जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्ना  / वस्ल से इंतिज़ार अच्छा था 
जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्ना 
वस्ल से इंतिज़ार अच्छा था 
अब मिरी कोई ज़िंदगी ही नहीं 
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या
किसलिए देखते हो आईना 
तुम तो ख़ुद से भी ख़ूबसूरत हो।
24 मार्च 19 को पटना के मुस्लिम हाई स्कूल में  साहित्यिक संस्था हमारे अल्फ़ाज़ द्वारा "शाम-ए-जाॅन" ओपन माईक का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में छात्र एवं छात्राओं ने हिस्सा लिया। शायर जाॅन एलिया की ग़ज़ल और शे'र के अलावा उनके जीवन के अनेक पहलू पर चर्चा की गई। शायर जाॅन एलिया का जन्म 14 दिसंबर 1931 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा शहर में हुआ था, 1957 में वो पाकिस्तान चले गए और 08 नवंबर 2002 में दूनिया को अलविदा कह दिया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से इन लोगों ने हिस्सा लिया, नसर आलम नसर, प्रभात कुमार, रौशन कु. सिंह,अमित कु. आज़ाद ,मो. इन्तेशामुद्दीन,प्रिंस राज,नीतीश अभिषेक ,सैयद हामिद रज़ा ,विवेक रौशन,कुमार मनीष , मनोरंजन , अंकेश,क्षितिज रंजन ,मीनाक्षी इत्यादि। कार्यक्रम के शुरुआत में शिप्रा श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। संचालन मशहूर शायर मो नसीम अख्तर ने किया और धन्यवाद ज्ञापन मेराज ने किया।
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आलेख- मो. नसीम अख्तर
छायाचित्र- हमारे अल्फाज़
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी- editorbejodindia@yahoo.com






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