी रोज बढ़ती जा रही
किस हवा में बह रहे हैं, क्या कहें !
----


कवि - हरिनारायण सिंह 'हरि'
वर्तमान पता -अंकलेश्वर (गुजरात)
मूल पता - मोहनपुर (बिहार)
कवि का ईमेल - hindustanmohanpur@gmail.com
कवि का परिचय - कवि हिंदी और बज्जिका के जाने-माने साहित्यकार और पत्रकार हैं.
प्रतिक्रिया हेतु ब्लॉग का ईमेल - editorbejodindia@gmail.com
               


Tuesday, 25 February 2020

पाटलिपुत्र काव्य महोत्सव का आयोजन नवभारती सेवा न्यास द्वारा पटना में 23.2.2020 को पटना में सम्पन्न

कटी न बेड़ियाँ अपने ही पाँव काट लिए

(मुख्य पेज - bejodindia.blogspot.com / हर 12 घंटों पर देखें- FB+ Bejod India /  यहाँ कमेंट कीजिए)




नवभारती सेवा न्यास के तत्वावधान में दिनांक 23.02.2020 दिन रविवार को संस्कारशील पुस्तकालय, गर्दनीबाग पटना में एक शानदार कार्यक्रम "पाटलिपुत्र काव्य महोत्सव" का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत कार्यक्रम के अतिथियों भगवती प्रसाद द्विवेदी,  ध्रुव गुप्त, नीलांशु रंजन, वरुण सिंह, घनश्याम ने दीप प्रज्वलित कर किया।

कार्यक्रम की शुरूआत में मुख्य वक्ता ध्रुव गुप्त ने कहा कि कविता को अगर जिंदा रखना है तो उसका लय बनाये रखना होगा। वहीं वरिष्ठ कवि भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि मंच की कविता और पत्र पत्रिकाओं में छपने वाली कविताओं में समरूपता होनी चाहिए। हास्य की कविताएँ हास्यास्पद नही प्रतीत होनी चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार और शायर नीलांशु रंजन ने कहा कि सोशल साइट ने कविता की पहुँच को बढ़ाया है। रचनाकारों को शिल्प पर ध्यान देना चाहिए। इस कार्यक्रम की आयोजिका प्रीति सुमन ने कहा कि यह सम्मेलन मुख्य रूप से साहित्यिक गतिविधियों को प्रगति देने के उद्देश्य से करवाया जा रहा है। ऐसे साहित्यिक कार्यक्रमों को समाज में लगातार करवाते रहने की आवश्यकता है।  इस कार्यक्रम के संयोजक युवा कवि कुंदन आनंद ने बहुत शानदार तरीके से मंच संचालन किया। 

कार्यक्रम दो सत्रों में सम्पन्न हुआ। प्रथम सत्र में आमंत्रित वक्ताओं द्वारा वक्तव्य प्रस्तुत किया । दूसरे सत्र में बिहार के विभिन्न कोने-कोने से आये युवा कवियों ने काव्यपाठ किया जिनमें कवयित्री अल्पना आनंद ने अपनी रचना "उसने चौखट लांघी होगी, चौखट कितना रोया होगा" सुनाकर सबको मन्त्र-मुग्ध कर दिया। कवि कुंदन आनंद ने "हमको काँटों ने पाला पिता की तरह, मेरे काँटों को फूलों से ना तौलिए" सुनाकर श्रोताओं को भाव-विह्वल कर दिया। कवि विकास राज ने अपनी रचना "गजब की चाह थी उसमें रिहा होने की, कटी न बेड़ियाँ अपने ही पाँव काट लिए" सुनाकर लोगों का दिल मोह लिया। कवि उत्कर्ष आनंद भारत ने अपनी रचना "महाभारत का होना तय है" सुनाकर लोगों को आकर्षित किया।

युवा कवयित्री प्रीति सुमन ने "आई प्रणय की मधुर बेला रे" गीत सुनाकर लोगों को भावविभोर कर दिया। ज्योति स्पर्श ने भूख की विवशता पर मार्मिक ग़ज़ल का पाठ कर लोगों को भाव-विह्वल कर दिया।  अन्य कवियों में शिवांशु सिंह, प्रेरणा प्रताप, नेहा नुपूर, आराधना प्रसाद, रवि सिंह पार्थ, मुकेश ओझा, अनुराग कश्यप ठाकुर, भारती रंजन कुमारी, स्वतंत्र शांडिल्य, राहुल चौधरी, साकेत ठाकुर, सुनील कुमार, कवि घनश्याम, रंजीत दुधू, गौतम वात्स्यायन, नरेंद्र कुमार, प्रियंका प्रियदर्शिनी, सिद्धेश्वर, डॉ नीलम श्रीवास्तव, कुमार आर्यन, नवनीत कृष्ना, अभिलाषा सिंह, स्वराक्षी स्वरा, कुमारी स्मृति, कुमार रजत, चंदन द्विवेदी सहित कुल 50 कवियों ने शिरकत किया। धन्यवाद ज्ञापन संस्था की सचिव सह कार्यक्रम संयोजिका प्रीति सुमन ने किया।
...............

