गज़ल- 1: माँ
Poem-1: Mother
गोद सलोना मखमल बिस्तर लगता है
The fold of mother is the earth and heaven
The lap is velvet bed so pretty a terrain
प्रेम शजर उसने ही दिल में बोया है
दिल उसका परियों सा सुंदर लगता है
She herself has grown
the tree of love
Her heart is as
beautiful as a fairy, listen
माँ से ही घर की शोभा है उसके बिन
सूना सूना सब अगनई घर लगता है
She is the glory of the
house, without her
The courtyard is
lonely, pallid and plain
मन के भावों की उसको है परख बड़ी
दिल उसका इक नेह समंदर लगता है
She has a great knowledge of our feelings
Her heart is like an affectionate bubbly ocean
माँ चौखट पर अक्सर मेरी राह तके
सुखद सुहाना मन घर आकर लगता है
Mom often looks for me
on the door frame
I reach a soothing
serene home, again
मेरी माँ दिल जाँ में मेरे बसती है
पावन मंदिर मन के अंदर लगता है
My mother dwells in my heart and soul
A holy temple is within my home, certain.
गज़ल-2
आदमी हार थक जब बेचारा हुआ
वक्त का फिर नया सा इशारा हुआ
रहमतों से बरसती दुआ जो मिली
फिर किसी ना किसी का सहारा हुआ
हौसले खुद जो हासिल करें जिंदगी
हासिले-आरज़ू फिर तुम्हारा हुआ
जिंदगी पुर सुकूँ बीत जाये यहाँ
आदमी आदमी का ही मारा हुआ
इश्क़ के नाम पर घाव ही घाव हैं
दिल्लगी में मुझे भी ख़सारा हुआ
आशनाई सनम की नहीं रास अब
चाहतों नफरतों से किनारा हुआ
चार दिन चांदनी में कटी जो सफ़र
जान ज़ालिम ज़माना अंगारा हुआ
शब्दार्थ: ख़सारा : नुकसान, हानि, loss. आशनाई : प्रेम, love, दोस्ती, friendship.
.....
शब्दार्थ: ख़सारा : नुकसान, हानि, loss. आशनाई : प्रेम, love, दोस्ती, friendship.
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अंग्रेजी पद्यानुवाद -हेमन्त दास 'हिम' / Poetic Translation into English - Hemant Das 'Him'
कवि-परिचय: सुनील कुमार मुख्यत: प्रेम के विषय पर लिखनेवाले गज़लगो हैं जो पिछले कुछ वर्षों से साहित्यकर्म में काफी सक्रिय हैं. ये पटना उच्च न्यायालय में कार्यरत एक अधिकारी हैं.
कवि-परिचय: सुनील कुमार मुख्यत: प्रेम के विषय पर लिखनेवाले गज़लगो हैं जो पिछले कुछ वर्षों से साहित्यकर्म में काफी सक्रिय हैं. ये पटना उच्च न्यायालय में कार्यरत एक अधिकारी हैं.
Intoduction of the poet: Sunil Kumar is a poet who concentrates mainly on feeling of love. He is an officer in Patna Hingh Court and has been very active in literary activities since last couple of years.
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