गज़ल (Gazal)
Poet- Satish Prasad Sinha |
मौत
तुमसे कभी मैं डरूंगा नहीं
मार दोगी मगर मैं मरूंगा नहीं
I
shall never be afraid of you, Demise
Even
after being killed, I will rise
धुंध, आँधी,
बवंडर न मुझको दिखा
रौशनी
बन चुका हूँ बुझूंगा नहीं
Mist,
tempest and tornado can do nothing
It’s
a flame of light which never never dies
जीत
मुझको मिले या नहीं भी मिले
हार
के रंग में मैं रंगूंगा नहीं
I
may get a victory or may not
I won't look vanquished or likewise
दर्द पीने की लत लग चुकी अब मुझे
अब किसी से शिकायत करूंगा नहीं
I have now taken to drinking pains
Not complaining to anybody is wise
पास आकर मुझे देख लो तुम जरा
ज़ख्म से हूँ भरा उफ करूंगा नहीं
Come near O’ dear, watch me carefully
This, a man full of injuries who never cries
यार बन कर मुझे तुम भले मार दो
यार तुमको बनाकर छलूंगा नहीं
Won’t mind if you kill me being my friend
But I shall never deceive you in friend’s guise
लाख चंदन सजा कर जला दो मुझे
याद में हूँ तुम्हारी, जलूंगा नहीं.
Innumerably even though you cremate me with sandals
I shall remain as a memory in your mind and eyes.
....
मधुरेश नारायण की आवाज में सुनिए यह गज़ल - यहाँ क्लिक कीजिए
Listen this gazal in the voice of Madhuresh Narayan- Click here
मूल हिन्दी कवि (Original poem in Hindi) - सतीश प्रसाद सिन्हा (Satish Prasad sinha)
Link of Satish Prasad Sinha - Please click here
अंग्रेजी पद्यानुवाद (Poetic translation into English) - हेमन्त दास 'हिम' (Hemant Das 'Him')
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