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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Sunday 28 January 2018

मिथिला के कल्चर्ड चोर / लेखक- भैरब लाल दास

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ये चोर हैं कोई पुलिस या पोलिटिशियन नहीं जो अनकल्चर्ड रहें

रेखाचित्रकार - स्व. राजेश कुमार (हेमन्त दास 'हिम' के काव्य संग्रह 'तुम आओ चहकते हुए' से)

मिथिला में लोगों को शासन-व्‍यवस्‍था पर जितना विश्‍वास था, उससे कम विश्‍वास चोर पर नहीं था। बहुत कम लोगों को याद होगा, 1972 ई. की घटना, जब जयप्रकाश नारायण की पहल पर बड़े-बड़े चोरों ने चोरी छोड़ दी थी और मुख्‍य धारा में आए थे। गांव वाले उन्‍हें ‘सिदहा’ और एक-दो-पांच रुपया प्रतिमाह देते थे। हमारे दरवाजे पर माह में एक बार वे चोर सब आते थे जिन्‍होंने चोरी छोड़ दी थी। बहुत ही मनोरंजक इतिहास है, लेकिन उस पर फिर कभी। अभी तो ऐसा लगता है कि हमारे यहां चोरों को पुलिस प्रशासन का कोई डर नहीं है। 

हमारे कुछ संबंधी ‘चिचरी’ गांव में रहते हैं, राजनगर के बगल में है। वहां से लगातार चोरी की घटना की खबर आ रही है। ठाढ़ी में भी चोरी। इधर शतघरा में तो चोरों के आतंक से लोग इतने आतंकित हैं कि कहना कठिन है। अभी-अभी खबर आई है कि शतघरा गांव के पूर्व मुखिया के ‘बाड़ी’ में चोर बम फेंककर चले गए हैं। इस गांव में पिछले कुछ दिनों से चोर लगातार ‘धपा’ रहे हैं। एक-एक रात में कई-कई घरों में चोरी। 

ऐसा लगता है कि अब आम आदमी का जीना मुश्किल हो रहा है। गांव में अब रहते ही कौन हैं- बूढ़े, पुरनिया और ऐसे ही कुछ लोग। मधुबनी जिला के पुलिस प्रशासन को बार-बार खबर दी गई है, लोगों ने गुहार भी लगायी है। पहले वे मानव श्रृखला का बहाना बना रहे थे, उसके बाद गणतंत्र दिवस का बहाना बनाए। उधर चोर हैं कि उनके पास अपना काम रोकने का कोई बहाना नहीं है। विपत्ति और परेशानी में लोग बाहर से भागकर घर आते हैं। इन चोरों ने घर में रहना मुश्किल कर दिया है। मिथिला में पहले चोर भी ‘कल्‍चर्ड’ होते थे, ‘जाग’ हो जाने पर चोरी नहीं करते थे। ऐसा लगता है पुलिस भी ‘अनकल्‍चर्ड’ होती जा रही है।
......
लेखक -  भैरब लाल दास
ईमेल- blds412@gmail.com
लेखक का परिचय-  भैरब लाल दास आज की तारीख में देश में गांधी के चंपारण आदोलन के सबसे बड़े जानकार माने जा सकते हैं. इसके अलावे इन्होंने ग़दर आन्दोलन समेत आधुनिक भारत के इतिहास पर भी गहरा अध्ययन और लेखन किया है. इन्होने स्व. नित्यानंद लाल दास के साथ मिलकर भारतीय संविधान का मैथिली अनुवाद किया है. साथ ही मैथिली और मिथिला संस्कृति के बहुत बड़े जानकर हैं. कैथी लिपि को विलुप्त होने से बचाने में इनका उल्लेखनीय योगदान है. 

भैरब लाल दास अपनी धर्मपत्नी के साथ

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