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Friday, 6 October 2017

अंगिका की अंगराई -8 / राजकुमार भारती (Angika poem with poetic English translation)

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मोर पिया ( अंगिका)


केतना जे सुन्दर छै
केतना जे अच्छा छै
जब जब बोलाबै छौ
दै हमरा गच्चा छै
रोबे जे बबुआ छै
कानै जे बचिया छै
देखै ले पप्पा कै
तरसै सब बचबा छै
Oh, he is so handsome
On, he is so good
Whenever I call him
He succeeds to elude
Leaving the boy crying
And the baby annoying
For getting a glimpse of dad
Every kid is going mad.

कम्बै परदेशबा छै
भेजै सनेसबा छै
मिट्ठा मिट्ठा बात
करै मोबैलबा छै
काम आरू धंधा में
दिन केनौह कटै छै
रात के अंधेरिया मे
याद बड्डी सतबै छै
तरसै छी  बरसै छी
बड़ी दुख पाबै छी
For earning money, he is abroad
From there, such a message, my God
For talking sweet all the while
he always rings up the mobile
Darling, in daytime, works keep me busy
And remembering you whole night I feel uneasy
My eyes rains craving for you
The pangs I bear nobody can do

कोशी सहरसा के
मगध तिरहुतिया के
अंग परदेशबा और
जवान भोजपुरिया के
हाल सबके एक्के छै
कैनियन और दुल्हिन के 
नयकी पुरनकी के
आरू दुलरैती के
तरसै छै खूब जिया
तरसै छै खूब जिया
यहे छेकै मोर पिया
यहे छेकै मोर पिया
All from Koshi-Saharsa in a row
From Magadh , Tirhut and so
About the region of Anga
Or the soldiers of Bhojpur fame
The conditions of all are same
About each and every bride
New or old in every side
All are craving for badly
But they never see hubbies sadly.
.......................
Original poem in Angika by - Rajkumar Bharti
Poetic English translation by- Hemant Das 'Him'
You may send your responses through email to - hemantdas_2001@yahoo.com





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