Main pageview- 55647 (Check the latest figure on computer or web version of 4G mobile)
मैं खुद आया नहीं लाया गया हूँ
दिनांक 07 जनवरी 2018 को पटना के लंगूर गली में स्थित अज़ीम शायर सैयद अली मुहम्मद शाद अजीमाबादी के मज़ार पर उनकी 90वीं जयंती पर बिहार पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष अनिल सुलभ, पटना की महापौर सीता साहू के कर कमलों द्वारा प्रतिष्ठित 'शाद अज़ीमाबादी सम्मान 2017' प्रदान किये गए. हिंदी साहित्य में विशिष्ट योगदान के लिए समीर परिमल और उर्दू साहित्य के लिए डॉ. एजाज़ अली अरशद. साहित्य एवं समाजसेवा सम्मान मधुरेश नारायण और इम्तियाज़ करीमी को एवं गौहर शेखपूर्वी सम्मान अहमद राशिद को दिए गए. कमलनयन श्रीवास्तव द्वारा संचालित इस कार्यक्रम में पहले बिहार के गौरव माने जानेवाले शाद अजीमाबादी की मज़ार पर चादर चढ़ाई गई. 1846 में जन्मे और 1927 में नश्वर दुनिया को छोड़ देनेवाले 'शाद' की एक प्रसिद्द ग़ज़ल नीचे प्रस्तुत है-
तमन्नाओं में उलझाया गया हूँ
हूँ इस कूचे के हर ज़र्रे से आगाह
नहीं उठते क़दम क्यूँ जानिब-ए-दैर
दिल-ए-मुज़्तर से पूछ ऐ रौनक़-ए-बज़्म
सवेरा है बहुत ऐ शोर-ए-महशर
सताया आ के पहरों आरज़ू ने
न था मैं मो'तक़िद एजाज़-ए-मय का
लहद में क्यूँ न जाऊँ मुँह छुपा कर
कुजा मैं और कुजा ऐ 'शाद' दुनिया
No comments:
Post a Comment
अपने कमेंट को यहाँ नहीं देकर इस पेज के ऊपर में दिये गए Comment Box के लिंक को खोलकर दीजिए. उसे यहाँ जोड़ दिया जाएगा. ब्लॉग के वेब/ डेस्कटॉप वर्शन में सबसे नीचे दिये गए Contact Form के द्वारा भी दे सकते हैं.
Note: only a member of this blog may post a comment.