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बिहार, भारत की कला, संस्कृति और साहित्य.......Art, Culture and Literature of Bihar, India ..... E-mail: editorbejodindia@gmail.com / अपनी सामग्री को ब्लॉग से डाउनलोड कर सुरक्षित कर लें.

# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Sunday 4 November 2018

सीतामढ़ी में कलाकक्ष द्वारा शिल्पऋषि फणिभूषण बिश्वास आर्ट एंड क्राफ्ट फाउंडेशन के तीन दिवसीय उद्घाटन समारोह 31 अक्टूबर से 2 नवबर तक चला

चाक्षुष और संवेदनात्मक दोनों ही दृष्टियों से अद्भुत प्रस्तुतियां - ध्रुव गुप्त



बिहार के पौराणिक नगर सीतामढ़ी के 90-वर्षीय वयोवृद्ध शिल्पकार फणिभूषण बिश्वास कला के उन एकांत साधकों में एक हैं जो किसी भी प्रचार से दूर रहकर कई दशकों से बेजान पत्थरों और प्लास्टर ऑफ पेरिस को आकृति, रूह और भाषा देते रहे हैं। बिहार ही नहीं, देश भर में उनकी कला को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। बच्चों और युवाओं को कला का संस्कार देने के उद्देश्य से सीतामढ़ी में उनके सम्मान में स्थापित शिल्पऋषि फणिभूषण बिश्वास कला एवं शिल्प फाउंडेशन के तीन-दिवसीय उद्घाटन समारोह के पहले दिन 31 अक्टूबर   को राजेंद्र भवन में उनकी कृतियों की प्रदर्शनी का साक्षी बनना मेरे लिए एक अनूठा अनुभव था।

1 नवंबर को सीतामढ़ी में शिल्पऋषि फणिभूषण बिश्वास आर्ट एंड क्राफ्ट फाउंडेशन का उद्घाटन बिहार और नेपाल के इस सीमावर्ती जिले में कला एवं शिल्प के प्रति युवाओं और बच्चों में रूचि जाग्रत करने की दिशा में एक बड़ा और सार्थक प्रयास है। कलानेत्री पल्लवी बिश्वास और कलाकार अविनय काशीनाथ के अथक प्रयासों से स्थापित इस फाउंडेशन का उद्घाटन वयोवृद्ध शिल्पकार श्री फणिभूषण बिश्वास की उपस्थिति में सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक पद्मभूषण श्री बिंदेश्वरी पाठक ने किया। उद्घाटन समारोह का हिस्सा होना मेरे लिए एक यादगार अनुभव था।

बिहार के सीतामढ़ी में शिल्पऋषि फणिभूषण बिश्वास आर्ट एंड क्राफ्ट फाउंडेशन के तीन दिवसीय उद्घाटन समारोह का 2 नवंबर की शाम श्री फणिभूषण बिश्वास की प्रेरक उपस्थिति और मेरी अध्यक्षता में शानदार समापन हुआ। समारोह के अंतिम दिन त्रिदिवसीय कला एवं शिल्प वर्कशॉप में भाग लेने वाले और पुरस्कृत सेंट हेलेंस स्कूल, सरस्वती विद्या मंदिर एवं बालिका विद्यालय और डी.पी.एस, लगमा के दर्जनों स्कूली बच्चों-बच्चियों की सृजनात्मकता, उनके उत्साह और उनकी खिलखिलाती हंसी को देखना और महसूस करना एक विरल अनुभव था। समारोह के अंत में दरभंगा के सृष्टि फाउंडेशन के कलागुरु और सुप्रसिद्ध ओडिसी नर्तक जे.पी पाठक और उनके ग्रुप के कलाकारों का ओडिसी नृत्य और श्री पाठक की एकल नृत्य नाटिका 'जटायु का मोक्ष' चाक्षुष और संवेदनात्मक दोनों ही दृष्टियों से अद्भुत प्रस्तुतियां थीं जिन्होंने दर्शकों को देर तक स्तब्ध और मंत्रमुग्ध करके रखा। हमारी दुआ है कि मां सीता की प्राकट्य भूमि सीतामढ़ी में फाउंडेशन और कलाकक्ष का यह विराट आयोजन इस यांत्रिक और मूल्यहीन समय में हमारे बच्चों को कला, शिल्प, साहित्य, नृत्य और संगीत के संस्कार देने में महती भूमिका निभाएगा।

इस आयोजन से जुड़े सभी व्यक्ति खासकर कलानेत्री पल्लवी बिश्वास, कलाकार अविनय काशीनाथ, प्रखर इतिहासकार और पुरातत्ववेत्ता राम शरण अग्रवाल, वरिष्ठ पत्रकार राम शंकर शास्त्री, छायाकार रमन बिश्वास और सुश्री शिखा को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!
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आलेख- ध्रुव गुप्त
श्री ध्रुव गुप्त राष्ट्रीय स्तर के लब्धप्रतिष्ठ कवि और लेखक एवं एक सेवानिवृत आइपीएस अधिकारी हैं. 
श्री धुव गुप्त का लिंक- यहाँ क्लिक कीजिए
छायाचित्र सौजन्य- ध्रुव गुप्त, पल्लवी घोष
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आइडी- editorbiharidhamaka@yahoo.com
















 








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