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Monday, 18 September 2017

सांस्कृतिक परिक्रमा अंक- 18.9.2017 (Cultural Roundup by Bihari Dhamaka): हिंदी दिवस,-जागरण कार्यालय, पटना, बक्सर, पूर्णिया, भागलपुर, डीडी-बिहार. मधुबनी, जयपुर, दरभंगा, खगौल, पटना आदि स्थानों के कार्यक्रम भी

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 बक्सर, पूर्णिया, भागलपुर, डीडी-बिहार. मधुबनी, जयपुर, दरभंगा, खगौल, जागरण कार्यालय, पटना आदि स्थानों के कुछ कार्यक्रम


नोट: सांस्कृतिक परिक्रमा में अपने कार्यक्रमों को शामिल करवाने हेतु चित्रों को संक्षिप्त विवरण के साथ बिहारी धमाका ब्लॉग के ऊपर की ओर लिखे व्हाट्सएप्प नंबर पर मेसेज भेजें.(फोन न करें.)

'बिहार बिहान' टीवी चैनल डीडी-बिहार से प्रतिदिन 8.30 बजे सुबह प्रसारित होनेवाला एक बेहतरीन कार्यक्रम है जिसमें प्रतिदिन बिहार की एक खास शख्सीयत से मुलाकात होती है. उस आमनत्रित व्यक्ति से उसके व्यक्तिगत जीवन से लेकर उसकी तमाम उपलब्धियों के बारे में पूछ्कर उससे अक्सर कुछ गाने को भी कहा जाता है. कार्यक्रम बहुत ज्ञानवर्धक, प्रेरणादायक और रोचक होता है. प्रत्येक बिहारी को यह अवश्य देखना चाहिए.

(ऊपर चित्र में कवि घनश्याम कविता-पाठ करते हुए) 14 सितंबर 2017 को हिन्दी दिवस के अवसर पर प्रभुतारा स्कूल,सकरी गली, पटना सिटी के प्रांगण में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता श्री कमलनयन श्रीवास्तव और संचालन श्री ब्रजेश पाण्डेय ने किया.विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री प्रभात कुमार धवन और डॉ.सुनील कुमार उपाध्याय तथा मुख्य अतिथि के रूप में कवी घनश्याम को मंचस्थ किया गया. कवि सम्मेलन में श्री प्रभात कुमार धवन, डॉ.सुनील कुमार उपाध्याय,मनोज कुमार उपाध्याय, एहसान अली, कवियित्री निशात अख्तर और विमला कुमारी तथा मेरे अतिरिक्त लगभग दर्जन-भर छात्र-छात्राओं ने विभिन्न विषयों पर अपनी रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.अंत में विद्यालय के निदेशक श्री मुकेश जी ने उपहार स्वरूप अतिथियों को पुस्तक और पुष्प-पादप देकर सम्मानित किया. (नीचे के तीन चित्र भी इसी कार्यक्रम के हैं.)





17 सितम्बर 2017 को ज्योति प्रकाश मेमोरियल लाइब्रेरी,बक्सर में कवि सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा किया गया था,जिसकी हृषिकेश पाठक ने अध्यक्षता की तथा संचालन सुप्रतिष्ठ ग़ज़लगो कुमार नयन ने किया।इसमें कुल 18 कवियों और शायरों ने भाग लिया,जिसमें अरुण शीतांश,असर फरीदी,प्रीतमजी,विहान जी,रामेश्वर प्रसाद वर्मा, रामाधार सिंह,फारुखी ,शेखर शशांक ,सुश्री लक्ष्मी, सुजाता कुमारी, अनुज आदि थे।इस अवसर पर प्रतिभा चौहान का काव्य-संग्रह "पेड़ों पर मछलियाँ " का लोकार्पण भी किया गया। (नीचे का एक चित्र भी इसी कार्यक्रम का है)





(ऊपर चित्र में कवि कैलाश झा किंकर अपने कवि-मित्रों के साथ) तरुणोदय सांस्कृतिक विकास परिषद्, पूर्णिया के बैनर तले 15.9.2017 को कला भवन ,पूर्णिया में कविगोष्ठी-सह-सम्मान समारोह का आयोजन डा0 प्रभात नारायण झा ,केन्द्र निदेशक, आकाशवाणी, पूर्णिया की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।मुख्य अतिथि के रूप में हिन्दी भाषा साहित्य परिषद् खगड़़िया के महासचिव कैलाश झा किंकर और विशिष्ट अतिथि के रूप में अवधेश्वर प्रसाद सिंह, शिखर संरक्षक ,कौशिकी, त्रैमासिक, खगड़़िया मंचस्थ थे।मंचसंचालक की भूमिका में डा0 प्रेमचंद पांडेय,सलाहकार,हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर सक्रिय थे। परिषद् की ओर से कैलाश बिहारी चौधरी ने सभी आगत अतिथियों का स्वागत किया।सियाराम यादव मयंक,मधेपुरा एवम् कोशी आलोक चैनल के संचालक सुनील सुमन को अंगवस्त्र ,सम्मान पत्रादि से सम्मानित किया गया। सर्वश्री बाबा बैद्यनाथ झा,प्रो0 देव नारायण पासवान देव,डा0 के0के0चौधरी, मंजुला उपाध्याय, अनूप लाल साह अनुपम ,कुमारी अर्चना,मर्मज्ञ जी आदि की प्रस्तुति से पूर्णियां की शाम साहित्यकारों के नाम हो गई। (नीचे के दो चित्र भी इसी कार्यक्रम के हैं.)




