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Saturday, 16 November 2019

सुशील भारद्वाज के कथा-संग्रह 'जनेऊ' का लोकार्पण पटना में 15.11.2019 को सम्पन्न

वर्जनाओं को तोड़ने की छटपटाहट 

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सुशील भारद्वाज मूलत: निबंधकार हैं लेकिन कविता- कथा लेखन में भी रूचि रखते हैं. अपनी पुरातन संस्कृति में गहन आस्था रखनेवाले इस लेखक का सोच स्पष्ट है चाहे आप उससे सहमत हों या नहीं. यह रचनकार अपनी पहली कृति में भी अपनी छाप छोड़ गया है. इनकी कहानियों में विचार-पक्ष अन्य सभी पक्षों से मजबूत होने की संभावना है.

सुशील भारद्वाज रचित कथा संग्रह का लोकार्पण सीआरडी  पुस्तक मेला, पटना  में दिनांक 15.11.2019 को किया गया. लोकार्पण करनेवालों में पद्मश्री उषा किरण खान, अरुण शाद्वल, सतोष दीक्षित, अवधेश प्रीत और आशा प्रभात शामिल थीं. मंच संचालन नताशा ने किया.

अरुण शाद्वल  का विचार था कि वर्जनाओं को तोड़ने की छटपटाहट इस लेखक में मौजूद है. उन्होंने इस संग्रह की एक कहानी 'जनेऊ' और 'नंदिनी' को एक ही श्रेणी में रखनेयोग्य बताया.

हसन इमाम ने संग्रह की कहानी "पगली का तौलिया" को बहुत सराहा और कहा कि इस कहानी में लेखक की राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि की तीक्ष्णता का पता चलता है. उन्होंने कहा कि 'जनेऊ' कहानी में सामंती व्यवस्था की कुरूपता दिखाई गई है..

डॉ. उषा किरण खान ने कहा कि लेखक में कृतिमता नहीं है. उन्होंने "पगली का तौलिया" को सर्वश्रेष्ठ कहानी बताया. उनकी नजर में लेखक एक स्वाभाविक कथाकार लगे जिनकी लेखकीय क्षमता प्रसंसा योग्य है.

संतोष दीक्षित की दृष्टि में लेखक ने गतिमय यथार्थ को पकड़ने की कोशिश की है. अवधेश प्रीत ने कहा कि लेखक में रचनात्मक ऊर्जा प्रचूर मात्रा में है.आशा प्रभात ने लेखक की कहानी में दृष्टि की प्रशंसा की.

अंत में नताशा ने आये हुए सभी साहित्यकारों और श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन किया।

इस तरह से पुस्तक मेले के एक अपनी तरह का विशेश आयोजन सम्पन्न हुआ.
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आलेख - बेजोड़ इंडिया ब्यूरो
जानकारी स्रोत - सुशील कु. भारद्वाज  
प्रतिकिया हेतु ईमेल - wsurievwhisubsu@yahoo.com







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