रपट का आलेख - ज्योति स्पर्श
रपट की लेखिका का ईमेल - jtgupta9@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ब्लॉग का ईमेल - editorbejodindia@gmail.com































Sunday, 23 February 2020

स्टे. रा.भा.का.स. पूर्व मध्य रेल और भा.यु.सा.प. द्वारा पटना में एकल काव्य पाठ और कवि गोष्ठी 22.2.2020 को सम्पन्न

दौड़नेवालों के साथ दौड़ते हैं उनके सपने

(मुख्य पेज - bejodindia.blogspot.com / हर 12 घंटों पर देखें- FB+ Bejod India /  यहाँ कमेंट कीजिए)



स्टेशन राजभाषा कार्यान्वयन समिति, पूर्व मध्य रेल, दानापुर मंडल तथा भारतीय युवा साहित्यकार परिषद् , पटना के संयुक्त तत्वावधान में श्री राजमणि मिश्र  (राजभाषा अधिकारी पूर्व मध्य रेल, दानापुर मंडल) के एकल काव्य पाठ का आयोजन ट्रेंनिग स्कूल,राजेन्द्र नगर कोचिंग कॉम्प्लेक्स के सभागार में किया गया. आयोजन की अध्यक्षता हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि और साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी तथा संचालन शायर मो.नसीम अख्तर और कवि-चित्रकार श्री सिद्धेश्वर ने किया.

मुख्य अतिथि राजमणि मिश्र ने अपने एकल काव्य पाठ में विभिन्न विषयों पर आधारित अनेक कविता, गीत तथा ग़ज़लें प्रस्तुत की. उनकी रचनाओं में मानवीय संवेदना, सामाजिक यथार्थ, पारिवारिक समस्याएं, सुदूर शहरों में मजदूरी करने वाले गांव के लोगों के मनोभावों की सार्थक अभिव्यक्ति हुई है. कल्पना के साथ सटीक बिंबों का प्रयोग कर वे कविताओं को जीवंत बनाने में सफल रहे हैं।

इस समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि-"राजमणि मिश्र की कविताओं में लालित्य देखने को मिलता है। घर ,परिवार से शुरुआत कर  इन्होंने समाज -संस्कृति और आज के पूरे हालात पर अपनी संवेदनात्मक अभिव्यक्ति कोगहराई से प्रकट किया है"

राजमणि की कविताओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए विशिष्ट अतिथि कवि सिद्धेश्वर ने कहा कि -"नकारात्मक परिवेश में भी सकारात्मक संदेश देती हुई राजमणि मिश्र की कविता हृदय की गहराई तक संवेदित  करती है। इनकी सकारात्मक सोच हमें कुछ रखने के लिए प्रेरित करती है ।अप- संस्कृति पर भी उनकी गहरी नजर है।"

समारोह के मुख्य अतिथि कवि घनश्याम ने कवि राजमणि मिश्र की  कविताओं के एकल पाठ के पश्चात, विस्तार से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि -"दैनिक जीवन के क्रियाकलापों पर राजमणि जी की गहरी दृष्टि है । थोड़े में बहुत कुछ कहने की कला इनकी कविताओं में देखने को मिलती है । सचमुच यह छोटी- सी गोष्ठी कई महत्वपूर्ण विचारों को लेकर यादगार बन गई है।"

राजमणि मिश्र जी ने अपनी एकल काव्य पाठ में लगभग 40 से अधिक समकालीनकविताओं का पाठ किया।
  -"मुसाफिर यहां उम्र भर के लिए/ मरने वालों को अमृत से क्या फायदा  
जीने वालों को विष का प्याला से बचाना पड़ा/ रोते-रोते मुस्कुराना पड़ा।"

"मैं भी दौड़ने लगता हूं, / उनके साथ -साथ /मुझे लगता है/ 
दौड़ने वालों के साथ दौड़ते हैं /उनके सपने, सुरक्षा,-सुरक्षा की भावनाएं।"

"चलने लगा मैं कदम दर कदम / मिलने लगी चट्टानें और चुनौतियां।
"-इस तरह की ढेर सारी कविताएं समकालीन संदर्भों को रेखांकित कर रही थी ।

एकल काव्य पाठ के अंतराल में उपस्थित कवि, शायर और कवयित्रियों ने एक से बढ़कर एक कविता,गीत और ग़ज़लों से आयोजन को सरस और सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इनमें भगवती प्रसाद द्विवेदी, अशोक प्रजापति, घनश्याम, सिद्धेश्वर, अरविन्द पासवान, मो. नसीम अख्तर, मुकेश ओझा, अनुराग कश्यप ठाकुर, कवयित्री डा.अर्चना त्रिपाठी, श्वेता शेखर, मीना कुमारी परिहार के नाम उल्लेखनीय है।

राजेन्द्र नगर स्टेशन पर अवस्थित रामवृक्ष बेनीपुरी पुस्तकालय की संचालिका कुमारी स्वीटी ने आगत साहित्यकारों के प्रति  धन्यवाद ज्ञापन किया।
.....

