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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Saturday 29 September 2018

लेख्य मंजूषा द्वारा हिंदी पखवाड़े के समापन समारोह में 29.9.2018 को कवि गोष्ठी आयोजित


समाज के प्रति जागरूक करती संस्था- लेख्य-मंजूषा ने हिन्दी दिवस पखवाड़ा का समापन समारोह 28.09.2018 को इन्स्टीच्यूट ऑफ इंजीनियर्स भवन, पटना में कवि गोष्ठी आयोजित कर मनायामुख्य-अतिथि के रूप में लखनऊ से आईं  नीलम राकेश और उनके पति राकेश चंद्रा थे तथा विशिष्ट अतिथि डॉ. सतीशराज पुष्करणा और भगवती प्रसाद द्विवेदी थे

डॉ. नीलम राकेश ने बताया  कि उन्हें पहले आकांक्षा समिति की सचिव बनने का अवसर मिला। इस अनुभव ने उन्हें गरीबी, मजबूरी, भूख, दर्द से रूबरू करवाया। विज्ञान क्लब की सचिव बनकर गांवों में अन्धविश्वास के विरूद्व चलाये अभियान ने आम आदमी से जुड़ने और उसे जानने समझने का अवसर प्रदान किया। इसी अनुभव ने उन सी एक आम सी लड़की को कलम थमा  दिया। इस यात्रा में दो बाल उपन्यास, छः बाल कहानी संग्रह, पांच कहानी संग्रह, एक लघुकथा संग्रह, चार नाटक की पुस्तके प्रकाशित हुई हैं। राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रद्योगिकी संचार परिषद द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘‘सच तो कुछ और है’’ का सम्पादन (तीन खण्डों में) तथा बाल साहित्य समीक्षाके संपादन का अवसर मिला। कुछ सम्मान मिले जिनमें उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा बाल साहित्य के लिए सुभद्रा कुमारी चौहान स्मृति सम्मान (वर्ष 2016) प्रमुख है।

मंच संचालन ज्योति स्पर्श ने किया तथा कार्यक्रम  में रंजना सिंह (भोपाल), प्रतोष कुमार सिंह, अमीर हमज़ा, मो. नसीम अख्तर, मधुरेश नारायण, .संजय कुमार सिंह, विश्वनाथ वर्मा, प्रभात कुमार धवन, सुशांत सिंह, अभिलाषा कुमारी, पंकज सिंह, कुंदन आनंद, पूनम देवा, ज्योति स्पर्श, राजकांता राज, प्रेमलता सिंह, सुनील कुमार, कल्याणी कुसुम सिंह, नूतन सिन्हाविपुल कुमा, प्रभात कुमार सिंह, रंजीता, रवि सिंह पार्थ विकास कुमार सिंह, सरोज तिवारी, उत्कर्ष आनंद भारत और अमिता मनोज ने भी  भाग लिया. कमला अग्रवाल (इंदिरापुरम), अनिता मिश्रा (हजारीबा) और  नयनतारा देव की  रचनाएँ  भी  पढ़ीं गईं27/09 की सुबह साढ़े तीन बजे नूतन सिन्हा की माँ को मोक्ष प्राप्त हुआ इस कवि गोष्ठी में भाग लेने की उनकी ख्वाहिश पूरी नहीं हो पाई धन्यवाद ज्ञापन रंजना सिंह ने किया 
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आलेख- विभारानी श्रीवास्तव
छायाचित्र- लेख्य मजूषा
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल- editorbiharidhamaka@yahoo.com


  




















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