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विलियम शेक्सपीयर -विशुद्ध अभिवक्ति के बेताज बादशाह
(-राजन कुमार सिंह की रिपोर्ट)
(See English version of this report here: http://biharidhamaka.blogspot.in/2017/06/seminar-organised-on-four-hundredth.html)
(See English version of this report here: http://biharidhamaka.blogspot.in/2017/06/seminar-organised-on-four-hundredth.html)
पटना,10 महान नाटककार शेक्सपीयर की चौथी पुण्यशताब्दी वर्ष
के अवसर पर हिंसा के विरुद्ध संस्कृतिकर्मी (रंगकर्मियों-कलाकारों का साझा मंच)
एवं बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के संयुक्त आयोजन हमारे समय में शेक्सपीयर विषय पर
परिचर्चा का आयोजन आज सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम को
सम्बोधित करते हुए के.के नारायण ने बताया कि आज चाहे समाज में फिल्मों का जितना भी
प्रभाव पड़ा हो लेकिन शेक्सपीयर के नाटक आज हमारे समाज का अभिन्न अंग
है। विश्वप्रसिद्ध नाटक 'हैमलेट','ओथेलो', 'मैकबेथ' और 'जूलियस सीजर' का जिक्र करते हुए नारायण ने कहा कि ये नाटक
समाज और व्यक्ति के आपसी रिश्तों के साथ साथ सत्ता के निरंकुश चरित्र को बताता
है। चरित्रों का संचयन उनकी विशेषता थी। आमतौर पर जब कोई विरोध करता तो उसे वामपंथी
मान लिया जाता है और जब समझौतावादी होता है तो दक्षिणपंथी कह दिया जाता है।
शेक्सपियर ऐसे नाटककार थे जिन्हें आलोचकों ने भी माना कि वो वाकई में महान थे।
अदृश्य को जानने की शक्ति कलाकार को महान बनाता है। वो अपने नाटकों के चरित्र खुद
जीते थे। प्रकृति के प्रांगण में उन्होंने सीखा,उनके पास कोई
स्कूल की डिग्री नही थी। व्यंग्यात्मक लहजे में उन्होंने कहा कि जब एक लोग बोले और
सभी सुने वो शोकसभा है और जब सब बोले और कोई न सुने वह लोकसभा है।
राजन कुमार सिंह |
हिंदी के
सुप्रसिद्ध कवि अरुण कमल ने कहा कि विलियम शेक्सपीयर इंग्लिश कवि, नाटककार और अभिनेता थे जो इंग्लिश भाषा के
महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध लेखको में से एक थे। थियेटर नाम यूनानी मूल का शब्द है
जिसका अर्थ है देखना। शेक्सपीयर के समय ही इसे थियेटर नाम दिया गया। अरुण कमल ने
कहा कि शेक्सपीयर मेरे प्रिय कवि हैं मैं उनके घर दो बार गया हूँ।उन्होंने कहा
महान अभिनेता चार्ली चैपलीन ने कहा था कि ग्रामीण परिवेश से आने वाला यह
साहित्यकार शेक्सपीयर हमें शक में डालता है। इनके नाटक में सुख है तो दुख भी है, रुदन है तो हंसी भी है, मतलब जीवन के सभी रूप शेक्सपीयर के नाटक में
हैं। शेक्सपीयर के 'मैकबेथ' नाटक का जिक्र करते हुए अरुण कमल ने कहा कि इस
नाटक को करने वाले कई लोगों ने आत्महत्या की है। आलम यह है कि थियेटर के लोग आज भी
इस नाटक को उसी नाम से नहीं करते हैं,और इसे अपशकुन
मानते हैं। शेक्सपीयर ने लगभग 20000 अंग्रेजी शब्दों
का इस्तेमाल किया जबकि उस समय अंग्रेजी में लगभग 1,20,000 शब्द थे। उन्होंने 17000 शब्दों को खुद
बनाया। उनका नाटक पारसी थियेटर में खूब लोकप्रिय हुआ। अंत में कहा कि जो शेक्सपीयर
को पढ़ता है वो उस समय शेक्सपीयर ही हो जाता है।
टी पी एस कॉलेज
के अंग्रेजी के प्रो. छोटेलाल खत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया शेक्सपीयर का मंच
है। आज शेक्सपीयर इंग्लैंड के साथ-साथ पूरी दुनिया के हैं। जिसमें साहित्यकार, नाटककार से लेकर शोधार्थी तक लगातार काम कर रहे