प्रस्तुति एवं छायाचित्र - सिद्धेश्वर एवं घनश्याम
एक प्रस्तोता का ईमेल - sidheshwarpoet.art@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ब्लॉग का ईमेल - editorbejodindia@gmail.com





















Monday, 17 February 2020

'कलमगार' द्वारा "ओ री चिड़ैया' शीर्षक के अंतर्गत पर्यावरण विषयक कवि-गोष्ठी का आयोजन 16.2.2020 को पटना में सम्पन्न

कौन लिख रहा पत्ते पत्ते पर / काले धुएँ का गीत
वो प्यारी- प्यारी गौरैया / नजर नहीं अब आती है **  ओ ! पम्प मोटर वालों / अरे पानी बचा लो

(मुख्य पेज - bejodindia.blogspot.com / हर 12 घंटों पर देखें- FB+ Bejod India /  यहाँ कमेंट कीजिए) 



हम अक्सर उन्हीं चीजों को भूल जाते हैं जो हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण होती हैं - जैसे जीवन सँवारने में माँ, कॅरियर निर्माण में शिक्षक और जीवन के बचे रहने हेतु पर्यावरण

लाखों रुपयों के ऑक्सीजन के सिलिंडर खरीदकर हम रख लें तो भी वो उसकी क्षतिपूर्ति नहीं कर पाएगा जो  बाहर की स्वच्छ हवा के प्रदूषित होने से होती है। हमारी पारिस्थितिकी का एक-एक जंतु और पौधा एक-दूसरे से किसी-न-किसी कड़ी के तहत जुड़ा है और अगर हम किसी प्रजाति को विलुप्त कर देते हैं जैसा कि बिहार की राजकीय पक्षी गौरैया के साथ लगभग हो रहा है, तो किसी न किसी तरह से पूरे जीवन-शृंखला को ही तोड़ने जा रहे हैं।  कविगण तो हमेशा से प्रकृति से बेपनाह प्यार करनेवाले रहे हैं।  इसलिए पर्यावरण और गौरैया पर जागृति लाने हेतु एक कवि-गोष्ठी का आयोजन किया गया पटना में।

संस्कारशाला पुस्तकालय के सभागार में, 'कलमगार' द्वारा आयोजित जल, हवा, पानी और गौरेया को बचाओ योजना के तहत आयोजित, कार्यशाला एवं कवि गोष्ठी का सारस्वत आयोजन किया गया।

पटना के राम लखन महतो फ्लैट्स स्थित "संस्कारशाला सह पुस्तकालय के प्रांगण में 16.2.2020 को 'कलमगार' के द्वारा काव्य सरिता नामक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसका थीम "जल, जंगल, जमीन, प्रकृति तथा पशु-पक्षी" था।

कार्यक्रम में कुल 37 प्रतिभागियों ने पर्यावरण, प्रकृति पर अपनी काव्य रचना सुनाकर श्रोताओं का इसके संरक्षण व संवर्धन की ओर ध्यान आकृष्ट किया। कार्यक्रम में मंच संचालन कवि मणि कान्त कौशल और संयोजन सुमन सौरभ ने किया। युवा कवयित्री रश्मि गुप्ता ने पर्यावरण पर सारगर्भित कविताओं का पाठ किया।

शायर मो. नसीम अख्तर को वह पल भुलाये नहीं भूलता जब उन्होंने कहीं पनाह पाई थी - 
जिसकी घनी छाँव के तले हमने
सुलगती धूप में पनाह पाई थी
हर ओर जले थे प्रेम के दीये
अंधेरी रात की तक़दीर जगमगाई थी।

लोभी-स्वार्थी अदूरदर्शी मानवों द्वारा नैसर्गिक सौंदर्य और जीवनरक्षक संपदाओं के क्षरित-विच्छिन्न और विरूपित होते चले जाना आज समूची जीव जगत के लिए विनाशक हो चुका है। इस स्थिति से आज के मुद्दों को उठानेवाली अनेकानेक सशक्त कविताओं के रचयिता कवि सिद्धेश्वर खिन्न हैं. उनकी टीस  महसूस की जा सकती है-
"कौन लिख रहा /पत्ते -पत्ते पर 
  काले धुएं का गीत ?
  आकाश के सुंदर चेहरे पर
  कौन कालिख पोत रहा ?
*धरती पर कौन 
  प्रदूषण का बीज बो रहा
  शोर में कौन बदल रहा 
  धरती का मधुर संगीत
 *अपराधी है कौन?
  हम सब हैं / जो धरती को बांट रहे
  जीव-जंतु, पेड़, पहाड़ तक उनको काट रहे
  मातमी चुम्बन लेकर कौन कर रहा
  विनाश से प्रीत?

