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Tuesday, 4 June 2019

भोजपुरी त्रैमासिकी 'सँझवत ' के प्रवेशांक (अप्रैल-जून, 2019) का लोकार्पण पटना में 28.5.2019 को सम्पन्न

स्तरीयता से कभी समझौता नहीं होगा 
वर्तमान पीढ़ी में लेखकों की संख्या अत्यल्प



पटना। वरिष्ठ साहित्यकार और भोजपुरी के गालिब कहे जाने वाले जगन्नाथ के आवास पर भाषा, साहित्य, संस्कृति, संवेदना और शोध की भोजपुरी त्रैमासिकी 'सँझवत' के प्रवेशांक (अप्रैल-जून, 2019) लोकार्पण-कार्य संपन्न हुआ। 

पत्रिका का विमोचन करते हुए जगन्नाथ ने कहा कि यह पत्रिका भोजपुरी भाषा और साहित्य को समझने में उपयोगी होगी। उन्होंने यह विश्वास व्यक्त किया कि डॉ. विमल के संपादन में यह पत्रिका निरंतर प्रकाशित होती रहेगी और स्तरीयता से कभी समझौता नहीं करेगी। अपने उद्बोधन के दौरान श्री जगन्नाथ ने भावुक होते हुए इस विषय पर चिंता भी व्यक्त की कि वर्तमान पीढ़ी में लेखकों की संख्या अत्यल्प है। नई पीढ़ी के लेखकों को भोजपुरी में लेखन के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए और विभिन्न विषयों और विधाओं में उनसे लिखवाया जाना चाहिए।

मौके पर हिंदी और भोजपुरी के प्रख्यात साहित्यकार डॉ. भगवती प्रसाद द्विवेदी और प्रधान संपादक डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल के साथ ही अन्य साहित्यप्रेमी भी मौजूद थे।

भोजपुरी और हिंदी साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने 'सँझवत' के आकर्षक आवरण पृष्ठ की जमकर प्रशंसा करते हुए उसमें प्रकाशित सामग्री की स्तरीयता और उपादेयता पर प्रसन्नता व्यक्त की। श्री द्विवेदी ने भरपूर खुशी और विश्वास के साथ कहा कि डॉ. विमल के संपादन में यह पत्रिका निस्संदेह भोजपुरी भाषा के मानकत्व तथा साहित्य को एक विशिष्ट ऊँचाई प्रदान करेगी।

उन्होंने कहा कि विभिन्न गद्य विधाओं के लिए विषय देकर और काव्य के क्षेत्र में विशिष्ट छंदों में लेखन कराकर नई पीढ़ी की ऊर्जा को भोजपुरी लेखन के लिए प्रेरित किया जा सकता है। संपादक नए लेखकों को यह भरोसा दिला पाएँ कि उनकी रचनाओं को संशोधित कर बेहतर रूप दिया जा सकता है तो वे युवा रचनाकारों की एक अच्छी टीम तैयार कर सकते हैं।

पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल ने 'सँझवत' में प्रकाशित सामग्री का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह प्रवेशांक वास्तव में पत्रिका का अनंतिम रूप नहीं है, वरन् मूल्यवान सुझावों के आलोक में अगले कुछ अंकों के बाद ही इसके रूप की सुनिश्चितता स्पष्ट हो पाएगी।

उन्होंने विश्वास दिलाया कि वे नई पीढ़ी के रचनाकारों की टीम तैयार करने और उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए जितना भी संभव हो पाएगा, प्रयत्न करते रहेंगे। वे जहाँ 'सँझवत' को मुख्य रूप से शोध और समीक्षा की पत्रिका के रूप में स्थापित करना चाहते हैं, वहीं साहित्य की हर विधा में लेखन हेतु उसे एक मानक और प्रेरक मंच भी बनाना चाहते हैं।

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आलेख - रामरक्षा मिश्र विमल
छायाचित्र सौजन्य - रामरक्षा मिश्र विमल
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com

5 comments:

  1. जय हो । बधाई आ शुभकामना । एक नजर हेनियो - www.cartoondhun.com

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    1. धन्यवाद।
      बिल्कुल। समय-समय हम कार्टूनधुन डॉटकाॅम देखत रहींले।

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    2. धन्यवाद चित्रांगन जी. जी www.cartoondhun.com को भी अवश्य देखा जाएगा.

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  2. प्रस्तुत आलेख के लेखक के आग्रह पर इसके शीर्षक और लेख में "जुललई-सितम्बर 2019" के स्थान पर "अप्रैल-जून 2019" किया गया है. पूर्व में प्राप्त मूल सामग्री में ही त्रुटि थी. इस त्रुटि हेतु हमें खेद है.

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