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Tuesday, 30 May 2017

लता सिन्हा का कविता-संग्रह 'मेरा अंतर्मन' ('My Inner Mind' Hindi Poetry-collection by Lata Sinha)

तू जीवन जीते बाँटी गई / मैं बिन जनमे ही काटी गई
 (लता सिन्हा की पुस्तक 'मेरा अन्तर्मन')
(English version of this article follows Hindi text)


        लता सिन्हा 'ज्योतिर्मय काव्यगुण से सम्पन्न कवयित्री हैं और भविष्य में आज के जीवन की जटिलताओं को और भी गहराई के साथ दर्शाती अपनी रचनाएँ लेकर आएंगी ऐसी शुभकामना है. प्रस्तुत पुस्तक 'मेरा अंतर्मन' में एकतीस कवितायेँ हैं जो भक्ति, मानवीय मूल्य, प्रकृति, श्रृंगार आदि पर हैं. कविताएँ मुख्यत: छन्दयुक्त हैं और देशभक्ति और माता के प्रति प्रेम का भाव कहीं अधिक सबल दिखता है. कवयित्री की भाषा पर पकड़ अच्छी है और तत्सम शब्दों का सुन्दर प्रयोग द्रष्टव्य है. पुस्तक में नारी विमर्श के मुद्दे स्वाभाविक रूप से मुखरित हुए हैं. समीक्षा प्रकाशन, दिल्ली/ लखनऊ से प्रकाशित इस पुस्तक का मूल्य रु. २००/= है. 

 पुस्तक की कविताओं की कुछ बानगी देखिये- 

जब झील सी बन कर शांत हुई / तब मैंने पायी गहराई (सुर-सरिता)
खो गए हैं वर्क उसके / शोहरतों के दरमयाँ (तड़पाता एहसास)
हो,जंग में गोली से होली / और तोप से होली दीवाली (रक्षक हिन्द के)
देखा, फिर से इन्कार किया / सीरत की यहाँ कीमत ही नहीं (मेरी पहचान)
पर फिर भी मैं सम्पूर्ण हूँ / मैं तो बस एक बूँद हूँ (शाश्वत बूँद)
तू जीवन जीते बाँटी गई / मैं बिन जनमे ही काटी गई (अजन्मी पुकार)
है ब्रहमपूत्र के सूत्र बँधे / कटिबन्ध बने वो बलखाए (हिन्द की गरिमा)
...................
Lata Sinha Jyotirmoyey is a poet who is full of poetic quality and will bring forth her compositions in the future with more depth presenting complexities of today's life. In the present book 'My Inner mind' there are thirty-one poems which are about devotion, human values, nature, love etc. Poems are mainly in verses and the feeling of patriotism and love for mother is much more vigorous. She has  a good hold on the language and the beautiful use of Sanskrit words is visible in her poetry. The issues about women's have naturally become prominent in the book . The price of this book, published from the Samiksha Publication, Delhi / Lucknow, is Rs. 200 / =

 Look at some of the poems of the book-

When I became calm becoming a lake / I then found the depth (River of Melody)

She has lost all her pages / While remaining in limelight (Tormenting Experiences)

Yes, Holi by bullet in the battle / And Diwali by the Holi of Cannon (Defenders of Hind)

You saw, she again denied / My progress in life has no value here (My Identity)

Still I am the whole / I am just a drop (Eternal Blob)

You have been given life to be divided / I have been cut off without taking birth (Unborn Call)

It is bound by the rope of Brahmputra / Becoming a zone it cockles (The Nation’s Dignity)


Poet- Lata Sinha







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