जीवन के लिए गति और लयबद्धता अनिवार्य
इस निस्सार जीवन में जब तक प्रेम का समावेश नहीं होता तब तक उसका कोई अर्थ नहीं और प्रेम बसता है सौंदर्य में. ध्वनि में सौंदर्य का अंवेषण संगीत और गति में नृत्य कहलाता है. जिस तरह से जीवन का सार प्रेम है उसी तरह से ध्वनि का लय और गति का नृत्य.
विश्व नृत्य दिवस के अवसर पर एक दिन पूर्व नृत्य संगीत को समर्पित संस्था संगीत शिक्षायतन में नृत्य की विभिन्न शैलियों में नृत्य कर सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ मनाया गया।
विश्व नृत्य दिवस के अवसर पर एक दिन पूर्व नृत्य संगीत को समर्पित संस्था संगीत शिक्षायतन में नृत्य की विभिन्न शैलियों में नृत्य कर सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ मनाया गया।
सबसे पहले कार्यक्रम की शुरुआत में दीप प्रज्वलन से हुई जिसमें नृत्य विधा में संस्था से शिक्षा प्राप्त किए शिक्षार्थियों द्वारा संस्था की गरिमा को बनाए रखते हुए दीप ज्वलित किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति में शिक्षायतन अपनी दोनों साधना केंद्र पटना सिटी तथा कंकड़बाग के कलाकारों द्वारा एक से बढ़कर एक नृत्य की प्रस्तुतियां देते रहे जिसमें गुरु वंदना, कथक शैली में सूफी नृत्य, फिर फ्री स्टाइल, कंटेंपररी, हिप हॉप, वाॅलीवुड मिक्स गानों पर दर्शकों की तालियां बजती रही। "कोर रंग दे" राजस्थानी और "साई मोरा सैयां" भोजपुरी गाने ने नृत्य की लोक छटा से प्रांगण में मिट्टी की सौंधी खुशबू बिखेर दी। सभी नृत्य का संयोजन कथक नृत्यांगना यामिनी तथा नृत्य प्रशिक्षक रवि मिश्रा द्वारा दमदार कोरियोग्राफी का नमूना पेश हुआ।
आंगिकम भुवनम, यश्य वाचकम,सर्व वाङ्मयम, आहार्य चन्द्र ताराधि, तं नुम:( वन्दे) सात्विकम।
कथक नृत्यांगना यामिनी शर्मा ने श्लोक का अर्थ बताते हुए इसके भाव को मुद्राओं द्वारा स्पष्ट किया। ॐ के साथ शिव की उत्पत्ति हुई ।डमरु, नाद का प्रतीक है और नाद संगीत है। नटराज की लय बद्ध ता नृत्यरत स्थिति स्वयं में ब्रह्मांड की लय बद्धता की उद्घोषणा करती हैं। बिना गति के कोई भी जीवन नहीं और जीवन के लिए लयबद्धता अनिवार्य है।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में संस्कार भारती पटना इकाई के श्री प्रवीर कुमार , श्री रूपेश कुमार सिन्हा तथा श्री अवधेश झा ( कवि व लेखक) उपस्थित थे। *श्री अवधेश झा ने शिव पुराण के अनुसार नटराज का अर्थ और नृत्य के होने का सार बताया । अज्ञानता को सिर्फ ज्ञान, नृत्य, संगीत से दूर किया जा सकता है, जिसका सूचक नटराज है। नाट्य शास्त्र में उल्लेखित संगीत, नृत्य, व्याकरण अभिनय सभी के प्रणेता शिव है। सभी नृत्य का स्रोत तांडव है।
संस्था की सचिव रेखा शर्मा की अध्यक्षता में कार्यक्रम में भाग लेने वाले कलाकारों को पुरस्कार प्रदान किया गया। नृत्य कलाकार थे - सौम्या,अनन्या,अदिति,रोहित,सिमरन, आरव,अलीशा, आकृति, आर्णा,संजना, कृति, आरोही, अनुष्का, सुहानी आदि नृत्य की अद्भुत प्रस्तुतियां दी। तथा केंद्राधीक्षक श्री रूधीश कुमार ने कलाकारों के उत्साह वर्धन में उनके नृत्य को जीवन के विभिन्न आयामों से जोड़ते हुए नृत्य और जीवन की सार्थकता में नृत्य की महत्वपूर्ण भूमिका को बताया।
कार्यक्रम के अंत में श्री रवि मिश्रा (केंद्र प्रमुख ,शिक्षायतन पटना सिटी) द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।
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आलेख - बेजोड़ इंडिया ब्यूरो
छायाचित्र सौजन्य - यामिनी
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