(Upper pic)  Songs of  Faiz Ahmed Faiz ....mujhse pahli si mohabbat mere mehboob na maang..
and other super melodious songs were presented recently at Tara Mandal, Patna, Bihar.

डीडी-बिहार के बिहार बिहान कार्यक्रम की टीम के सदस्य और कलाकार कार्यक्रम अचिशासी के.के.मिश्रा के साथ

डीडी-बिहार के बिहार बिहान कार्यक्रम की टीम के सदस्य और कलाकार कार्यक्रम अचिशासी के.के.मिश्रा के साथ

काशीनाथ पाण्डेय शिखर सम्मान समारोह, कालिदास रंगालय, पटना

काशीनाथ पाण्डेय शिखर सम्मान समारोह, कालिदास रंगालय, पटना

काशीनाथ पाण्डेय शिखर सम्मान समारोह, कालिदास रंगालय, पटना
'राम की शक्तिपूजा' नाटक की टीम के कलाकार

काशीनाथ पाण्डेय शिखर सम्मान समारोह, कालिदास रंगालय, पटना और नाटक 'राम की शक्तिपूजा' के दर्शक के रूप में कवि घनश्याम और एक पत्रकार






(ऊपर में) हिंदी दिवस (14 सितम्बर,201) को दैनिक जागरण के द्वारा उनके कार्यालय में आयोजित विमर्श कार्यक्रम में विशेषज्ञों और छात्रों को आमंत्रित किया गया था. ब्लॉगर हेमंत दास समेत रमेश पाठक, बी.एन.विश्वकर्मा, आनंद मोहन शास्त्री, मनोज गोवर्धनपुरी, पूनम आनंद, बीरेंद्र भारद्वाज आदि भी आमनत्रित थे. कार्यक्रम का संचालन दैनिक जागरण के मजोज पाण्डेय ने किया जबकि सम्पादक सद्गुरु और सम्पादकीय कार्यालय के विशाल ने भी सम्बोधित किया. छात्रों ने भी अपने सवाल पूछे और अपने विचारों को भी व्यक्त किया जिनमें पिंटू, अंकुर कुमार, मधु कुमारी, तनुजा,  मुकुल, विजया भारती, मो. मेहताब आलम, मनीषा, क्षमा, प्रिया कुमारी आदि भी शामिल थे. (नीचे के तीन चित्र भी इसी कार्यक्रम के हैं.)











राँटी (मधुबनी) की साहित्यकार चंदना दत्त मुम्बई में आयोजित लिटफेस्ट कार्यक्रम के स्मृतिचिन्ह को दिखाती हुईं. ज्ञात हो कि इन्हें वहाँ मैथिली  का प्रतिनिधित्व करने बुलाया गया था. ये मधुबनी की सक्रिय मैथिली साहित्यकार हैं और भारतीय संविधान का भैरव लाल दास के साथ मिलकर मैथिली में अनुवाद करनेवाले डॉ. नित्यानंद लाल दास की पुत्री हैं.





 
आराधना प्रसाद बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के द्वारा इन्हें दिये गए सम्मान-पत्र को दिखाती हुईं





जयपुर का कार्यक्रम जिसमें पटना के प्रत्यूष चंद्र मिश्र पुरस्कृत होने जा रहे हैं.






खगौल में साप्ताहिक नुक्कड़ नाटक के अंतर्गता 'टॉइलेट' का प्रदर्शन

खगौल में साप्ताहिक नुक्कड़ नाटक के अंतर्गता 'टॉइलेट' का प्रदर्शन







खगौल में साप्ताहिक नुक्कड़ नाटक के अंतर्गत 'नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन

खगौल में साप्ताहिक नुक्कड़ नाटक के अंतर्गत 'नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन

 गज़ल-संग्रह 'दिल्ली चीखती है' के शायर समीर परिमल अपनी गज़ल पढ़ते हुए

नसीम अख्तर कविता पाठ करते हुए



17 सितम्बर, 2017  को कवि घनश्याम बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में कविता पाठ करते हुए. मंच पर (दायें से) डॉ.शंकर प्रसाद, डॉ, अनिल सुलभ, पी.एन.सिंह  तथा एक अन्य गणमान्य साहित्यकार

ब्लॉगर हेमंत दास को मैथिली विदुषी श्रीमती वीणा कर्ण से हाल में मिलने का मौका मिला. ये मैथिली भोजपुरी अकादमी की सदस्य रह चुकी हैं, बहुत सम्वेदनशील मैथिली और हिंदी कवयित्री हैं.पटना विश्ववि.में प्रोफसर रह चुकी हैं. इन्होंने हाल में खड़गबल्लभ दास 'स्वजन' का मैथिली काव्यग्रंथ  'सीता-शील' की समीक्षा की जो काफी चर्चित हुई और उसे मैथिली की सबसे सम्मानित ई-पत्रिका 'विदेह' में भी प्रकाशित किया गया. फिलहाल ये मैथिली की प्रथम महांकवयित्री सुधा कर्ण की अप्रतिम अप्रकाशित रचनाओं को पाठकों के बीच में लान में लगी हैं.

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