हैं। प्रो. खत्री ने कहा कि शेक्सपीयर को प्रकृति पर मजबूत पकड़ थी, इस कारण वो मनुष्य के जीवन के सभी रूपों को
वास्तविकता के साथ अपने नाटक में दिखाते हैं। साथ ही, उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के समय सत्ता
द्वारा शेक्सपियर को प्रश्रय देने की बात की लेकिन उनकी रचनाएँ विशुद्ध अभिव्यक्ति
है, यही उन्हें महान बनाता है।
कार्यक्रम की
अध्यक्षता करते हुए कवि आलोक धन्वा ने कहा कि शेक्सपीयर ने अपने नाटकों से दुनिया
के समाज को बदला और एक ऐसा समाज बनाने का प्रयास किया जो शोषण विहीन हो।
साम्रज्यवाद तन के स्तर पर उपभोक्ता बनाता है और मन का दमन करता है। शेक्सपीयर मन
के रचनाकार हैं।
कार्यक्रम को
मनोचिकित्सक विनय कुमार ने भी सम्बोधित किया। "हमारे समय में शेक्सपीयर"
कार्यक्रम का संचालन अनीश अंकुर ने किया। देश में हो रहे किसानों की आत्महत्या
गोलीकांड और बिहार की शिक्षा व्यवस्था के निमित निंदा प्रस्ताव सर्वसम्मति से
पारित किया गया, जिसका पाठ और धन्यवाद
ज्ञापन मृत्युंजय शर्मा ने किया।
शेक्सपीयर की 4थी पुण्यशताब्दी वर्ष के अवसर पर हिंसा के विरुद्ध
संस्कृतिकर्मी (रंगकर्मीयों-कलाकारों का साझा मंच) और बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ
के द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी में कवि आलोक धन्वा, शिक्षक संघ से
विजय कुमार सिंह, कवि राजेश कमल, शायर पंकजेश, फिल्म समीक्षक
विनोद अनुपम, सुमन कुमार, सुरेश कुमार हज्जु, रंगकर्मी रमेश कुमार सिंह, रणधीर कुमार, अरुण शादवल, जय प्रकाश, शम्भू कुमार, अक्षय जी, अभिषेक नंदन, रंजीत, अंचित, विनय कुमार,रंजीत, गौतम गुलाल, गजेंद्र शर्मा, कुमार अनुपम, साकेत कुमार,सुमन सौरभ, ज्ञान पंडित, रौशन कुमार, विक्की राजवीर,सीटू तिवारी,सुनील बिहारी, सहित कई रंगकर्मी, शिक्षक और बुद्धिजीवी उपस्थित थे।
लेखक का परिचय: राजन कुमार सिंह पत्रकारिता में परास्नातक अक अत्यंत सक्रिया और अद्भुत संगठन क्षमता वाले रंगकर्मी हैं जो कि सीतामढ़ी की संस्था 'जन-विकल्प' के निर्देशक हैं. इन्होंने 'बिहार रंग सूचना' और 'Press For Culture' नामक व्हाट्सएप्प ग्रुप से सभी सम्बद्ध व्यक्तियों को जोडकर बिहार रंग-क्रांति की मशाल में और तेज आग भर दी है.
लेखक का परिचय: राजन कुमार सिंह पत्रकारिता में परास्नातक अक अत्यंत सक्रिया और अद्भुत संगठन क्षमता वाले रंगकर्मी हैं जो कि सीतामढ़ी की संस्था 'जन-विकल्प' के निर्देशक हैं. इन्होंने 'बिहार रंग सूचना' और 'Press For Culture' नामक व्हाट्सएप्प ग्रुप से सभी सम्बद्ध व्यक्तियों को जोडकर बिहार रंग-क्रांति की मशाल में और तेज आग भर दी है.
रिपोर्ट के लेखक का लिंक https://www.facebook.com/raajdev.9507271010
आप इस इमेल पर भी सुझाव या लेख में सुधार हेतु सम्पर्क कर सकते हैं: hemantdas_2001@yahoo.com
Anish Ankur delivering speech |
Alok Dhanwa, Chairman, Bihar Sangeet Natak Academy |
Ashok Priyadarshi (Right) with other distinguished person |
Suman Kumar (third from left) with other distinguished persons |
Dr. B.N. Vishwakarma (second from left) and other distinguished persons |
Kumar Anupam (Secretary, Bihar Art Theatre) with other distinguished person |
Rajan Kr. Singh in a scene of drama |
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