"आग लग जाएगी जमाने में
जब ये बेजुबान बोलेंगे
यूँ तो भरने न देंगे ज़ख्मों को
भर गए तो निशान बोलेंगे"
ऊर्जावान शायर समीर 'परिमल' ने ये शेर पढ़े उस सभा में जहाँ अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर राजेंद्र कला एवं युवा विकास समिती के तत्वावधान में आई आई बी एम सभागार, पटना में 21.02.2017 को एक सर्व भाषा कवि सम्मलेन का आयोजन किया गया. अध्यक्षता आनन्द किशोर शास्त्री ने की और संचालन नेहाल सिंह निर्मल ने किया. इसके पहले विधान पार्षद रीना यादव ने दीप जलाकर कार्यक्रम का उदघाटन किया. उन्होंने अपनी कविता पढ़ते हुए कहा-
"तेरे इश्क में मरने का इरादा भी नहीं
है इश्क तुझसे पर इतना ज्यादा भी नहीं"
युवा कवि वैभव की कविता ने खुशनसीबी के रूप को उजागर करते हुए कहा-
"अदब की भरी महफ़िल में आना खुशनसीबी
हजारों की भीड़ में तेरा प्यार पाना खुशनसीबी"
प्रसिद्द शायर नाशाद औरंगाबादी ने इस अवसर पर उर्दू में कविता पढ़ी-
"ये किस समाज की तहज़ीब है
कि आपस में
जो राम-राम न हो
और दुआ-सलाम न हो"
पुनः
"कविता लिखना बहुत कठिन है
पूछो इन फनकारों से
हम सब पत्थर काट रहे हैं
कागज़ की तलवारों से"
सरोज तिवारी ने मगही में सुदंर कविताओं का पाठ किया. 'गंगा मैया चलनी' खूब पसंद की गई. राजकुमार प्रेमी ने मगही में नचारी का पाठ किया.जो काफी प्रभावशाली थी.
हेमन्त दास 'हिम' ने इस अवसर पर 'मुक्तता' की व्याख्या करते हुए भी जनता को प्रेरित करती पंक्तियाँ पढ़ी-
"श्रांत चाहे तन हो जाए मुख न होवे म्लान फिर भी
ब्याप्त तम हो पर रुके न दीप का संधान फिर भी"
ओम प्रकाश पाण्डेय ने पढ़ा-
"तू ही खेल तू ही खिलाड़ी
बाक़ी सब के सब मदारी"
शालिनी पाण्डेय ने भोजपुरी में काफी अच्छी कविता का पाठ किया. बी. एन. विश्वकर्मा ने नोटबंदी पर कुछ तंज कसे-
"पत्नी की परेशानी है चौकाबंदी
पति की परेशानी है मार्केट बंदी"
रामनाथ 'शोधार्थी' ने भी अनेक दमदार शेर पढ़े-
"किसी काँटे में अपना दिल फँसाकर
तुम्हारे दिल के अन्दर छोड़ दूंगा"
दूसरी ग़ज़ल में कहा-
"ज़िंदगी खेल है कबड्डी का
साँस टूट गयी तो मर गए सब"
भागवत अनिमेष की वज्जिका की कविता की पंक्तियाँ कुछ यूँ थीं-
"गोरी तोहर पार में मगन धीरे-धीरे
बहे लागल प्यार के पवन धीरे-धीरे"
जनार्दन सिंह ने मगही में प्रेम और सद्भाव पर कविता का पाठ किया।
गणेश जी त्यागी ने भोजपुरी में पढ़ा-
"बबुआ बंबई में बँगला बनौले बा
बाबू माय के अपना बएलौले बा"
राकेश प्रियदर्शी ने मगही में व्यवस्था पर चोट करती हुई कविता पढ़ी-
"चाहे कोनो देस के हो पालतू कुत्ता
अतीत के बिछौना पर
वर्तमान के चादर ओढ़ के
भविष्य के सपना देखे हे"
महेंद्र चौधरी ने भोजपुरी में पढ़ा-
"कब सकारात बीतल, छठ और फगुआ
बर खोजल साल बीतल बन-बन के अगुआ"
अनुपमा ने रिश्तों की क्शण्भंगूरता पर मगही में कहा-
"एक टच में बने ला रिश्ता
एक टच में टूटे ला भकभक करे ला मनमा
दुनिया ऑनलाइन हो गएल ना"
युवा कवि सूरज ठाकुर 'बिहारी' ने माँ और पत्नी के रूप में स्त्री के प्रेम रूप पर कविताओं का पाठ किया.-
"जिसके धरणों में दुनिया समायी हुई
करुण सागर सी बहती रही मेरी माँ"
रामेश्वर चौधरी ने भोजपुरी में गीत गाये -
"कहिया अइब तू हमरा दुआर मितबा
रहिया देखतानी अँखिया पसार मितबा"
इंद्र मोहन मिश्र 'महफिल' ने मैथिली में कविता पढी-
"अपन छुलाछन बुचनी के
जल्दी बजबालू पप्पा जी"
इस अवसर पर मगही अकादमी के अध्यक्ष उदय शंकर शर्मा 'कविजी' और अंगिका अकादमी के ललन लाल सिंह 'आरोही',संजय कुन्दन,आरतू घायल, भागवत 'अनिमेश', विनय कु. विष्णुपुरी, महेंद्र सिंह 'फौजी' समेत अनेक गणमान्य साहित्यकार भी उपस्थित थे.
