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समकालीन यथार्थ के साथ प्रेम में पगी हुई रचनाएँ
उमड़ते-घुमड़ते और बरसते बादलों के बीच हम सब एक नए उत्साह एवं समर्पण के
साथ 'दूसरा शनिवार' की गोष्ठी में 22 जुलाई 2017, संध्या 5 बजे कवि
शिवनारायण को सुनने हेतु गाँधी मैदान में
गांधीजी की मूर्ति के पार्श्व में एकत्रित हुए। बारिश का एक झोंका हमें
थोड़ा-बहुत भींगो भी गया था। अरुण नारायण, सत्यम कुमार, सुशील कुमार
भारद्वाज, अस्मुरारी नंदन मिश्र, राजकिशोर राजन, प्रत्युष चंद्र मिश्र,
नेहा नारायण सिंह, अनीश अंकुर, अरविंद पासवान, शशांक, बालमुकुन्द, आशा
प्रभात, रश्मि श्री, राकेश प्रियदर्शी, समीर परिमल, संजय कुमार कुंदन,
रामनाथ शोधार्थी, जयप्रकाश, रणजीत कुमार एवं नरेन्द्र कुमार सम्मिलित हुए।
काव्य-पाठ के दौरान ही 'आयाम' के दूसरे वार्षिकोत्सव में शामिल होने आयीं
डॉ. रोहिणी अग्रवाल, संध्या सिंह, सुनीता गुप्ता एवं डॉ. अर्चना त्रिपाठी
की गरिमामय उपस्थिति गोष्ठी के लिए विशेष रही।
कवि द्वारा 'व्यवस्था', 'ऐश्वर्य', 'दिल्ली में गांव', 'दिल्ली की सड़कों
पर', 'लैलख ममलखां', 'बड़ा राइटर', 'प्रेमधारा', 'टीशन वाली स्त्री'
शीर्षकों वाली कविताओं का पाठ किया गया। रचनाएं समकालीन यथार्थ को
अभिव्यक्त कर रही थीं तो प्रेम से पगी भी...उनमें सरलता थी तो व्यंग्य भी
था। अंत में कवि द्वारा सावन के प्रसंग में एक कविता सुनाई गई―"माधो, चलो
हमारे गांव"। कविताओं पर परिचर्चा से पहले यह निर्धारित हुआ कि गोष्ठी में
आये नये सहभागियों से एक-एक कविता सुनी जाय। इस क्रम में नेहा नारायण सिंह
की कविता से अगला दौर शुरू ही हुआ था कि घनघोर घटाओं ने मुक्ताभाव से अपना
प्यार बरसाना शुरू कर दिया। सबलोग सावन की इस बरसात में भींग कर इधर-उधर
ऐसे बिखरे की फिर एकत्रित हो न पाये। इस तरह 'दूसरा शनिवार' की गोष्ठी
संपन्न हुई। पढ़ी गयी कविताओं पर साथियों की राय आमंत्रित हैं।
......
इस ब्यौरा (रिपोर्ट) के लेखक: नरेंद्र कुमार
लेखक का ब्लॉग: http://aksharchhaya.blogspot.com/
लेखक का इमेल:narendrapatna@gmail.com
इसी कार्यक्रम की रिपोर्ट शायर संजय कुमार कुन्दन के फेसबुक वाल पर भी देखी जा सकती है जिसका लिंक है:
https://www.facebook.com/sanjaykumar.kundan/posts/1497556916977483
लेखक का इमेल:narendrapatna@gmail.com
इसी कार्यक्रम की रिपोर्ट शायर संजय कुमार कुन्दन के फेसबुक वाल पर भी देखी जा सकती है जिसका लिंक है:
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