बैंक अधिकारी होते हुए हुए भी साहित्य की अनवरत साधना कर मिसाल कायम करनेवाले युवा कवि संजय कुमार, प्रकृति को दिल की गहराइयों से प्यार करते हैं और उसे बचाने की उनकी आकांक्षा आज वेदना के रूप में उभर रही है -
दौड़ती भागती जिंदगी में
किसे याद रहता है
पहाड़ नदियां पेड़ और पौधे
जो कभी कोई सुध ले
कि हमारी वेदना है क्या
जल जीवन और हरियाली
तुम्हारी चेतना के निकट
कभी जा पाती है क्या

विपुल शरण की पंक्ति भी प्रकृति के छेड़छड़ से दुखी लगे-
"कैसे करूं मैं वर्णन 
 तू है मेरा पर्यावरण के साथ 

मणिकान्त कौशल  लुप्तप्राय प्यारी सी नहीं गौरैया पंक्षी को बेचैनी से साथ खोजते दिखे - 
"जाने कहां वो चली गई /जाने क्या- क्या खाती है ,/
वो प्यारी- प्यारी गौरैया / नजर नहीं अब आती है !/

अमृतेश मिश्रा द्वारा ने पानी का अपव्यय करनेवाले नए धनाढ्यों को एक झटका दिया गया- 
"ओ ! पम्प मोटर वालों ,/अरे पानी बचा लो / 

भावप्रवण युवाकवि केशव कौशिक की गीत 
  बादलों   में   तैरते   गाँव   घर
  कहो   सुखन   कभी  देखा  है
*वहाँ  गगन   को  छूते   पहाड़
  उनसे   गुजरते    पक्के   रास्ते
  देख  यह   मन   हर्षित   होता
  स्कूल    जाते   बच्चे   विहँसते
  ऊँचे  पहाड़ों  से  गिरता  निर्झर
  कहो सुखन.....
  *छोटे - छोटे   उनके  पक्के  घर
  जिनमें   रहते   हैं   लोग   प्यारे
  मेघ  अंजलि   भर   पानी  देता
  प्रकृति    के    वे   अति  दुलारे
  दहकते   आग   जैसा   दिनकर
  कहो सुखन.....
*कल-कल स्वर से बहती नदियाँ
  घर - घर पानी का नलका रहता
  बचपन   के   पूरे   होते    सपने
  मेघ पकड़-पकड़ जेब में रखता
  घन - घटा का ऊन -सा मंजर
  कहो सुखन.....

कवयित्री रश्मि गुप्ता की नजरों में प्रकृति के नयनाभिराम दृश्यों का नहीं दिखना सबसे बड़ी वंचना है -
बहुत दिनों से
नही देखी थी उसने हरियाली
फूल, चिड़िया, झरना
सुबह की लाली या शाम की सुहानी बेला।

कलमगार की टीम गौरैया संरक्षण के कार्यक्रम में एक कदम आगे बढ़ते हुए अब शहर में प्रकृति संरक्षण हेतु लोगों को उनके घर जाकर प्रेरित करने वाली है कलमगार की मानें तो गौरैया संरक्षण के लिए बर्ड हाउस के साथ साथ प्रकृति तथा बगीचे का बढ़ना जरूरी है ताकि जीवन के की श्रंखला सतत चलती रहे। इस अवसर पर विपुल शरण श्रीवास्तव, संजीव कुमार, संजय कुमार आदि उपस्थित रहें।

इस प्रकार पर्यावरण को समर्पित कवि=गोष्ठी में उत्साहपूर्वक भाग लेकर  एक जन-जागृति लाने का जोरदार प्रयास सम्पन्न हुआ
...........

रपट का आलेख - सिद्धेश्वर 
छायाचित्र - सिद्धेश्वर
प्रस्तुति - हेमन्त दास 'हिम'
रपट के लेखक का ईमेल- sidheshwarpoet.art@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल - editorbejodindia@gmail.com
नोट - जिन प्रतिभागियों की पंक्तियाँ इसमें शामिल नहीं हो पाईं हों वो उन्हें ऊपर दिये गए सम्पादक के ईमेल पर भेज सकते हैं.