आनन्द किशोर शस्त्री ने वज्जिका में कविता पढ़ी-
"आम मोजरलक, महुआ महकल
भुलुक हवा गरम / चढ़ते फगुनमा
जाड़ा भागल / जइसे लाज-सरम"
डॉ. चतुरानन्द मिश्र ने मगही में नयनों पर कविता पढ़ी-
"नैनन भेटल हे नयना
तब नयनन से नैना हे जुड़ायल"
कवि-सम्मेलन में उत्कर्ष आनन्द, मोहन दूबे, तथा विकास राज ने भी भाग लिया.
....
जब ये बेजुबान बोलेंगे
यूँ तो भरने न देंगे ज़ख्मों को
भर गए तो निशान बोलेंगे"
21.02. 2017 को पटना में आयोजित सर्वभाषा कवि सम्मलेन |
"तेरे इश्क में मरने का इरादा भी नहीं
है इश्क तुझसे पर इतना ज्यादा भी नहीं"
युवा कवि वैभव की कविता ने खुशनसीबी के रूप को उजागर करते हुए कहा-
"अदब की भरी महफ़िल में आना खुशनसीबी
हजारों की भीड़ में तेरा प्यार पाना खुशनसीबी"
प्रसिद्द शायर नाशाद औरंगाबादी ने इस अवसर पर उर्दू में कविता पढ़ी-
"ये किस समाज की तहज़ीब है
कि आपस में
जो राम-राम न हो
और दुआ-सलाम न हो"
पुनः
"कविता लिखना बहुत कठिन है
पूछो इन फनकारों से
हम सब पत्थर काट रहे हैं
कागज़ की तलवारों से"
सरोज तिवारी ने मगही में सुदंर कविताओं का पाठ किया. 'गंगा मैया चलनी' खूब पसंद की गई. राजकुमार प्रेमी ने मगही में नचारी का पाठ किया.जो काफी प्रभावशाली थी.
