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Friday, 26 January 2018

द संस्कृति आर्ट के नाटक 'दर्द-ए-दिल' के कलाकार और सचित्र प्रेस बिज्ञप्ति / 25.1.2018 को पटना में मंचित

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रोगभ्रम की दशा का सुन्दर चित्रण


कथा-सार: नाटक के प्रमुख पात्र को बिमारी का वहम रहता है. वह जिस बिमारी का नाम सुनता है उसे लगता है कि उसको वही बिमारी हो गई है. हद तो तब हो जाती है जब उसे लगता है कि वह जल्दी ही मरनेवाला है. वह खुद तो परेशान रहता ही है औरों के लिए भी जटिलताएँ पैदा करता चला जाता है. पूरा नाटक हास्य से परिपूर्ण है. नाटक इस सच्चाई को भी उजागर करता है कि आज का समाज ऐसे रोगभ्रम (hypochondriac)  वाले लोगों से भरा हुआ है.   
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कलाकारों के सामूहिक चित्र के फोटोग्राफर- हेमन्त दास 'हिम' 
ईमेल- hemantdas_2001@yahoo.com












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