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Monday, 8 January 2018

नवशक्ति निकेतन द्वारा बिहार के कुछ साहित्यकारों को सम्मान पटना सिटी में

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मैं खुद आया नहीं लाया गया हूँ 

दिनांक 07 जनवरी 2018 को पटना के लंगूर गली में स्थित अज़ीम शायर सैयद अली मुहम्मद शाद अजीमाबादी के मज़ार पर  उनकी 90वीं जयंती पर बिहार  पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष अनिल सुलभ, पटना की महापौर सीता साहू के कर कमलों द्वारा प्रतिष्ठित 'शाद अज़ीमाबादी सम्मान 2017' प्रदान किये गए. हिंदी साहित्य में विशिष्ट योगदान के लिए समीर परिमल और उर्दू साहित्य के लिए डॉ. एजाज़ अली अरशद. साहित्य एवं समाजसेवा सम्मान मधुरेश नारायण और इम्तियाज़ करीमी को एवं गौहर शेखपूर्वी सम्मान अहमद राशिद को दिए गए. कमलनयन श्रीवास्तव द्वारा संचालित इस कार्यक्रम में पहले बिहार के गौरव माने जानेवाले शाद अजीमाबादी की मज़ार पर चादर चढ़ाई गई. 1846 में जन्मे और 1927 में नश्वर दुनिया को छोड़ देनेवाले 'शाद'  की एक प्रसिद्द ग़ज़ल नीचे प्रस्तुत है-

तमन्नाओं में उलझाया गया हूँ
 खिलौने दे के बहलाया गया हूँ

हूँ इस कूचे के हर ज़र्रे से आगाह
 इधर से मुद्दतों आया गया हूँ

नहीं उठते क़दम क्यूँ जानिब-ए-दैर
 किसी मस्जिद में बहकाया गया हूँ

दिल-ए-मुज़्तर से पूछ ऐ रौनक़-ए-बज़्म
 मैं ख़ुद आया नहीं लाया गया हूँ

सवेरा है बहुत ऐ शोर-ए-महशर
 अभी बेकार उठवाया गया हूँ

सताया आ के पहरों आरज़ू ने
 जो दम भर आप में पाया गया हूँ

न था मैं मो'तक़िद एजाज़-ए-मय का
 बड़ी मुश्किल से मनवाया गया हूँ

लहद में क्यूँ न जाऊँ मुँह छुपा कर
 भरी महफ़िल से उठवाया गया हूँ

कुजा मैं और कुजा ऐ 'शाद' दुनिया
 कहाँ से किस जगह लाया गया हूँ.






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