हेमन्त दास 'हिम' ने इस अवसर पर 'मुक्तता' की व्याख्या करते हुए भी जनता को प्रेरित करती पंक्तियाँ पढ़ी-
"श्रांत चाहे तन हो जाए मुख न होवे म्लान फिर भी
ब्याप्त तम हो पर रुके न दीप का संधान फिर भी"
ओम प्रकाश पाण्डेय ने पढ़ा-
"तू ही खेल तू ही खिलाड़ी
बाक़ी सब के सब मदारी"
शालिनी पाण्डेय ने भोजपुरी में काफी अच्छी कविता का पाठ किया. बी. एन. विश्वकर्मा ने नोटबंदी पर कुछ तंज कसे-
"पत्नी की परेशानी है चौकाबंदी
पति की परेशानी है मार्केट बंदी"
रामनाथ 'शोधार्थी' ने भी अनेक दमदार शेर पढ़े-
"किसी काँटे में अपना दिल फँसाकर
तुम्हारे दिल के अन्दर छोड़ दूंगा"
दूसरी ग़ज़ल में कहा-
"ज़िंदगी खेल है कबड्डी का
साँस टूट गयी तो मर गए सब"
भागवत अनिमेष की वज्जिका की कविता की पंक्तियाँ कुछ यूँ थीं-
"गोरी तोहर पार में मगन धीरे-धीरे
बहे लागल प्यार के पवन धीरे-धीरे"
जनार्दन सिंह ने मगही में प्रेम और सद्भाव पर कविता का पाठ किया।
गणेश जी त्यागी ने भोजपुरी में पढ़ा-
"बबुआ बंबई में बँगला बनौले बा
बाबू माय के अपना बएलौले बा"
राकेश प्रियदर्शी ने मगही में व्यवस्था पर चोट करती हुई कविता पढ़ी-
"चाहे कोनो देस के हो पालतू कुत्ता
अतीत के बिछौना पर
वर्तमान के चादर ओढ़ के
भविष्य के सपना देखे हे"
महेंद्र चौधरी ने भोजपुरी में पढ़ा-
"कब सकारात बीतल, छठ और फगुआ
बर खोजल साल बीतल बन-बन के अगुआ"
अनुपमा ने रिश्तों की क्शण्भंगूरता पर मगही में कहा-
"एक टच में बने ला रिश्ता
एक टच में टूटे ला भकभक करे ला मनमा
दुनिया ऑनलाइन हो गएल ना"
युवा कवि सूरज ठाकुर 'बिहारी' ने माँ और पत्नी के रूप में स्त्री के प्रेम रूप पर कविताओं का पाठ किया.-
"जिसके धरणों में दुनिया समायी हुई
करुण सागर सी बहती रही मेरी माँ"
रामेश्वर चौधरी ने भोजपुरी में गीत गाये -
"कहिया अइब तू हमरा दुआर मितबा
रहिया देखतानी अँखिया पसार मितबा"
इंद्र मोहन मिश्र 'महफिल' ने मैथिली में कविता पढी-
"अपन छुलाछन बुचनी के
जल्दी बजबालू पप्पा जी"
इस अवसर पर मगही अकादमी के अध्यक्ष उदय शंकर शर्मा 'कविजी' और अंगिका अकादमी के ललन लाल सिंह 'आरोही',संजय कुन्दन,आरतू घायल, भागवत 'अनिमेश', विनय कु. विष्णुपुरी, महेंद्र सिंह 'फौजी' समेत अनेक गणमान्य साहित्यकार भी उपस्थित थे.
आनन्द किशोर शस्त्री ने वज्जिका में कविता पढ़ी-
"आम मोजरलक, महुआ महकल
भुलुक हवा गरम / चढ़ते फगुनमा
जाड़ा भागल / जइसे लाज-सरम"
डॉ. चतुरानन्द मिश्र ने मगही में नयनों पर कविता पढ़ी-
"नैनन भेटल हे नयना
तब नयनन से नैना हे जुड़ायल"
कवि-सम्मेलन में उत्कर्ष आनन्द, मोहन दूबे, तथा विकास राज ने भी भाग लिया.
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नोट: उपर्युक्त आलेख हेमन्त 'हिम' द्वारा तैयार की गई है और इसमें श्री बी. एन. विश्वकर्मा (मो. 7301691650) से भी जानकारियाँ ली गई हैं. और अधिक जानकारी तथा सुधार सुझाने हेतु आप ई-मेल द्वारा hemantdas_2001@yahoo.com पर संपर्क कर सकते हैं. कृपया सुधार या सुझाव भेजते समय अपना फोटो (इस कवि-सम्मलेन का) भी भेजें तो बेहतर होगा.
संजय कुंदन Sanjay Kundan |
मंचासीन |
दर्शाक्गण audience |
Rajkumar Premi राजकुमार प्रेमी with Nehal Singh |
Om prakash Pandey ओम प्रकाश पाण्डेय |
Samir Parimal समीर परिमल |
B N Vishwakarma |
रामनाथ शोधार्थी Ramnath Sodharthi |
Nehal singh 'Nirmal- निहाल सिंह निर्मल |
राकेश प्रियदर्शी Raakesh Priyadarshi |
महेंद्र चौधरी Mahendra Chaudhary |
Suraj Thakur Bihari सूरज ठाकुर बिहारी |
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